Monday, 12 September 2016

मिलिये इस किसान से, गेहूं- धान-गन्ना की नई प्रजाति से लेकर सस्ती कंबाइन मशीन व मोबाइल सोलर पम्प तक बना दिए आज्ञाराम वर्मा




बलिराम सिंह, नई दिल्ली
एक किसान जो मात्र 12वीं तक कला वर्ग से पढ़ाई की, पारिवारिक समस्या की वजह से बीए की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और पिता के साथ खेती में जुट गया। आज इस किसान को पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रगतिशील किसान के तौर पर जाना जाता है, इन्होंने पिछले 15 सालों के दौरान गेहूं-धान, गन्ने की नई प्रजाति, नई कम्बाइन मशीन और अब मोबाइल सोलर पम्प भी विकसित कर दिया है। हम बात कर रहे हैं दिल्ली से लगभग 700 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला निवासी आज्ञाराम वर्मा की, जिन्हें कुछ महीना पहले राष्ट्रपति भवन में भी आमंत्रित किया गया।
वर्ष 2004 में नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज में आयोजित किसान मेले में आज्ञाराम वर्मा को आने का मौका मिला और यहां से मिली प्रेरणा के जरिए आज्ञा राम वर्मा ने उन्नत खेती और इनोवेशन (आविष्कार) की सीढ़ियां चढ़नी शुरू कर दी। इन्होंने न केवल गेहूं, धान और गन्ना की नई प्रजाति विकसित की है, बल्कि गेहूं काटने की सस्ती कम्बाइन मशीन और माेबाइल सोलर पम्प भी विकसित किए हैं, जो किसानों के लिए काफी फायदेमंद हैं।  
मोबाइल सोलर पम्प का इनोवेशन-
आज्ञाराम वर्मा ने हाल ही में मोबाइल सोलर पम्प विकसित किया है। यह सोलर पम्प सामान्य पम्पों से अलग है। इसे अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर सिंचाई के लिए उपयोग कर सकते हैं। सिंचाई के बाद इसे घर पर लाकर रखा जा सकता है। ताकि सुरक्षित रहे। सिंचाई में उपयोग न करने की स्थिति में इसे घरेलू उपयोग में लाया जा सकता है। दूसरे किसानों को भी इससे सहयोग किया जा सकता है। 
गेहूं की कटाई के लिए सस्ती कम्बाइन मशीन बनाया-
आज्ञाराम वर्मा ने गेहूं की कटाई के लिए कम्बाइन मशीन भी विकसित की है, जिसकी लागत सामान् मशीनों से बहुत कम है। इसे मात्र 2 लाख 75 हजार रुपए की लागत से निर्मित किया गया है। जिसका वजन 18 कि्वंटल है। अन्य मशीनों की तुलना में लगभग 5 गुना सस्ती है। मशीन की खराबी को स्वयं ठीक किया जा सकता है। इसके लिए अधिक पॉवर के ट्रैक्टर की आवश्यकता नहीं है। यह मशीन गेहूं की फसल को जड़ से काटती है। ऐसे में फसल अवशेष को जलाने की जरूरत नहीं है और मवेशियों के लिए भूसा भी मिलेगा।
