Sunday 28 December 2014

वीरान हो गया राजनीति की तपस्थली-भोंडसी आश्रम -- -पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने राजनीति के चिंतन-मनन के लिए किया था स्थापित


-कभी भोंडसी स्थित भारत यात्रा केन्द्र पर नेताओं का लगा रहता था जमावड़ा 
-यह खबर हमारे मिश्र व वरिष्ठ पत्रकार पंकज मिश्रा ने दैनिक भास्कर में लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान लिखी थी। आज तुर्क नेता की कमी खल रही है।
नई दिल्ली
गुडग़ांव जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर अरावली पहाड़ी की गोद में स्थित है भारत यात्रा केन्द्र का आश्रम। यह आश्रम भोंडसी गांव में है। इसे राजनीति की तपस्थली भी कहा जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस वीरान जगह को तीन दशक पहले एक तरह से अध्यात्म व राजनीति के चिंतन मनन के लिए तपस्थली बना दिया था। कभी यहां से प्रदेश व देश की राजनीति को नियंत्रित किया जाता था। लेकिन आज यह वीरान है।
पहले चुनाव में यहां छोटे-बड़े नेताओं का रेला लगा रहता था। अब ऐसा नहीं है। आश्रम की विरानी कभी-कभार मंदिर में माता भुवनेश्वरी के दर्शन के लिए आने वाले लोगों की गाडिय़ों की धड़धड़ाहट से दूर होती है। अब नेता नहीं आते हैं। लेकिन कभी-कभार अपने नेताजी की जीत की कामना के लिए उनके समर्थक मंदिर में माथ टेकने आ जाते हैं। मंदिर के अधिष्ठाता कमलदेव स्वामी कहते हैं कि पहले यहां राजनीति व अध्यात्म से संबंधित लोगों का जमावड़ा रहता था। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर में राजनीति के साथ अध्यात्म की गहरी समझ थी। जब भी वह यहां आते हवन जरूर करते।
बड़े नेताओं की लगती थी चौपाल-

इस आश्रम में बड़े नेताओं की चौपाल लगती थी। चुनाव और राजनीति की समस्याओं पर चिंतन मनन किया जाता था। पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल से लेकर जयप्रकाश आंदोलन से जुड़े सभी नेता यहां आते थे। विधानसभा हो या लोकसभा का चुनाव। चुनावी घोषणा होते ही यहां टिकट के इच्छुक उम्मीदवार डेरा जमा लेते थे।
खंडहर में तब्दील हो रहे हैं बंगले-
ज्यादातर बंगलों की स्थिति जर्जर हो चुकी है। इलाका सुनसान पड़ा हुआ है। बंगले की तरफ जाने में भी डर लगता है। यहां अलग-अलग नाम से बंगले बनाए गए थे। जो अब खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। वरूण नाम से बने बंगले में बाहर से आए अतिथि ठहरते थे। विशिष्ट अतिथि के लिए बागमती आश्रम बनाया गया था। नरेन्द्र कुटीर में चंद्रशेखर स्वयं रहते थे। जयप्रकाश कुटीर में जब देवीलाल आते तो रूकते थे। सभी की स्थिति काफी दयनीय हो चली है।
भारत यात्रा केन्द्र का इतिहास-
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 6 जनवरी 1983 को कन्याकुमारी से भारत यात्रा पर निकले थे। 4260 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर 25 जून 1983 को राजघाट दिल्ली पहुंचे थे। यात्रा के दौरान लाखों लोगों से मिले। इस दौरान ही वे अध्यात्म व राजनीति के विभिन्न पहलुओं को नजदीक से देखे और समझे। वे एक ऐसी जगह की तलाश में थे। जहां वे चिंतन-मनन कर सकें। भोंडसी पंचायत ने भारत यात्रा केन्द्र को 17 अप्रैल 1984 को जमीन उपलब्ध कराई। फिर बाद में चंद्रशेखर ने इसे कठिन परिश्रम से सजाया -संवारा। 
पंकज मिश्रा, संवाददाता, दैनिक भास्कर, फरीदाबाद

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Thursday 25 December 2014

पढि़ए एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नजर से संसद का बदलता चरित्र -28 सालों से देख रहे हैं संसद की कार्यवाही


 बदलते दौर के साथ बदल गये सांसद 
-सांसदों को पुरानी पीढ़ी से सीखनी चाहिए शालीनता
-पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर संसद को 27 सालों से बारीकी से देखने वाले दैनिक भास्कर अखबार के कर्मचारी व गोरखपुर क्षेत्र के निवासी राजाराम यादव से विशेष बातचीत
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

