Wednesday 24 August 2016

#Krishna भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन में दुनियाभर से आते हैं श्रद्धालु




बलिराम सिंह, नई दिल्ली
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में खूब सजाया गया है। दुिनया भर से श्रद्धालु यहां के मंदिरों में भगवान का दर्शन करने आते हैं। यहां पर श्रीमद् भागवत भवन, श्रीकृष्ण जन्मभूमि (कटरा केशवदेव), श्रीद्वारकाधीश मंदिर, श्री यमुना मंदिर एवं विश्रामघाट, सती बुर्ज, पोतरा कुंड, बिड़ला मंिदर, बांके बिहारी मंिदर, इस्कॉन मंदिर इत्यादि स्थित हैं।
श्रीमदभागवत भवन-
श्री कृष्ण जन्मभूमि पर एक विशाल श्रीमद् भागवत भवन का अद्वितीय निर्माण किया गया है जिसमें श्री राधा कृष्ण, श्री लक्ष्मीनारायण एवं जगन्नाथजी के विशाल मनोहर दर्शन हैं। यहाँ पारे का एक शिवलिंग अनोखा आकर्षण है। माँ दुर्गे एवं हनुमान जी की भी मूर्तियाँ स्थापित है। महामना पं. मदनमोहन मालवीय, श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्धार एवं बिड़लाजी की आदम-कद मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। विद्युत चालित मूर्तियों से श्री कृष्ण लीलाओं के बड़े ही सुन्दर व मनोहारी दर्शन कराए जाते हैं। श्रावण मास व भाद्रपद मास में यहाँ बड़ा भारी मेला लगता है। श्रीकृष्ण जन्म का समारोह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है एवं रास लीलाएँ कई दिनों तक होती हैं। क्वार के महीने में यहाँ के रंगमंच पर श्री राम लीलाएँ कई दिनों तक होती हैं। क्वार के महीने में यहाँ के रंगमंच पर श्री राम लीलाएँ होता हैं। ट्रस्ट द्वारा श्रीकृष्ण संदेश नामक पत्रिका एवं अन्य ग्रन्थों का प्रकाशन भी किया जाता है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि (कटरा केशवदेव)-
सभी प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा यह प्रमाणित हो गया है कि कटरा केशवदेव, राजा कंस का भवन रहा था और भगवान श्री कृष्ण का जन्म यहीं हुआ था। यही प्राचीन मथुरा बसी हुई थी। इससे पूर्व मधु नाम के राजा ने श्री मधुपुरी बसाई थी, वह आज महोली के स्थान पर थी। यही बात विदेशी यात्रियों की पुस्तकों से भी प्रमाणित होती है। यहाँ पर समय-समय पर अनेक बार भव्य मंदिरों का निर्माण होता रहा जिन्हें हर बार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किया जाता रहा है। अन्त में सन् 1669 ई. में औरंगजेब ने इस प्राचीन स्मारक को तोड़कर उसी के मलबे से ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया जो आज भी विद्यमान है। ब्रिटिश शासनकाल में ही यह समस्त जगह बनारस के राजा पटनीमल ने खरीद ली थी ताकि यहाँ फिर से श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण हो सके। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवं श्री जे.के. बिड़ला के प्रयत्नों से एक श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाया गया जिसने अब यहाँ एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया है। यहाँ आयुर्वेदिक औषधालय. पाठशाला, पुस्तकालय एवं भोजनालय और यात्रियों के ठहरने के लिए विशाल अतिथि गृह का निर्माण हो चुका है।
श्रीद्वारकाधीश मंदिर-
श्री केशवराम मन्दिर (कटरा केशवदेव) के सन् 1669 ई. में नष्ट हो जाने के बाद गुजराती वैश्य श्री गोकुलदास पारिख ने इस मंदिर का निर्माण कराके इस कमी को पूरा किया। असकुण्डा घाट के समीप बाज़ार में स्थित इस विशाल मंदिर का निर्माण सन् 1814-15 ई. के लगभग हुआ। इस मंदिर की व्यवस्था के लिए अचल सम्पति संलग्न है ताकि उसके किराये से मंदिर की सुचारु रुप से व्यवस्था होती रहे। इसकी सेवा-पूजा का करौली के पुष्टिमार्गीय गोसाईंयों द्वारा होती है। प्रसाद मंदिर में अपनी पाकशाला में तैयार होता है।