मशीन की खूबियां-
मशीन द्वारा मात्र एक घंटे में लगभग एक एकड़ खेत की कटाई की जा सकती है। सात फिट चौड़े कटर से युक्त इस मशीन में मात्र नौ बेल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। एक साथ गेंहू की कटाई व भूसा बनाने का कार्य किया जा सकता है। मशीन में दो अलग-अलग भण्डारण टैंक लगाए गए हैं। सांसद हरीश द्विवेदी भी मशीन को देख चुके हैं। माना जा रहा है कि यह मशीन छोटे किसानों के लिए वरदान साबित होगी।
गेंहू व धान की नई प्रजाति-
आज्ञा राम वर्मा ने गेंहू और धान की भी नई प्रजाति विकसित की है। गेंहू की इस प्रजाति का प्रचार प्रसार अन्य जिलों में भी कराया गया। इस गेंहू की उत्पादकता जांचने के लिए क्रॉप कटिंग कराया गया। इस गेंहू का उत्पादन 64 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हुआ है।
आज्ञाराम वर्मा ने सबसे पहले गेहूं की प्रजाति विकसित की। तीन नई प्रजाति के बीजों की बुआई की। इनसे कुछ बीज अलग करके 10 वर्ग मीटर खेत में मिश्रिति बुआई की। फसल विकास के दौरान इन्हीं पौधों के बीच एक पौधा चौड़ी पत्ती व मोटे डंठल वाला दिखाई दिया। इसे चिन्हित करके इसकी बाली को जालीदार कपड़े से पकने तक देखभाल करता रहा। पकने के बाद इसे अलग निकालकर निचोड़ा गया तो अन्य पौधों के दाने के अपेक्षा इसके दाने मोटे और 85 दाने स्वस्थ थे। इन्हें इकट्ठा करके वर्ष 2006 में इनकी बोआई की गई। और फसल तैयार हुई, जिसे वैज्ञानिकों ने आकर जांच की और सही पाया। आज्ञाराम वर्मा द्वारा विकसित की गई गेंहू की नई प्रजाति को एआर 64 (आज्ञाराम 64) नाम दिया गया। इसके अलावा इन्होंने धान और गन्ने की भी नई प्रजाति विकसित की है। मार्च महीने में नई दिल्ली स्थित पूसा संस्थान में आयोजित कृषि मेले में भी केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने गन्ने की नई प्रजाति के लिए आज्ञाराम वर्मा को सम्मानित किया।
अब तक आज्ञा राम वर्मा को प्राप्त पुरस्कार-
-नवाचारी  किसान सम्मान, गुजरात सरकार
-नवाचारी किसान सम्मान कृषक उन्नति मेला, नई दिल्ली
-बागवानी उच्च केला उत्पादकता हेतु पुरस्कार, बस्ती
-उच्च सब्जी उत्पादकता हेतु पुरस्कार उद्यान विभाग, जनपद बस्ती
-धान के उच्च उत्पादकता हेतु पुरस्कार कृषि विभाग, जनपद बस्ती
-कृषि क्षेत्र में नवाचार के लिए नई गेहूं की प्रजाति विकसित करने के लिए फैजाबाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा सम्मान प्राप्त
नोट-अब तक 13 सम्मान प्राप्त कर चुके हैं