बदलते समय के साथ नेताओं का बर्ताव भी बदल गया है। आज संसद में हमारे नेताओं का विरोध-प्रदर्शन का रवैया बदल गया है। अब हर कोई सांसद स्पीकर के पास विरोध करने पहुंच जाता है। लेकिन दो दशक पहले इस तरह के वाकये बहुत कम देखे जाते थे। यह कहना है संसद को बेहद करीब से देखने वाले दैनिक भास्कर अखबार के कर्मचारी #RajaRam Yadav का।
 चूंकि आज (25 दिसंबर) पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिवस है और पूर्व प्रधानमंत्री के जन्म दिवस के एक दिन पहले राष्ट्रपति द्वारा वाजपेयी और स्वतंत्रता सेनानी महामना मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर एक बार फिर पुरानी पीढ़ी के नेताओं के व्यवहार, वाकपटुता, विचाराधारा से लगाव और नैतिकता याद आ गई। ऐसे में हमने आज के दिन बदलते दौर के साथ संसद के स्वरूप और सांसदों के आचार-विचार को जानने के लिए राजाराम यादव से बातचीत की। राजा राम यादव पिछले 27 सालों (वर्ष 1987) से संसद भवन जा रहे हैं और वहां से संसद की कार्रवाई से संबंधित आवश्यक कागजातों को लाते रहे हैं।
प्रस्तुत है प्रमुख अंश-
सांसदों का व्यवहार-
राजाराम यादव कहते हैं कि आज के दौर में सांसदों के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया है। आज के युवा सांसदों को अपनी पुरानी पीढ़ी के सांसदों से शालीनता सीखनी चाहिए। पहले भी विपक्ष के सांसद विरोध करते थे, लेकिन विरोध में भी एक शालीनता झलकती थी। पुरानी पीढ़ी के सांसद मीडिया गैलरी में भी आते थे और पत्रकारों से सहज ढंग से हाथ मिलाते थें, लेकिन अब यह मौका काफी दिखता है। कभी-कभी कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी नजर आते हैं।
ढाई गुना महंगा हुआ खाना-
दो दशक पहले संसद में 7 रुपए में पूरी थाली मिलती थी, जो कि अब बढ़कर 18 रुपए हो गई है। पहले चाय 50 पैसे मिलती थी, जो कि आज एक रुपए की हो गई है।
सुरक्षा हुई चुस्त-
संसद में वर्ष 2001 में हुए आतंकवादी हमला के बाद सुरक्षा व्यवस्था चुस्त कर दी गई है। अब CRPF और Delhi Police के अलावा अन्य विभागों के भी जवान तैनात रहते हैं। इसके अलावा किसी भी तरह के संवेदनशील सामानों की जांच के लिए अत्याधुनिक मशीनें भी लगा दी गई हैं।
हमला के दौरान टेबल के नीचे-
राजाराम यादव कहते हैं कि संसद हमले के दौरान जान बचाने के लिए वह पीआईबी कक्ष में टेबल के नीचे बैठ गए थे। हमले की जानकारी मिलते ही सभी लोग संसद के अंदर आ गए थे।
अब तो अनेकों बोफोर्स घोटाले-
राजा राम यादव कहते हैं कि ढाई दशक पहले हुए बोफोर्स घोटाले से पूरे देश में हलचल मच गई थी। संसद में खूब हंगामा हुआ, लेकिन आज तो अनेकों घोटाले हो रहे हैं।
कुछ यादगार-
-बाबरी मस्जिद गिरने के बाद संसद में समाजवादी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, सीताराम येचुरी सहित कई नेताओं ने घटना की कड़ी निंदा की थी। इसके अलावा दंगा हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजली दी गई।
सितारे नजर नहीं आते-
ढाई दशक पहले इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने अमिताभ बच्चन बहुत कम संसद की कार्यवाही में हिस्सा लिया। इसी तरह आज सिने तारिका रेखा, हेमा मालिनी और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी संसद में बहुत कम नजर आते हैं।
राजाराम यादव का जीवन परिचय, एक नजर-
जन्म-
1 सितंबर वर्ष 1958
निवासी-पूर्वी यूपी के जिला संत कबीर नगर, ग्राम-जगदीश पुर, पोस्ट- अशरफ पुर
शिक्षा- मात्र 10वीं पास,
कार्य- दैनिक भास्कर अखबार में चतुर्थ क्लास के कर्मचारी, लेकिन आज भी रोजाना घर पर तीन अखबार खरीदते हैं, रविवार को टाईम्स ऑफ इंडिया की प्रति भी लेते हैं। रोजाना दो घंटा अखबार पर समय, ऑफिस आने पर अन्य अखबारों पर भी गंभीरता से नजर डालते हैं।

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Wednesday 24 December 2014

बीएचयू के लिए मालवीय जी ने किया हैदराबाद के निजाम का जूता नीलाम


बलिराम सिंह

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मदन मोहन मालवीय जी को आज भारत सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा पर बचपन में सुनी गई मालवीय जी से संबंधित दो बातें अनायास ही याद आ गईं। ये दोनों बातें विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित हैं। मालवीय जी ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अथक परिश्रम किया था और देश के कोने-कोने से चंदा इकट्ठा किया था।
1-जमीन के लिए रातभर चलें-
विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मालवीय जी काशी नरेश के पास गए थे और जमीन की मांग की थी। काशी नरेश ने कहा कि आप रातभर में जीतना चल देंगे, उतनी जमीन हम आप को दे देंगे। बस क्या था मालवीय जी पूरी रात चलते रहें और दूसरे दिन पंडीत जी को काशी नरेश ने उतनी जमीन दान कर दी।
2-हैदराबाद के निजाम का जूता नीलाम-   

विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मालवीय जी हैदराबाद के निजाम के दरबार में भी गए थे। यह घटना काफी रोचक है। निजाम ने मालवीय जी को विश्वविद्यालय के लिए चंदा देने से इंकार कर दिया था। लेकिन कहा जाता है कि पंडित जी के जिद करने पर निजाम ने अपना जूता दे दिया। कुछ लोग यहां तक कहते हैं कि निजाम ने पंडित जी पर जूता चलाकर फेंका था, लेकिन अत्यधिक संयमित मालवीय जी ने जूता को लेकर चल दिया और हैदराबाद के चौराहे पर निजाम के जूते की नीलामी शुरू कर दी। निजाम को घटना की जानकारी मिली तो फौरन विश्वविद्यालय के लिए चंदा दिया और अपना जूता वापस मंगाया।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, एक नजर-
स्थापना-1916
खासियत- एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी
छात्रों की क्षमता-20 हजार
श्रेत्रफल-1300 एकड़

