Tuesday, 6 September 2016

जीएम बीजों से नष्ट हो जाएगा देशी सरसो: कपिल मिश्रा


कपिल मिश्रा, नई दिल्ली           
आखिर वही होने जा रहा है जिसका डर था, जिन खतरनाक जीएम बीजों के खिलाफ सारा भारत सड़कों पर उतर गया था, कांग्रेस सरकार के जयराम रमेश की जन सुनवाइयों में ये स्पष्ट हो गया था कि देश के किसान, देश के उपभोक्ता, दुनिया भर के वैज्ञानिक और खाद्य सुरक्षा तथा पर्यावरण को समझने वाले सभी लोग जीएम बीजों को असुरक्षित मानते हैं। अस्वीकार करते हैं।
आज उन्ही खतरनाक जीएम बीजों को मोदी सरकार सीधे हमारे खाने वाली चीजों में अनुमति देने जा रही हैं ।
बरसों तक भाजपा ने, संघ ने, स्वदेशी जागरण मंच, बाबा रामदेव ने, श्री श्री रविशंकर ने, यहाँ तक की मध्य प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारों ने भी आधिकारिक तौर पर खुलकर जीएम बीजों के खिलाफ इस लड़ाई में किसानों और देश के लोगो का साथ दिया पर आज अचानक सब के सब चुप है और मोदी सरकार वो करने जा रही है जो सबसे काले दिनों में भी कांग्रेस नहीं कर पाई।
त्ररू सरसो न केवल इस देश की सरसों को हमेशा के लिए ख़तम कर देगा बल्कि साथ ही हमारे किसानों की उगाने की आज़ादी, हम सबकी सुरक्षित खाने की आज़ादी भी खत्म कर देगा।
पर्यावरण को होगा नुकसान-
हमारी आयुर्वेदिक व अन्य व्यवस्थायों जहाँ जहाँ सरसो की भूमिका है, हमारी खेती, हमारे स्वास्थ्य, हमारे पर्यावरण, हमारे आयुर्वेद, हमारे बीज सब को हमेशा के लिए प्रदूषित व ख़तम करने की तैयारी है।
पंजाब जो कि अपनी लहलहाती सरसों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, उस पंजाब की पहचान पर ये सीधा हमला हैं ।
अभी भी समय है, मोदी सरकार को समझना होगा लालच का कोई अंत नहीं, हमारे किसान, हमारे खेत, हमारा आयुर्वेद सब ख़तम हो जायेगा तो ये चंद बीज बनाने वाली कंपनियां नहीं आयेगीं बचाने। जीएम बीजों को इस तरह खाद्य फसलों में लाना देश के साथ, किसानों के साथ, भारत माता के साथ धोखा है।
दुःख सबसे बड़ा ये कि बरसों तक इन किसानों के दुश्मनों से जनता के साथ मिलकर लड़ने वाले सब आज न जाने किस डर से चुप्पी लगाकर बैठ गए है।
संघ, बीजेपी, रामदेव, श्री श्री रविशंकर पर निशाना-
संघ चुप है, स्वदेशी वाले चुप है, रामदेव जी चुप है, श्री श्री चुप है, भाजपा के वो सभी नेता व कार्यकर्ता जो सड़को पर इन बीजों व कंपनियों के खिलाफ लड़ रहे थे सब चुप है।
पर याद रखना, ये देश नहीं चुप बैठेगा। न चुप बैठेगा न माफ़ करेगा।
(लेखक दिल्ली सरकार में जल एवं पर्यटन मंत्री हैं।)
जीएम का तात्पर्य-
अंग्रेजी में इसे जेनेटिकली मोडिफाईड कहते हैं। इसका अर्थ है-एक जीव या अन्य फसल का वंशाणु (जीन) दूसरे जैव-पौधे में रोपित किए जाते हैं, जिससे उसकी बीमारियों को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए टमाटर को पाले से या अधिक ठंड से बचाने के लिए बर्फीले क्षेत्र में पाए जाने वाली मछली के वंशाणु (जीन) को टमाटर के बीज में प्रत्यारोपित किया जाता हैं या मिलाया जाता हैं। बी.टी. कपास में डोडा कीट को मारने में सक्षम विषाणु वैक्टीरिया-बेसिलस थोरेजिंसस के वंशाणु (जीन) को मिलाया जाता है।