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Tuesday, 6 September 2016

जीएम बीजों से नष्ट हो जाएगा देशी सरसो: कपिल मिश्रा


कपिल मिश्रा, नई दिल्ली           
आखिर वही होने जा रहा है जिसका डर था, जिन खतरनाक जीएम बीजों के खिलाफ सारा भारत सड़कों पर उतर गया था, कांग्रेस सरकार के जयराम रमेश की जन सुनवाइयों में ये स्पष्ट हो गया था कि देश के किसान, देश के उपभोक्ता, दुनिया भर के वैज्ञानिक और खाद्य सुरक्षा तथा पर्यावरण को समझने वाले सभी लोग जीएम बीजों को असुरक्षित मानते हैं। अस्वीकार करते हैं।
आज उन्ही खतरनाक जीएम बीजों को मोदी सरकार सीधे हमारे खाने वाली चीजों में अनुमति देने जा रही हैं ।
बरसों तक भाजपा ने, संघ ने, स्वदेशी जागरण मंच, बाबा रामदेव ने, श्री श्री रविशंकर ने, यहाँ तक की मध्य प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारों ने भी आधिकारिक तौर पर खुलकर जीएम बीजों के खिलाफ इस लड़ाई में किसानों और देश के लोगो का साथ दिया पर आज अचानक सब के सब चुप है और मोदी सरकार वो करने जा रही है जो सबसे काले दिनों में भी कांग्रेस नहीं कर पाई।
त्ररू सरसो न केवल इस देश की सरसों को हमेशा के लिए ख़तम कर देगा बल्कि साथ ही हमारे किसानों की उगाने की आज़ादी, हम सबकी सुरक्षित खाने की आज़ादी भी खत्म कर देगा।
पर्यावरण को होगा नुकसान-
हमारी आयुर्वेदिक व अन्य व्यवस्थायों जहाँ जहाँ सरसो की भूमिका है, हमारी खेती, हमारे स्वास्थ्य, हमारे पर्यावरण, हमारे आयुर्वेद, हमारे बीज सब को हमेशा के लिए प्रदूषित व ख़तम करने की तैयारी है।
पंजाब जो कि अपनी लहलहाती सरसों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, उस पंजाब की पहचान पर ये सीधा हमला हैं ।
अभी भी समय है, मोदी सरकार को समझना होगा लालच का कोई अंत नहीं, हमारे किसान, हमारे खेत, हमारा आयुर्वेद सब ख़तम हो जायेगा तो ये चंद बीज बनाने वाली कंपनियां नहीं आयेगीं बचाने। जीएम बीजों को इस तरह खाद्य फसलों में लाना देश के साथ, किसानों के साथ, भारत माता के साथ धोखा है।
दुःख सबसे बड़ा ये कि बरसों तक इन किसानों के दुश्मनों से जनता के साथ मिलकर लड़ने वाले सब आज न जाने किस डर से चुप्पी लगाकर बैठ गए है।
संघ, बीजेपी, रामदेव, श्री श्री रविशंकर पर निशाना-
संघ चुप है, स्वदेशी वाले चुप है, रामदेव जी चुप है, श्री श्री चुप है, भाजपा के वो सभी नेता व कार्यकर्ता जो सड़को पर इन बीजों व कंपनियों के खिलाफ लड़ रहे थे सब चुप है।
पर याद रखना, ये देश नहीं चुप बैठेगा। न चुप बैठेगा न माफ़ करेगा।
(लेखक दिल्ली सरकार में जल एवं पर्यटन मंत्री हैं।)
जीएम का तात्पर्य-
अंग्रेजी में इसे जेनेटिकली मोडिफाईड कहते हैं। इसका अर्थ है-एक जीव या अन्य फसल का वंशाणु (जीन) दूसरे जैव-पौधे में रोपित किए जाते हैं, जिससे उसकी बीमारियों को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए टमाटर को पाले से या अधिक ठंड से बचाने के लिए बर्फीले क्षेत्र में पाए जाने वाली मछली के वंशाणु (जीन) को टमाटर के बीज में प्रत्यारोपित किया जाता हैं या मिलाया जाता हैं। बी.टी. कपास में डोडा कीट को मारने में सक्षम विषाणु वैक्टीरिया-बेसिलस थोरेजिंसस के वंशाणु (जीन) को मिलाया जाता है।