Tuesday 23 December 2014

झारखंड -क्या माफिया-कॉरपोरेट से बाहर निकल पाएगी भाजपा

-झारखंड में सत्ता के नजदीक पहुंची भाजपा
-पिछले 14 सालों में 9 साल शासन में रही भाजपा
बलिराम सिंह

झारखंड में भाजपा सत्ता पर सवार तो होने जा रही है, लेकिन देश का खजाना माने जाने वाले इस राज्य की समस्या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अपनी आंख-कान खुले रखने होंगे, अन्यथा झारखंड की दुर्दशा बरकरार रहेगी।
वर्ष 2000 में 15 नवंबर को झारखंड का गठन हुआ और पिछले 14 सालों के दौरान इस प्रदेश में आठ बार मुख्यमंत्री बदले गए। मजे की बात यह है कि इस दौरान सर्वाधिक 9 सालों तक भाजपा के ही नेता मुख्यमंत्री रहें, बावजूद इसके झारखंड का विकास नहीं हुआ। चूंकि केन्द्र में कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार और नरेन्द्र मोदी के आभा-मंडल और मीडिया की चकाचौंध पर सवार होकर भाजपा एक बार फिर झारखंड में जीत का झंडा बुलंद तो कर दिया है, लेकिन अब देखना यह है कि क्या भाजपा यहां की राजनीति में घुसपैठ कर गई माफिया और कॉरपोरेट को दूर कर पाती है अथवा एक बार फिर कठपुतली मुख्यमंत्री के सहारे कॉरपारेट अपना उल्लू सीधा करेगा और यहां की जनता गरीबी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहेगी। बिहार-झारखंड पर अपनी बारीकी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा सांसद हरिवंश ने आज एक चैनल पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा है कि झारखंड में भाजपा के टिकट पर जीतने वाले कई विधायकों की छवि अपराधिक पृष्ठभूमि की है। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी एक चैनल पर कहा है कि प्रत्येक जगह पर नरेन्द्र मोदी तो आएंगे, नहीं ऐसे में झारखंड की सरकार चलाना एक चुनौतीभरा होगा।
माफियाओं- कॉरपोरेट को लुभाते रहे हैं कमजोर मुख्यमंत्री-
झारखंड की राजनीति में ईमानदार और निर्भिक मुख्यमंत्री खुद यहां के नेताओं, माफियाओं और कॉरपोरेट लॉबी को रास नहीं आते हैं। इसी वजह से झारखंड गठन के महज ढाई साल बाद भाजपा के ईमानदार नेता बाबू लाल मरांडी (15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक ) को हटा करके अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया। तत्पश्चात अर्जुन मुंडा झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री (लगभग 6 साल) बनने का मौका मिला। परिणामस्वयप बाबू लाल मरांडी भाजपा छोड़ नई पार्टी का गठन किया।
जेएमएम भी कर चुका है तीन बार नेतृत्व-
झारखंड मुक्ति मोर्चा भी प्रदेश में तीन बार सत्ता का नेतृत्व कर चुका है। पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन दो बार मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन एक बार मुख्यमंत्री का कार्य भार संभाल चुके हैं। लेकिन प्रदेश में इन पिता-पुत्र ने भी विकास का कोई खाका नहीं खींचा।
निर्दलीय मुख्यमंत्री ने तोड़ा भ्रष्टाचार का रिकार्ड-

निर्दलीय मुख्यमंत्री के तौर पर मधु कोड़ा (14 सितंबर 2006 से 23 अगस्त 2008 तक) भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन मधु कोड़ा न केवल प्रदेश के बल्कि देश के भ्रष्टतम मुख्यमंत्रियों में शुमार रह चुके हैं। इन्होंने प्रदेश को लूटने के अलावा अन्य कोई कार्य नहीं किया।
राष्ट्रपति शासन का भी दंश झेल चुका है प्रदेश-
गठन के 14 साल के दौरान यह प्रदेश दो बार राष्ट्रपति शासन (19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 और 18 जनवरी 2013 से 12 जुलाई 2013 तक) का भी दंश झेल चुका है, जिसकी वजह से प्रदेश का विकास नहीं हो पाया।
क्यों हुआ झारखंड का गठन-

प्रदेश के गठन के लिए स्थानीय झारखंड मुक्ति मोर्चा के अलावा राष्ट्रीय पार्टियां भी जवाबदेह हैं। इन पार्टियों ने झारखंड क्षेत्र के आदिवासी इलाकों के विकास को मुख्य मुद्दा बनाते हुए झारखंड का गठन किया गया, लेकिन अब तक यहां के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास नहीं हो पाया।
वर्ष 2000 में झारखंड राज्य के गठन के बाद पिछले 14 सालों में झारखंड में पार्टियों की सरकार-

सर्वाधिक लगभग 9 सालों तक   - भाजपा
          2 साल      - जेएमएम
          2 साल      - निर्दलीय
          डेढ़ साल    - राष्ट्रपति शासन
23 दिसंबर 2014 को आए चुनाव के रूझान-

भाजपा गठबंधन - 42
कांग्रेस गठबंधन -   6
जेएमएम    -19
जेवीएम गठबंधन-8
अन्य      - 6

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Monday 22 December 2014

जंतर-मंतर -बिहार में जनता परिवार को लाभ तो यूपी नुकसान!