मन्दिर १०८ फीट लम्बी और १२० फीट चौड़ी कुर्सी पर स्थित है। स्थापत्य कला की दृष्टि से भी मंदिर का पर्याप्त महत्व है। कलात्मक भव्य विशाल द्वार के बाहर अनेक दूकाने हैं। अन्दर अनेक सुदृढ़ एवं कलात्मक स्तम्भों पर मध्य में विशाल मण्डप है जिसमें बहुरंगी कलाकृतियों एवं शीशे का काम देखने योग्य है। श्री द्वारिकानाथ की सुन्दर एवं आकर्षक चतुर्भुजी पद्म आयुध विद्यमान हैं। बाई ओर श्वेत स्फटिक की रुक्मिणीजी की सुन्दर प्रतिमा है।
यहाँ सावन में हिंडोले का उत्सव होता है, घटाओं के अति सुन्दर दर्शन होते हैं। जन्माष्टमी, होली, अन्नकूट आदि प्रमुख उत्सव हैं। श्री द्वारिकानाथजी की एक दिन में आठ बार झाँकियाँ होती हैं। चार बार प्रात:- मंगला, श्रृंगार, ग्वाल एवं राजभोग तथा चार बार सायं- उत्थान, भोग, संख्या आरती एवं शयन। मंगला आरती की झाँकी ६.३० बजे होती है तथा शयन के दर्शन ग्रीष्मकाल में ७ बजे तक और शीतकाल में ६.३० बजे तक खुले रहते हैं।
श्रीयमुना मंदिर एवं विश्राम घाट-
यह प्रमुख घाट नगरी के लगभग मध्य में स्थित है। इस घाट के उत्तर में १२ और दक्षिण में भी १२ घाट हैं। इस पर यमुनाजी का मन्दिर तथा आस-पास अन्य मन्दिर भी हैं। सायंकाल यमुनाजी की आरती का दृश्य मनोहारी होता है। ओरछा के राजा वीरासिंह देव ने इसी घाट पर ८१ मन सोने का दान किया था। जयपुर, रीवा, काशी आदि के राजाओं ने भी बाद में यहाँ स्वर्ण दान किए थे। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण-बलराम ने कंस का संहार करने के बाद यहीं विश्राम लिया था। चैत सुदी छठ को श्री यमुनाजी का जन्मोत्सव होता है तथा यमद्वितीया के दिन लाखों यात्री दूर-दूर से आकर यहाँ स्नान करते हैं। कहा जाता है कि अपने भाई यम से श्री यमुना महारानी ने इसी दिन तिलक करके वरदान लिया था कि जो भाई-बहिन इस दिन यहाँ स्नान करेंगे, वह यमलोक गमन नहीं करेंगे। इस घाट पर स्नान करने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार स्वरुप वस्रादी भेंट करते है।
सती बुर्ज- सन् १५७० ई. में राजा भगवानदास ने इस बुर्ज का उस स्थान पर निर्माण कराया था, जहाँ उनकी माँ राजा बिहारीमल की रानी सती हुई थीं। ५५ फीट ऊँचा यह चौखण्ड बुर्ज लाल पत्थर का बना विश्राम घाट के पास है।
पोतरा कुंड-
रीकृष्ण जन्मभूमि के पीछे पोतरा कुण्ड नामक एक प्राचीन विशाल तथा गहरा कुण्ड है जिसके बारे में कहा गया है कि यहाँ श्री कृष्ण के जन्म के समय उनके वस्र उप-वस्रों को धोया गया था। कुछ भी हो, यह कुण्ड वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण है। हो सकता है, इसके जल से नगर की जलापूर्ति होती हो। यह कुण्ड इस समय सूखा पड़ा है। इसका जीणोद्धार कुछ समय पहले ही हुआ है।
बिड़ला मंदिर-
ह मथुरा शहर से बाहर मथुरा वृन्दावन सड़क पर बिड़ला द्वारा बनवाया गया है। मन्दिर में पंञ्चजन्य शंख एवं सुदर्शन चक्र लिए हुए श्री कृष्ण भगवान, सीताराम एवं लक्ष्मीनारायणजी की मूर्तियाँ बड़ी मनोहारी हैं। दीवारों पर चित्र एवं उपदेशों की रचना दर्शकों का मन मोह लेती हैं। एक स्तंभ पर सम्पूर्ण श्रीमद् भगवद्गीता लिखी हुई है तथा स्थान-स्थान पर मूर्तियों आदि से सुसज्जित मन्दिर यात्रियों को भक्ति रस-विभोर कर देता है। समीप ही बिड़ला धर्मशाला भी है।
तीन मंिदरों में मनाई जाती है दिन में जन्माष्टमी-