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Sunday, 14 August 2016

ऑनलाइन चंदे से केड़िया गांव में खुला बिहार का पहला सोलर कोल्ड स्टोरेज


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
बिहार का पहला सौर शीतगृह (सोलर कोल्ड स्टोरेज) बिहार के जमुई जिला के केड़िया गांव में शुरू हो गया है। बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय प्रकाश ने सोलर शीतगृह का उद्घाटन किया। बता दें कि केड़िया गांव के किसान पिछले दो सालों से प्राकृतिक खेती के जरिए देश के किसानों के लिए एक उदाहरण पेश किया है। सोलर चालित शीतगृह के लगने के बाद वहां के किसानों के जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो गया है।
लगभग 12 लाख रुपए की लागत में इस प्लांट को स्थापित किया गया है। आईआईटी खड़गपुर के युवा इंजीनियरों ने इस प्लांट को विकसित किया है, जो कि सामान्य सौर शीतगृह से उन्नत है। इसमें सब्जी के रखरखाव के लिए किसान को रोजाना 50 पैसे एक कैरेट (25 किलोग्राम) सामान के लिए भुगतान करना होगा। इसे हाइब्रिड टेक्नॉलाॅजी के तहत विकसित किया गया है, ताकि बारिश अथवा सर्दियों में इस प्लांट को बिजली अथवा डीजल से चलाया जा सके। इस तकनीक में बैट्री के बजाय थर्मल प्लेट का इस्तेमाल किया गया है।
ऑनलाइन चंदा से स्थापित हुआ कोल्ड स्टोरेज-
सौर ऊर्जा से संचालित होने के अलावा, इस शीतगृह की सबसे खास बात यह है कि यह देश भर के लोगों के सहयोग का प्रतीक है। इस शीतग्रह को ऑनलाइन चंदा इकट्ठा करके स्थापित किया गया है। देश में कृषि उत्पाद का लगभग 40 फीसदी नष्ट हो जाता है क्योंकि किसानों के पास उत्पादन के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं है । लेकिन ग्रीनपीस इंडिया ऑनलाइन क्राउडफंडिग करके केड़िया के किसानों के लिए सोलर शीतगृह लगाने में कामयाब रहा। ग्रीनपीस के इस मुहिम में बॉलीवुड से जुड़े कई हस्तियां जैसे वहीदा रहमान, पुजा बेदी, पंकज त्रिपाठी व सलीम मर्चेंट ने वीडियो जारी कर लोगों से केड़िया के किसानों की मदद करने की अपील की।
पैदावार का भंडारण सुगम-
कोल्ड स्टोरेज (शीतगृह) के खुलने से केड़िया गांव के किसान अपनी पैदावार का भंडारण आसानी से कर सकते हैं। उन्हें इन उत्पादों को बाजार में अपनी शर्तों पर बेचने का मौका मिलेगा। किसानों को आर्गेनिक उत्पादों के एवज में उचित कीमत मिल सकेगी, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी। इसके अलावा किसान अपने पारंपरिक बीजों को संरक्षित कर सकेंगे। सोलर से संचालित यह कोल्ड स्टोरेज केड़िया के किसानों द्वारा पर्यावरणीय, इकोलॉजिकल कृषि को अपनाने की कोशिश को मजबूत बनाएगा।
गांव की किसान सुनीता देवी कहती हैं कि अभी तक हम व्यापक तौर पर सब्ज़ी इसलिए नहीं उपजाते थे कि हमें इसके बर्बाद होने का डर रहता था, अब चूँकि हमारे गाँव में सोलर कोल्ड स्टोरेज लग गया है तो हमने अधिक सब्ज़ी की खेती शुरू कर दी है। अब हमें ना ही सब्ज़ी सड़ने का डर है, न हमें अपना उत्पाद औने-पौने दामों पर बेचना पड़ेगा। अब तो हम बाज़ार में बेहतर क़ीमत आने का इंतज़ार कर सकते हैं।
समिति बनाकर आगे बढ़ रहे हैं किसान-
केड़िया के सभी किसानों ने जीवित माटी किसान समिति में जुड़ कर अपने गाँव को बिहार सरकार की कृषि योजनाओं से जुड़कर ही आदर्श जैविक गाँव बनाने का निर्णय लिया है। मिट्टी को स्वस्थ बनाने के लिए वे अपने खेतों में वर्मीखाद, अमृत पानी, जीवामृत, घन जीवामृत, गौमूत्र और मानव मूत्र जैसे रसायन-मुक्त उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फसलों पर लगने वाले कीड़ों और बीमारियों से बचाने के लिए वे नीमामृत, अग्निअस्त्र, तम्बाकू के चूर्ण से बने कीट नियंत्रक दवाईयों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें जिला प्रशासन का पूरा सहयोग प्राप्त है। फिलहाल इस तरह के प्लांट के लिए केंद्र सरकार 30 फीसदी सब्सिडी दे रही है, जबकि बिहार सरकार 15 फीसदी सब्सिडी देगी। इस तरह के प्लांट छत्तीसगढ़ के अलावा दक्षिण भारत के गांवों में लगने शुरू हो गए हैं, लेकिन उत्तर भारत में जागरूकता का अभाव है।
रासायनों के इस्तेमाल से आजादी की शुरूआत-
ग्रीनपीस के कैम्पैनेर इश्तियाक अहमद का कहना है, ‘देश की आजादी के वर्षगांठ के कुछ दिन पहले हम केड़िया के किसानों के साथ एक नई आज़ादी का जश्न मना रहे हैं। यह आज़ादी है- रसायनों के दुष्प्रभाव से, ऊँची लागत और जानलेवा कर्ज से, मौसम और बाजार की स्थितियों की अनियमितता से और औने-पौने दामों में बेचने की मजबूरी से।
नोट- किसी तरह की जानकारी के लिए मेल आईडी के जरिए संपर्क कर सकते हैं।  ishteyaque.ahmed@greenpeace.org

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