-यूपी में सपा से दूर है नॉन यादव ओबीसी
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

लगभग दो दशक बाद जनता परिवार एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने और खुद की जमीन को बचाने के लिए जंतर-मंतर पर एकजुट तो हो गए और महाधरना में काफी तादाद में भीड़ भी जुटा ली, लेकिन अब सौ टके का सवाल है कि अगले दो सालों के दौरान बिहार, यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह भीड़ वोट में तब्दील हो पाएगी या नहीं!
इसे लेकर मेरे मन में दो ख्याल आ रहे हैं-बिहार में जनता परिवार एक बार फिर बाजी मार सकती है, लेकिन यूपी को लेकर मन में संशय है। मैंने अपने इस विचार को मध्य यूपी के निवासी और  समाजवादी पार्टी के धुर विरोधी और पटना में पांच साल तक रिपोर्टिंग करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार राजेश तिवारी का भी मिजाज जाना तो उन्होंने भी मेरी बातों से सहमति जताई।
ऐसा क्यों आया ख्याल-
बिहार-

चूंकि गांव, गरीब, मजदूर, किसान, अल्पसंख्यक वर्ग की बात करने वाली दो धुर विरोधी पार्टियां एकजुट हो गई हैं और दोनों पार्टियों का लक्ष्य भी एक है-भाजपा का विरोध। राष्ट्रीय जनता दल के पास जहां वोट बैंक के तौर पर माई (मुस्लिम-यादव) जैसा एक बड़ा तबका है तो जनता दल यूनाइटेड के पास मुस्लिम, नॉन यादव बैकवर्ड, दलित और महादलित के अलावा उच्च वर्ग के लोग भी शामिल हैं। चूंकि बिहार में इस गठबंधन के पास नीतिश कुमार जैसे ट्रंप कार्ड हैं, जिनसे आज भी बिहार की जनता का लगाव है, यह दीगर बात है कि लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता ने भाजपा को तवज्जो दिया, लेकिन अब भाजपा के ही तरकश से नीतिश कुमार भाजपा पर वार कर रहे हैं।
यूपी-
फिलहाल प्रदेश के चारों ओर भाजपा का लहर है। पश्चिमी यूपी मेंं उच्च वर्ग के अलावा जाट वर्ग भी भाजपा के पक्ष में हैं। प्रदेश के अन्य हिस्से में भी समाजवादी पार्टी की मौजूदा नीतियों से नॉन यादव ओबीसी वर्ग नाराज है। रही-सही कसर, मुलायम सिंह यादव द्वारा महिलाओं के खिलाफ दिए गए बयान से शहरी वर्ग में भी नाराजगी व्याप्त है। देश के सबसे बड़े प्रदेश में दोबारा सत्ता में आने के लिए सबसे पहले सपा को अपने कार्यकत्र्ताओं पर नकेल कसना होगा। रोजगार, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर नई तकीनीकी के साथ मैदान में उतरना होगा, अन्यथा मुलायम सिंह यादव की यह कथनी एक बार फिर सही साबित होगी कि लैपटॉप सपा ने बांटा और लाभ ले गएं मोदी जी। साथ ही नॉन यादव ओबीसी के अलावा दलित वर्ग को जोडऩे के लिए प्रयास करना होगा, लेकिन मौजूदा स्थितियों से ऐसा लगता है कि सपा सरकार इसमें सफल नहीं होगी। तथा अन्य जनता परिवार से जुड़े अन्य घटक दलों की यूपी में जमीन भी नहीं है। रही बात बसपा सुप्रीमो मायावती की, तो उनका मुलायम सिंह के साथ आना दूर की कौड़ी लगती है।

Sunday 21 December 2014

बेटे के जरिए अमेठी में कांग्रेस को टक्कर देगी भाजपा

-अनंत विक्रम सिंह भाजपा में शामिल
-सर्दी में भी अमेठी की सियासत में गरमाहट
-आगामी विधानसभा चुनाव में संजय सिंह को टक्कर देंगे उनके पुत्र अनंत विक्रम
बलिराम सिंह

कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.संजय सिंह को इस बार विधानसभा चुनाव में उनके ही पुत्र अनंत विक्रम सिंह टक्कर देंगे। अनंत विक्रम सिंह रविवार को अपने कार्यकत्र्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हो गए।
लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने अनंत विक्रम के साथ ही उनके समर्थकों को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई। ऑनलाइन सदस्यता ग्रहण प्रक्रिया के तहत अनंत विक्रम भाजपा के सदस्य बने। अनंत विक्रम सिंह को पार्टी में शामिल कराने के लिए प्रदेश अध्यक्ष डॉ.वाजपेयी विशेषतौर पर मुंबई से लखनऊ पहुंचे। 
सर्दी में भी अमेठी की सियासत में गर्माहट-

अनंत विक्रम सिंह के भाजपा में शामिल होने से अमेठी में सर्दी के बावजूद राजनीतिक गरमाहट शुरू हो गई है। आगामी विधानसभा चुनाव में अनंत विक्रम भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। अनंत विक्रम न केवल अमेठी की सीट पर केसरिया लहराने में सहयोगी साबित होंगे, बल्कि आसपास की सीटों पर भी इनका असर साफ दिखेगा। बता दें कि कुछ महीने पहले अमेठी राजघराने में बंटवारे को लेकर पिता-पुत्र आमने-सामने आ गए, जिसकी वजह से खूनी संघर्ष की नौबत तक आ गई।
भाजपा से लड़ चुके हैं चुनाव-