तीन लोक से न्यारी मथुरा नगरी की सांस्कृतिक राजधानी वृन्दावन में अनूठी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यहां के तीन मंदिरों में जहां दिन में जन्माष्टमी मनाई जाती है वहीं यहां के शेष मंदिरों में रात में जन्माष्टमी मनाई जाती है।
राधारमण मंदिर, राधा दामोदर एवं शाहजी मंदिर और यहां तक बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर का पूजन अर्चन बालस्वरूप में किया जाता है। इसलिए मंदिर की सभी व्यवस्थाएं इस प्रकार की होती हैं कि लाला को किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसके कारण ही यहां के राधारमण, राधा दामोदर एवं शाहजी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दिन में मनाई जाती है जब कि बाल स्वरूप में सेवा होने के बावजूद बांकेबिहारी मंदिर में मंगला के दर्शन आधी रात बाद होते हैं।
बांके बिहारी मंदिर-
यहा के प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष रजत गोस्वामी ने आज यहां बताया कि मंदिर में मंगला के दर्शन आधी रात बाद इसलिए होते हैं कि स्वामी हरिदास की डाली परंपरा के अनुसार रात 12 बजे अभिषेक होता है और उसके बाद ही बिहारी जी महाराज का अभिषेक होता है।
श्री गोस्वामी ने बताया कि अभिषेक के बाद मंगला के दर्शन की परंपरा को स्वामी हरिदास ने ही प्रारंभ किया था तथा वर्तमान में गोस्वामी समाज मंदिर की सेवा पूजा में उसी परंपरा का निर्वहन करता है।
यहां दिन में मनाई जाती है जन्माष्टमी-
बालस्वरूप में सेवा होने के कारण वृन्दावन के तीन मंदिरों राधारमण, राधा दामोदर एवं शाह जी मंदिर में दिन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। वृन्दावन के प्राचीन राधारमण मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेश चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि श्रीकृष्ण का अवतरण तो आज से लगभग सवा पांच हजार वर्ष पहले ही हो गया था।
उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक प्रकार से श्रीकृष्ण के जन्म का साल गिरह है। जिस प्रकार बच्चे की साल गिरह पर उसे अच्छे से अच्छे कपड़े पहनाए जाते हैं तथा अच्छा भोजन और पकवान बनाया जाता है उसी प्रकार श्रीकृष्ण जन्म पर मंदिर को सजाने और नाना प्रकार के व्यंजन का भोग लगाने की परंपरा सैकड़ों साल से चली आ रही है और खुशहाल अवस्था में दिन में जन्माष्टमी मनाई जाती है।
ऐसे होता है अभिषेक-
आचार्य गोस्वामी जी ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सबसे पहले अभिषेक में भाग लेने वाले गोस्वामी संकीर्तन के मध्य यमुना जल लेकर आते हैं तथा पट खुलते ही अभिषेक शुरू हो जाता है । सबसे पहले ठाकुर का यमुना जल से अभिषेक करते हैं इसके बाद 27 मन दूध, दही, घी, बूरा, शहद, औषधियों, सर्वोषधियों, महौषधियों, फूल फल एवं अष्ट कलश से तीन घंटे से अधिक देर तक घंटे घडियाल एवं शंखध्वनि के मध्य अभिषेक किया जाता है।
उन्होंने बताया कि सबसे अंत में स्वर्ण पात्र में केसर घोलकर ठाकुर का उससे अभिषेक किया जाता है। इसके बाद मंदिर के गर्भ गृह पर पर्दा डालकर अंदर ठाकुर का श्रंगार करते हैं। बालस्वरूप में सेवा होने के कारण पुनः जब दर्शन खुलते हैं तो सारे कार्यक्रम इस प्रकार चलते हैं जैसे लाला का जन्म आज ही हुआ हो।
श्री गोस्वामी ने बताया कि ठाकुरजी को पहले यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है इसके बाद उन्हें माला धारण कराई जाती है। उसके बाद ठाकुर को न केवल काजल लगाया जाता है बल्कि राई नोन से उनकी नजर भी उतारते हैं। इसके बाद गेास्वामी वर्ग लाला की दीर्घ आयु के लिए उन्हें आशीर्वाद देता है।