हालांकि संजय सिंह स्वर्गीय इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी के कभी काफी करीबी हुआ करते थे, लेकिन संजय गांधी की असमय मृत्यु और बदलते समय के साथ संजय सिंह वर्ष 1988 में कांग्रेस छोड़कर जनता दल में भी शामिल हो गए, लेकिन बाद में जनता दल को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और वर्ष 1998 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेता सतीश शर्मा को पराजित किया था, लेकिन कुछ दिनों बाद संजय सिंह यहां भी नहीं रूके और वर्ष 2003 में दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और 2009 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी।

Saturday 20 December 2014

वाराणसी के घाट को आधुनिक बनाएंगे मुंबई के उद्योगपति


-पीएम की पहल पर शुरू हो रही है येाजना
बलिराम सिंह-

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर मुंबई के उद्योगपति वाराणसी के दशाश्मेध घाट को आधुनिक रूप देंगे। उद्योगपति पीरामल की द ब्रज फाउंडेशन नामक संस्था इस ऐतिहासिक घाट को मॉडल के तौर पर विकसित करेगी। इस बाबत मुंबई व गुजरात के इंजीनियरों की मदद ली जाएगी। विशेषज्ञों की एक टीम वाराणासी का दौरा भी कर चुकी है।
दशाश्मेध घाट को मॉडल घाट के तौर पर विकसित करने के लिए अगले एक सप्ताह में डीपीआर तैयार हो जाएगा। बता दें कि इस संस्था ने यूपी के वृंदावन में भी सौंदर्यीकरण का कार्य किया है। अब तक यह संस्था भगवान भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े धरोहरों को सहेजने का कार्य करती रही है। इसके तहत वृंदावन का ब्रह्माकुंड, सेवा कुंज व गोवर्धन पर्वत की तलहटी में रुद्रकुंड का जीर्णोद्धार किया गया है।
 लेकिन अब प्रधानमंत्री की पहल पर यह संस्था वाराणसी के दशाश्वमेध घाट को भी आधुनिक रूप देगी। इस संस्था ने वर्ष 2008 में ब्रज क्षेत्र के पर्यटन विकास के लिए संपूर्ण मास्टर प्लान उत्तर प्रदेश सरकार के लिए बनाया था।
पीएम की हरी झंडी के बाद शुरू होगा काम-
डीपीआर तैयार होने के बाद इस पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। जल्द से जल्द डीपीआर तैयार करके प्रधानमंत्री को दिखाया जाएगा। ताकि योजना को जल्द से जल्द शुरू किया जा सके।

Thursday 18 December 2014

दस रुपए में मजदूरों को खाना देगी यूपी सरकार


बलिराम सिंह

उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को दस रुपये में दोपहर का भोजन मिलेगा। लंच टिफिन की शुरुआत नए साल में लखनऊ से होने जा रही है। इसके बाद यह योजना इलाहाबाद व अन्य जिलों में भी लागू की जाएगी। प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री शाहिद मंजूर ने बुधवार को केपी मैदान में आयोजित साइकिल वितरण समारोह में यह घोषणा की।उन्होंने कहा कि यह योजना कई चरणों में लागू होगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत राजधानी से होगी। दूसरे चरण में इलाहाबाद व कानपुर सहित कई जिलों में यह योजना शुरू की जाएगी।

Wednesday 17 December 2014

बराक ओबामा के लिए खुल सकती है ताजमहल की कब्र


-गणतंत्र दिवस पर भारत दौरा के दौरान आगरा भी जाएंगे ओबामा
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए दुनिया के सातवें अजूबा ताजमहल में मुगल शहंशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज महल की मुख्य कब्रें खोली जाएंगी। इस बाबत अमेरिका से विशेषज्ञों की एक टीम ने ताजमहल का दौरा किया है। सुरक्षा विशेषज्ञों ने आगरा एयरपोर्ट से ताजमहल तक सुरक्षा का जायजा लिया।
बता दें कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति आगरा भी आ सकते हैं। उनके संभावित कार्यक्रम के चलते निरीक्षण और व्यवस्थाओं का जायजा लेने को 40 सदस्यीय अमेरिकी टीम कल आगरा पहुंची। टीम करीब डेढ़ घंटे वहां रही और सुरक्षा के साथ प्लेन की लैंडिंग, रेस्ट रूम समेत अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी ली। इसके बाद टीम होटल अमर विलास पहुंची और प्रेसीडेंसियल सुइट देखे। इसके बाद टीम ताज पहुंची। ताज में पूर्वी गेट से लेकर मुख्य गुंबद तक पहुंचने और लौटने के बारे में टीम ने जानकारी जुटाई।
 इस दौरान टीम ने ताज में तहखाने में स्थित मुख्य कब्रों के खुलने को लेकर जानकारी जुटाई। ताज के तहखाने में स्थित मुख्य कब्रें शहंशाह शाहजहां के उर्स के दौरान ही तीन दिन के लिए खुलती हैं। अभी तक किसी वीआइपी के लिए मुख्य कब्रें नहीं खोली गई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक के आदेश पर ही इन्हें खोला जा सकता है।

Monday 15 December 2014

सांसद आदर्श गांव के तहत आचार्य हजारी प्रसाद द्विेदी के गांव का चयन


बलिराम सिंह, नई दिल्ली

हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान आचार्य हजारी प्रसाद द्विेदी के गांव ओझवलिया को सांसद आदर्श गांव के तौर पर विकसित किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के बलिया संसदीय क्षेत्र के सांसद भरत सिंह ने इस गांव का चयन किया है। गंगा किनारे स्थित इस गांव के विकास के लिए स्थानीय सांसद ने गांववासियों से सलाह मशविरा किया और विकास की योजना बनाई है।
गांव के विकास के लिए तीन समितियां बनाई जाएंगी। पहली समिति महिला और विकलांग बच्चों के लिए होगी, दूसरी समिति सामान्य लोगों के लिए तथा तीसरी समिति वरिष्ठ लोगों के लिए कार्य करेगी। गांव के विकास के लिए बलिया से बाहर रहने वाले लोगों का भी सहयोग लिया जाएगा।
विकास कार्य की योजना-

योजना के तहत यहां पर स्वच्छता के लिए प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल में महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय का निर्माण कराया जाएगा। इसके अतिरिक्त गांव में बैंक, हाईस्कूल, इंटर कालेज, चिकित्सालय, खेल का मैदान आदि का भी निर्माण कराया जाएगा।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विेदी, एक नजर-

जन्म-19 अगस्त, 1907, मृत्यु- 19 मई, 1979
कृति- कबीर, वाणभट्ट की आत्म कथा, साहित्य की भूमिका, आलोक पर्व इत्यादि
सम्मान- वर्ष 1957 में पद्म भूषण , 1973 में साहित्य अकादमी अवार्ड 

Thursday 11 December 2014

एनसीआर के 10 हजार स्कूलों में बालिकाओं के लिए नहीं है टॉयलेट


दिल्ली के 3.5 फीसदी स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे
-हरियाणा की स्थिति सबसे खराब, 16 फीसदी स्कूलों में सिंगल टीचर
-यूपी के अंतर्गत आने वाले एनसीआर इलाकों में शैक्षणिक संस्थान सर्वाधिक
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

देश की राजधानी को भले ही एजुकेशन हब बनाने का सपना देखा जा रहा है, लेकिन दिल्ली सहित पूरे एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के 10 हजार स्कूलों में बालिकाओं के लिए टॉयलेट नहीं है। ऐसे में इन लड़कियों को टॉयलेट के लिए कॉमन टॉयलेट का उपयोग करना पड़ता है।
एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के वर्ष 2021 के लिए तैयार किए गए रिजनल प्लान के ड्रॉफ्ट में शैक्षणिक ढांचा को भी शामिल किया गया है। जिसमें बताया गया है कि एनसीआर क्षेत्र में निजी और सरकारी मिलाकर कुल 28284 स्कूल हैं। इनमें से 369 स्कूल ऐसे हैं, जो मात्र एक कमरे में चलते हैं। इसके अलावा एक-एक अध्यापकों (सिंगल टीचर्स) के भरोसे 1321 स्कूल चल रहे हैं। इसी तरह 10012 स्कूलों (35.4 फीसदी) में लड़के और लड़कियों के लिए कामन टॉयलेट ही उपयोग करना पड़ता है।
आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आने वाले एनसीआर के इलाकों (मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर इत्यादि) में मात्र एक फीसदी से भी कम स्कूल सिंगल क्लासरूम वाले हैं। हालांकि मेरठ और बुलंदशहर में यह संख्या कुछ ज्यादा है। इसके विपरीत दिल्ली में यह आंकड़ा 3.5 फीसदी है। इसी तरह राजस्थान में 4.4 फीसदी और सर्वाधिक सिंगल क्लास वाले स्कूल हरियाणा में हैं। हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र (फरीदाबाद, गुडग़ांव, पलवल, रेवाड़ी इत्यादि) में स्थित 16 फीसदी स्कूल सिंगल क्लास वाले हैं।
दिल्ली की ज्यादा आबादी-

एनसीआर क्षेत्र में स्थित दिल्ली के अलावा यूपी, राजस्थान और हरियाणा के भी इलाके शामिल हैं। लेकिन इनमें सर्वाधिक आबादी दिल्ली की है। वर्ष 2011 के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की आबादी 1.67 लाख, हरियाणा के अंतर्गत आने वाले इलाकों की आबादी 1.10 लाख, राजस्थान के अंतर्गत आने वाले इलाकों की आबादी 36 लाख और यूपी के अंतर्गत आने वाले इलाकों की आबादी 1.45 लाख है। हालांकि दिल्ली में शिक्षा का स्तर 86.3 फीसदी, हरियाणा के इलाकों में 78.2 फीसदी, यूपी के इलाकों की 77.7 फीसदी और राजस्थान के इलाकों की 71.7 फीसदी है।
उच्च शैक्षणिक संस्थान-
एनसीआर के क्षेत्र - कॉलेज - तकनीकी -वोकेशनल - मेडिकल कॉलेज

दिल्ली    - 101    - 90    - 93    -  42
यूपी     - 279    -336    - 317   -  62
हरियाणा  -  74    -289    - 434  -   28
राजस्थान -   99    - 31    - 183  -    11
कुल    - 553    - 746    - 1027  - 143

Monday 8 December 2014

मफलरमैन रिटर्नस ने सुपरमैन-स्पाइडरमैन को पीछे धकेला

-आप कार्यकत्र्ताओं के लिए मफलरमैन बना सबसे बड़ा नायक
-दो सप्ताह से सोशल मीडिया पर छाया मफलरमैन
बलिराम सिंह , नई दिल्ली