(साभार-http://anoop-mishra.blogspot.in/2016/08/blog-post_61.html)

Labels: , , , , , , , , , ,

Saturday 20 August 2016

बदलती जीवनशैली: मासिक धर्म बंद होने से पहले ही हृदय रोग की चपेट में आने लगी भारतीय महिलाएं, 10 फीसदी वृद्धि

बलिराम सिंह, नई दिल्ली
बदलती जीवनशैली से हमारा दिल नाजुक होता जा रहा है। स्थिति ऐसी होती जा रही है कि मासिक धर्म बंद होने से पहले ही स्त्रियां हृदय रोग की चपेट में आ रही हैं। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के पांच साल की स्टडी रिपोर्ट में महिलाओं मंे हृदय से संबंधित बीमारियों में 10 फीसदी इजाफा हुआ है। इसके अलावा 40 साल से कम उम्र वाले लोगों में हृदय रोग से संबंधित 28 फीसदी समस्याएं बढ़ी हैं।
दिल्ली स्थित नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के सीईओ और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.अोपी यादव के मुताबिक मासिक धर्म बंद होने से पहले तक महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन उनके दिल की रक्षा करते हैं। चूंकि 50 से 55 की उम्र के बाद इन हार्मोंस का स्तर कम होने लगता है तो महिलाएं दिल के रोगों के मामले में पुरूषों के बराबर आने लगती हैं। लेकिन आज बदलती जीवन शैली की वजह से स्थितियां बदल रही हैं और मासिक धर्म बंद होने से पहले ही महिलाएं हृदय रोग की चपेट में आ रही हैं। इंस्टीट्यूट में 25 फीसदी महिलाओं की सर्जरी की गई।
बीमारी की चपेट में आने की वजह-
धूम्रपान, वजन कम करने के खतरनाक तरीके, आलसी जीवनशैली, अस्वस्थ खानपान, अत्यधिक तनाव और दिल के रोगों की जांच और इलाज के प्रति ध्यान ना देना है।
120444 मरीजों पर हुई स्टडी-
इंस्टीट्यूट में इलाज के लिए पिछले पांच सालों के दौरान कुल 120444 मरीज आए। इनमें से 40 साल से कम उम्र की 8902 महिलाएं और 40 साल से अधिक उम्र की 37727 महिलाएं शामिल थीं।
दुनिया की दिल के रोगों की राजधानी की ओर अग्रसर भारत-
डॉ.यादव के मुताबिक भारत धीरे-धीरे दुनिया की दिल की रोगों की राजधानी बनता जा रहा है। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट ने पिछले पांच सालों (2012 से 2016 तक)की स्टडी में यह पाया है कि भारतीयों में कोरोनरी हार्ट डिजीज में तेजी से वृद्धि हुई है। दुनिया के दूसरे हिस्सों की आबादी की तुलना में भारत में दिल के दौरे से मरने वालों की संख्या 4 गुना ज्यादा है। सबसे चिंता का विषय यह है कि भारत में अब छोटी उम्र में हृदय संबंधित बीमारियों के लक्षण और महिलाओं में इस बीमारी की वृद्धि चिंताजनक है। पश्चिमी देशों में लोगों ने जीवनशैली में सुधार करके इस समस्या को कम किया है। ज्यादातर भारतीय युवा शुगर और मोटापे का शिकार हो रहे हैं।
बरतें सावधानियां-
फलों और सब्जियों से भरपूर आहार लेना चाहिए। हर रोज 20 से 30 मिनट का चुस्त व्यायाम कम से कम सप्ताह में 3 दिन तो जरूर करें, ताकि दिल अच्छी तरह से काम करता रहे। इसके अलावा युवाओं के अलावा महिलाएं और पुरूष 35 साल की उम्र के बाद नियमित तौर पर स्वास्थ्य जांच कराए। 35 साल के बाद हर पांच साल में एक बार, 45 के बाद 2 साल में एक बार और 60 के बाद साल में एक बार स्वास्थ्य जांच जरूर करवाएं।

Labels: , , , , , , , , , , , , ,

Thursday 18 August 2016

मोदी सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन में की 5225 रुपए की बढ़ोतरी