सुपरमैन, स्पाइडर मैन, हिमैन और बैटमैन के बाद अब आम आदमी पार्टी के कार्यकत्र्ता अपने बच्चों को मफलरमैन में रूचि बढ़ा रहे हैं। सोशल मीडिया में आप नेता अरविंद केजरीवाल पिछले दो सप्ताह से मफलरमैन रिटर्नस के नाम से छाए हुए हैं। टिवट्र पर तो मफलरमन ने मोदी को 10वें पायदान पर धकेल दिया है। हालांकि फॉलोअर्स के मामले में अभी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फॉलोअर्स की संख्या केजरीवाल की अपेक्षा तीन गुना ज्यादा हैं।
फेसबुक, टिवट्र जैसे सोशल मीडिया पर में हर जगह पर अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को टक्कर दे रहे हैं। आप कार्यकत्र्ता केजरीवाल को भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे ज्यादा मजबूती से आवाज उठाने वाला नायक बताया जा रहा है। फेसबुक पर मफलरमैन रिटर्नस नाम से शुरू किए गए पेज को अब तक 1649 लोग लाइक कर चुके हैं। इसी तरह ट्विटर पर दिखाए जा रहे ट्रेंड में पहले पायदान पर मफलरमैन है, जबकि 10वें पायदान पर मोदी हैं। हालांकि ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आप नेता अरविंद केजरीवाल के फॉलोवर्स की तुलना की जाए तो फिलहाल नरेन्द्र मोदी से केजरीवाल काफी पीछे हैं। अरविंद केजरीवाल के फिलहाल 29 लाख 50 हजार फॉलोवर्स हैं, जबकि इससे तीन गुना ज्यादा फॉलोवर्स नरेन्द्र मोदी (84 लाख 60 हजार) के हैं।
खास बात यह है कि ट्विटर पर मफलरमैन का तेजी से खास आदमी नामक पेज पीछा कर रहा है।  मफलरमैन के विपरीत खास आदमी पेज पर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के खिलाफ ज्यादा कमेंट आ रहे हैं। यहां पर केजरीवाल और उनकी टीम की पूर्व स्थिति और वर्तमान से संबंधित फोटो व अन्य कमेंट किए जा रहे हैं। खास आदमी पेज पर सर्वाधिक चर्चा अरविंद केजरीवाल के बिजनेस क्लास में बैठ कर हवाई यात्रा करने पर कमेंट आ रहे हैं।
मफलरमैन रिटर्न पेज पर कुछ खास पोस्ट-
-सुपरमैन, स्पाइडरमैन, हिमैन और बैटमैन के बाद अब रियल हीरो मफलरमैन
-निकरमैन (नरेन्द्र मोदी) बनाम मफलरमैन (केजरीवाल)
-मफलरमैन को रोकने के लिए मोदी, मीडिया, 200 सांसद, 300 दिल्ली के नेता और संघ के 15 हजार कार्यकत्र्ताओं का दिल्ली में जमावड़ा होने वाला है।

Saturday 6 December 2014

गरीब मरीजों के इलाज के प्रति उदासिन हुआ स्वास्थ्य मंत्रालय


-एम्स, सफदरजंग, आरएमएल सहित तीन अस्पतालों में गरीब मरीजों को मिलने वाली धनराशि में गिरावट
-तीन सालों में राष्ट्रीय आरोग्य निधि में 80 लाख रुपए की आई कमी
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों की तादाद रोजाना बढ़ती जा रही है, लेकिन दूसरी ओर गरीब मरीजों को मिलने वाले आर्थिक मदद में कमी आ गई है। पिछले तीन वर्षों के दौरान दिल्ली के तीन बड़े अस्पतालों में राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत मिलने वाली धनराशि में गिरावट दर्ज की गई है, जो कि चिंताजनक है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा द्वारा पार्लियामेंट में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, सफदरजंग अस्पताल और डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले गरीब मरीजों को राट्रीय आरोग्य निधि के तहत दी जा रही आर्थिक मदद में तीन सालों के दौरान 80 लाख रुपए की कमी आई है। वर्ष 2011-12 के दौरान इन तीनों अस्पतालों को इस निधि के तहत 290 लाख रुपए दिए गए। इसी तरह वर्ष 2012-13 में 265 लाख रुपए, वर्ष 2013-14 में 210 लाख रुपए दिए गए। इसके अलावा वर्ष 2014-15 में 30 नवंबर तक इस निधि के एम्स और लोहिया अस्पताल को मात्र 110 लाख रुपए दिए गए।
इसी तरह वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत स्वास्थ्य मंत्री कैंसर रोगी निधि के तहत भारतीय रोटरी कैंसर संस्थान (एम्स) को मात्र 20 लाख रुपए दिए गए। खास बात यह है कि वर्ष 2012-13 और 2013-14 में संस्थान को एक भी पैसा नहीं मिला। हालांकि इस मामले में एम्स के प्रवक्ता डॉ.अमित गुप्ता का कहना है कि वह इस मामले में संस्थान के अकाउंट ऑफिसर से बात करने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।
पूर्व मंत्री की दलील-
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येन्द्र जैन का कहना है कि किसी भी गरीब मरीज को राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत आर्थिक सहयोग करने का विशेषाधिकार केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पास होता है। मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के पास चुनावी प्रचार में व्यस्त होने की वजह से इस गंभीर मामले पर ध्यान देने के लिए समय नहीं है।
आंकड़ें-
वर्ष 2011-12-
एम्स-160 लाख रुपए
सफदरजंग अस्पताल-80 लाख रुपए
डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल-50 लाख रुपए
वर्ष 2012-13-
एम्स- 160 लाख रुपए
सफदरजंग अस्पताल-80 लाख रुपए
लोहिया अस्पताल-25 लाख रुपए
वर्ष 2013-14-
एम्स- 140 लाख रुपए
सफदरजंग अस्पताल-60 लाख रुपए
लोहिया अस्पताल- 10 लाख रुपए
वर्ष 2014-15- (30 नवंबर तक)-
एम्स-100 लाख रुपए
लोहिया अस्पताल - 10 लाख रुपए

Monday 1 December 2014

विश्व एड्स दिवस -डॉक्टर ने कहा-एक साल में मर जाओगे, मरीज ने कहा-जी कर दिखाऊंगा


जीने की ललक ने दी एचआईवी को मात
-संयमित जीवन, सही खुराक, रेगुलर दवा से लंबे समय तक जी सकते हैं एचआईवी मरीज
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

जब जीने की हो ललक, तो मौत भी हार जाती है। ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि तीन उदाहरण हैं। जिसमें डॉक्टर ने एचआईवी रोगी से कहा कि तुम दो साल में मर जाओगे और रोगी ने पलटकर डॉक्टर से कहा कि मैं तुम्हें जी कर दिखाऊंगा। ये रोगी जीये ही नहीं बल्कि समाज के लिए एक मिसाल बनकर सामने आए हैं। जिन्होंने बीमारी की जंग से जूझते हुए ना केवल खुद को संभाला, बल्कि अपने सामाजिक दायित्व भी बखूबी निभा रहे हैं।
कस्तूरबा गांधी अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मचारी के तौर पर कार्यरत राजू नामक कर्मचारी का कहना है कि वर्ष 2003 में उन्हें बीमारी के बारे में पता चला। उसी दौरान उनकी पत्नी के भी एचआईवी पॉजिटीव की जानकारी मिली। राजू का कहना है कि वर्ष 2003 में किंग्सवे कैंप स्थित राजन बाबू टीबी अस्पताल में जांच के दौरान डॉक्टर ने कहा था कि एक-दो साल में उसकी मौत हो जाएगी। स्थिति अत्यधिक गंभीर है। लेकिन राजू ने तुरंत पलटकर डॉक्टर को जवाब दिया था कि वह जी कर दिखाएगा।
आज राजू को बीमारी के बारे में पता चले 11 साल हो गए, लेकिन राजू का स्वास्थ्य पूरी तरह से फिट है। 40 वर्षीय राजू का कहना है कि वह पूरी तरह से संयमित जीवन व्यतीत करते हैं। समय से भोजन और दवा लेते हैं और समय से आराम करते हैं। वह प्रोटीन युक्त भोजन पर जोर देते हैं। मंूग की दाल मिक्स खिचड़ी, हरी पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन, मूली और मूली की पत्ती, पहले रोजाना एक अंडा, दलिया जैसे खाद्य पदार्थ को भोजन में लेता हूं। इसके अलावा रोजाना मार्निंग वाकिंग और एक्सरसाइज भी करते हैं। राजू का कहना है कि पहले वह दोनों टाइम दवा लेते थें, लेकिन अब मात्र एक टाइम ही दवा लेते हैं।
सामाजिक दायित्व-
राजू के तीन बच्चे हैं। बड़ी बिटिया की उन्होंने शादी कर दी है। इसके अलावा अपनी पत्नी का भी ख्याल रखते हैं। राजू की पत्नी का वजन राजू के अपेक्षा 5 किलोग्राम अधिक है। राजू कहते हैं कि खुद की तरह उनकी पत्नी भी संयमित जीवन व्यतीत करती हैं।
दूसरा मामला (20 साल बाद भी फिट हैं हरि सिंह)-

एचआईवी-एड्स रोगियों की काउसलिंग करने वाले हरि सिंह को वर्ष 1994 में ही 25 वर्ष की आयु में एचआईवी पीडि़त होने की जानकारी मिली। लेकिन 20 साल बाद आज भी हरि सिंह पूरी तरह से फिट हैं। हरि सिंह न केवल खुद को फिट रखने के लिए समय से जांच और समय से दवाइयां लेते हैं, बल्कि दूसरे एचआईवी पीडि़तों की भी काउंसलिंग करते हैं। हरि सिंह के बारे में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अनिल बंसल कहते हैं कि हरि सिंह एचआईवी पीडि़तों के लिए एक नजीर हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में वह डीएमए के अध्यक्ष थे और इसी दौरान हरि सिंह से उनकी मुलाकात हुई थी। वर्ष 2003 में डॉक्टरों और हरि सिंह की अगुवाई में एचआईवी पीडि़तों के बीच क्रिकेट मैच खेला गया था, जिसमें हरि सिंह की टीम ने डॉक्टरों को हरा दिया था।
कोट्स-

सही काउसलिंग, संयमित जीवन, दवा की सही खुराक और सही जानकारी इस बीमारी से निपटने का मूल मंत्र है। एचआईवी पीडि़तों के लिए हरि सिंह एक नजीर हैं। मरीजों को हरि सिंह से सिख लेना चाहिए।-डॉ.कुलदीप कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, एम्स