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार ने देश की आजादी के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के पेंशन में 5225 रुपए की बढ़ोत्तरी की है। अब वर्ष में दो बार केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों पर लागू होने वाली महंगाई भत्ता प्रणाली स्वतंत्रता सेनानियों पर भी लागू होगी। अब तक औद्योगिक कामगारों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मौजूदा महंगाई राहत प्रणाली वार्षिक आधार पर स्वतंत्रता सेनानी पेंशनधारियों पर लागू होती थी।
अब स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना 1980 के तहत सभी स्वतंत्रता सेनानियों, जीवनसाथियों और मृत स्वतंत्रता सेनानियों के माता-पिता, योग्य पुत्री पेंशनधारियों को लाभ मिलेगा।
देश में है 11690 स्वतंत्रता सेनानी -
अब तक योजना के तहत कुल 171605 स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों को पेंशन स्वीकृत की गई है। फिलहाल इसके दायरे में 37981 स्वतंत्रता सेनानी और उनके योग्य आश्रित पेंशानधारी आते हैं। इनमें से 11690 खुद स्वतंत्रता सेनानी हैं। इसके अलावा 24792 जीवनसाथी (विधवा अथवा विधुर) और 1499 पुत्री पेंशनधारी हैं।
समय-समय पर शुरू की गई योजनाएं-
वर्ष 1969 में भारत सरकार ने पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में पूर्व अंडमान राजनीतिक बंदी पेंशन योजना शुरू की थी। वर्ष 1972 में हमारी स्वतंत्रता की 25 वीं वर्षगांठ की स्मृति में स्वतंत्रता सेनानियों की पेंशन के लिए एक नियमित योजना शुरू की गई थी। इसके बाद 1 अगस्त 1980 से प्रभावी होने वाली स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना नामक एक उदार योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत स्वतंत्रता सेनानियों के अलावा मृत स्वतंत्रता सेनानियों के जीवनसाथी (विधवा अथवा विधुर), अविवाहित और बेरोजगार पुत्रियों (एक समय में अधिकतम तीन) और माता-पिता पेंशन के लिए योग्य हैं।
नई पेंशन योजना, एक नजर-
पूर्व अंडमान राजनीतिक बंदी पेंशन अथवा जीवनसाथी- 24775 से बढ़ाकर 30 हजार रुपए
ब्रिटिश राज्य से बाहर पीड़ित स्वतंत्रता सेनानी अथवा जीवनसाथी-23085 से बढ़ाकर 28 हजार रुपए
आईएनए सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानी अथवा जीवनसाथी-21395 से बढ़ाकर 26 हजार रुपए
आश्रित माता –पिता            - 3380 रुपए से बढ़ाकर 13 हजार से 15 हजार रुपए के बीच
आश्रित पुत्रियां                - 5070 रुपए से बढ़ाकर 13 हजार से 15 हजार रुपए के बीच

Labels: , , , , , , , ,

Wednesday 17 August 2016

काॅमन सर्विस सेंटर के जरिए दूर कीजिए बेरोजगारी

बलिराम सिंह, नई दिल्ली
यदि आप बेरोजगार हैं और अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो आप मात्र 2 से ढाई लाख रुपए की लागत से अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं और प्रति महीने 15 से 20 हजार रुपए की कमाई कर सकते हैं। केंद्र सरकार पूरे देशभर में 1.6 लाख कॉमन सर्विस सेंटर (csc) खोलने जा रही है।
ये है कॉमन सर्विस सेंटर-
नेशनल ई-गवर्नेंस प्‍लान के तहत सरकार सभी सरकारी सर्विस सस्‍ती दर पर लोगों के दरवाजे तक पहुंचाना चाहती है। इसी उद्देश्य को हासिल करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड टैक्‍नोलॉजी ने कॉमन सर्विस सेंटर खोले जाने हैं। एक सीएससी में सरकारी, प्राइवेट और सोशल सेक्टर जैसे टेलीकॉम, एग्रीकल्चर, हेल्थ, एजुकेशन, एफएमसीजी प्रोडक्ट, बैंकिंग और फाइनेंसियल सर्विस, सभी तरह के प्रमाणपत्र, आवेदन पत्र और यूटिलिटी पेमेंट की जा सकती है। आने वाले दिनों में एक सीएससी में 300 से अधिक सेवाएं प्राप्त होंगी।
सेंटर खोलने के लिए आवश्यक जरूरतें-
यदि आप सीएससी खोलना चाहते हैं तो आपके पास कम से 100 से 150 वर्ग फुट का जगह होना चाहिए। इसके अलावा कम से एक कंप्‍यूटर (ups के साथ), एक प्रिंटर, डिजिटल / वेब कैमरा, जनसेट या इनवर्टर या सोलर पैनल, ऑपरेटिंग सिस्‍टम और एप्‍लीकेशन सॉफ्टवेयर, ब्रांडबैंड कनेक्‍शन होना चाहिए। ऐसे में आपको 2 से ढाई लाख रुपए का इंवेस्‍टमेंट करना होगा।
सीएससी के लिए आधार नंबर जरूरी-
सीएससी बनने के लिए आपके पास आधार नंबर होना जरूरी है। जिसके जरिए आप https://csc.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। उसके आधार पर आपको ओटीपी नंबर मिलेगा। जिसके जरिए आप सीएससी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यदि आप ऑफलाइन आवेदन करना चाहते हैं कि तो ग्राम पंचायत या नगर पंचायत स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जा रहा है। आपको इस कमेटी के पास आवेदन करना होगा, जो आपके प्रपोजल की स्‍टडी करने के बाद आपको सीएससी का लाइसेंस मिल जाएगा।
सीएससी पर ये मिलेंगी सेवाएं-
सीएससी में pan card, आधार कार्ड, इलेक्शन कार्ड जैसे मतदाता सूची में नाम जुड़वाना, पहचान पत्र, पासपोर्ट बना सकते हैं। इसके अलावा आप मोबाइल रिचार्ज, मोबाइल बिल पैमेंट, डीटीएच रिचार्ज, इंसटेंट मनी ट्रांसफर, डाटा कार्ड रिचार्ज, सीएससी बाजार, एलआईसी प्रीमियम, रेड बस, एसबीआई लाइफ, बिल क्‍लाउड जैसी प्राइवेट सर्विस भी आप प्रोवाइड करा सकते हैं। सीएससी में बैंकिंग, इंश्‍योरेंस और पेंशन सर्विस भी दी जा सकती है। सीएससी में प्रोढ़ शिक्षा कार्यक्रम, डिजिटल लिटरेसी प्रोग्राम, वोकेशनल व स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जा सकती है। किसानों को मौसम की जानकारी व मिट्टी की जांच जैसी सर्विस भी सीएससी के माध्‍यम से दी जाएगी। इतना ही नहीं, टेलीमेडिसन सर्विस भी लोगों को प्रोवाइड कराई जा सकती है।

Labels: , , , , , , , , , , , , ,

Sunday 14 August 2016

ऑनलाइन चंदे से केड़िया गांव में खुला बिहार का पहला सोलर कोल्ड स्टोरेज


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
बिहार का पहला सौर शीतगृह (सोलर कोल्ड स्टोरेज) बिहार के जमुई जिला के केड़िया गांव में शुरू हो गया है। बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय प्रकाश ने सोलर शीतगृह का उद्घाटन किया। बता दें कि केड़िया गांव के किसान पिछले दो सालों से प्राकृतिक खेती के जरिए देश के किसानों के लिए एक उदाहरण पेश किया है। सोलर चालित शीतगृह के लगने के बाद वहां के किसानों के जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो गया है।
लगभग 12 लाख रुपए की लागत में इस प्लांट को स्थापित किया गया है। आईआईटी खड़गपुर के युवा इंजीनियरों ने इस प्लांट को विकसित किया है, जो कि सामान्य सौर शीतगृह से उन्नत है। इसमें सब्जी के रखरखाव के लिए किसान को रोजाना 50 पैसे एक कैरेट (25 किलोग्राम) सामान के लिए भुगतान करना होगा। इसे हाइब्रिड टेक्नॉलाॅजी के तहत विकसित किया गया है, ताकि बारिश अथवा सर्दियों में इस प्लांट को बिजली अथवा डीजल से चलाया जा सके। इस तकनीक में बैट्री के बजाय थर्मल प्लेट का इस्तेमाल किया गया है।
ऑनलाइन चंदा से स्थापित हुआ कोल्ड स्टोरेज-
सौर ऊर्जा से संचालित होने के अलावा, इस शीतगृह की सबसे खास बात यह है कि यह देश भर के लोगों के सहयोग का प्रतीक है। इस शीतग्रह को ऑनलाइन चंदा इकट्ठा करके स्थापित किया गया है। देश में कृषि उत्पाद का लगभग 40 फीसदी नष्ट हो जाता है क्योंकि किसानों के पास उत्पादन के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं है । लेकिन ग्रीनपीस इंडिया ऑनलाइन क्राउडफंडिग करके केड़िया के किसानों के लिए सोलर शीतगृह लगाने में कामयाब रहा। ग्रीनपीस के इस मुहिम में बॉलीवुड से जुड़े कई हस्तियां जैसे वहीदा रहमान, पुजा बेदी, पंकज त्रिपाठी व सलीम मर्चेंट ने वीडियो जारी कर लोगों से केड़िया के किसानों की मदद करने की अपील की।
पैदावार का भंडारण सुगम-
कोल्ड स्टोरेज (शीतगृह) के खुलने से केड़िया गांव के किसान अपनी पैदावार का भंडारण आसानी से कर सकते हैं। उन्हें इन उत्पादों को बाजार में अपनी शर्तों पर बेचने का मौका मिलेगा। किसानों को आर्गेनिक उत्पादों के एवज में उचित कीमत मिल सकेगी, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी। इसके अलावा किसान अपने पारंपरिक बीजों को संरक्षित कर सकेंगे। सोलर से संचालित यह कोल्ड स्टोरेज केड़िया के किसानों द्वारा पर्यावरणीय, इकोलॉजिकल कृषि को अपनाने की कोशिश को मजबूत बनाएगा।
गांव की किसान सुनीता देवी कहती हैं कि अभी तक हम व्यापक तौर पर सब्ज़ी इसलिए नहीं उपजाते थे कि हमें इसके बर्बाद होने का डर रहता था, अब चूँकि हमारे गाँव में सोलर कोल्ड स्टोरेज लग गया है तो हमने अधिक सब्ज़ी की खेती शुरू कर दी है। अब हमें ना ही सब्ज़ी सड़ने का डर है, न हमें अपना उत्पाद औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा। अब तो हम बाज़ार में बेहतर क़ीमत आने का इंतज़ार कर सकते हैं।
समिति बनाकर आगे बढ़ रहे हैं किसान-
केड़िया के सभी किसानों ने जीवित माटी किसान समिति में जुड़ कर अपने गाँव को बिहार सरकार की कृषि योजनाओं से जुड़कर ही आदर्श जैविक गाँव बनाने का निर्णय लिया है। मिट्टी को स्वस्थ बनाने के लिए वे अपने खेतों में वर्मीखाद, अमृत पानी, जीवामृत, घन जीवामृत, गौमूत्र और मानव मूत्र जैसे रसायन-मुक्त उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फसलों पर लगने वाले कीड़ों और बीमारियों से बचाने के लिए वे नीमामृत, अग्निअस्त्र, तम्बाकू के चूर्ण से बने कीट नियंत्रक दवाईयों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें जिला प्रशासन का पूरा सहयोग प्राप्त है। फिलहाल इस तरह के प्लांट के लिए केंद्र सरकार 30 फीसदी सब्सिडी दे रही है, जबकि बिहार सरकार 15 फीसदी सब्सिडी देगी। इस तरह के प्लांट छत्तीसगढ़ के अलावा दक्षिण भारत के गांवों में लगने शुरू हो गए हैं, लेकिन उत्तर भारत में जागरूकता का अभाव है।
रासायनों के इस्तेमाल से आजादी की शुरूआत-
ग्रीनपीस के कैम्पैनेर इश्तियाक अहमद का कहना है, ‘देश की आजादी के वर्षगांठ के कुछ दिन पहले हम केड़िया के किसानों के साथ एक नई आज़ादी का जश्न मना रहे हैं। यह आज़ादी है- रसायनों के दुष्प्रभाव से, ऊँची लागत और जानलेवा कर्ज से, मौसम और बाजार की स्थितियों की अनियमितता से और औने-पौने दामों में बेचने की मजबूरी से।
नोट- किसी तरह की जानकारी के लिए मेल आईडी के जरिए संपर्क कर सकते हैं।  ishteyaque.ahmed@greenpeace.org

Labels: , , , , , , , , , , , ,