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Wednesday, 10 August 2016

‘नमामि गंगे’ की सफलता के लिए गंगोत्री से गंगासागर तक पदयात्रा करना चाहती हैं उमा भारती


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने गंगा किनारे के लोकसभा सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे नमामि गंगे कार्यक्रम की सफलता के लिए अपना सक्रिय योगदान और सहयोग दें। नई दिल्ली में मंगलवार रात को इन सांसदों के साथ अपने निवास पर आयोजित एक बैठक में उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम में गंगा के सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है। इसके तहत प्रदूषण निवारण, गंगा की अविरलता, जैव विविधता और उसके आसपास की वनस्पतियों का संरक्षण शामिल हैं। सुश्री भारती ने कहा कि विश्व बैंक ने भी हमारी इस योजना की यह कह कर प्रशंसा की है कि दुनिया में पहली बार किसी भी नदी के संरक्षण की योजना इतनी समग्रता के साथ तैयार की गई है।
गंगोत्री से गंगासागर तक पदयात्रा करने की इच्छा-
सुश्री भारती ने कहा कि यदि मुझे प्रधानमंत्री जी से अनुमति मिल गई तो मेरी गंगोत्री से गंगासागर तक पदयात्रा करने की इच्छा है ताकि मैं स्वयं प्रत्येक स्थान पर कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा कर सकूं, लोगों से हाथ जोड़कर विनती कर सकूं कि वे इस कार्यक्रम को सफल करने में अपना सहयोग दें। मंत्री महोदया ने कहा कि इस कार्यक्रम में जनता, सरकार और समाज की बराबर की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि सरकार नदी के किनारे एसटीपी लगा देगी, घाट बना देगी, जीव-जंतुओं के एक बार संरक्षण की व्यवस्था कर देगी। सरकार का प्रयास तो एक बार होता है लेकिन उस प्रयास की निरंतरता को बनाए रखना जनता और समाज की जिम्‍मेदारी है।
नमामि गंगे कार्यक्रम के जरिए प्रायश्चित-
सुश्री भारती ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम आजादी के बाद देशवासियों द्वारा गंगा में फैलाए गए प्रदूषण का प्रायश्चित है। उन्होंने कहा, मैं हमेशा बोलती हूं कि नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा पर एहसान नहीं है, बल्कि आजादी के बाद गंगा नदी के साथ जो खिलवाड़ हुआ, गलत तरीके से औद्योगीकरण और शहरीकरण हुआ, जिससे कि गंगा मैली हुई, यह उस पाप का प्रायश्चित है जो हम करेंगे और आने वाली पीढि़यों को एक निर्मल गंगा अमूल्‍य धरोहर के रूप में सौंप कर जाएंगे।
गंगा किनारे प्रत्येक गांव सींचेवाल मॉडल से होंगे विकसित-
उन्‍होंने कहा कि हम गंगा किनारे के प्रत्‍येक गांव के सींचेवाल मॉडल पर विकास के लिए आरंभ में आठ-आठ लाख रुपये खर्च करेंगे। गंगा किनारे के लगभग 400 गांवों ने सींचेवाल मॉडल पर अपने विकास की तैयारी शुरू कर दी है। झारखंड में तो गंगा किनारे के सभी गांव इस प्रक्रिया में शामिल हैं। इसमें गांवों को निर्मल करने के अलावा उसका सौंदर्यीकरण भी शामिल होगा। मंत्री महोदया ने बताया कि गत 7 जुलाई को नमामि गंगे की लगभग 250 परियोजनाएं देश भर में शुरू की गईं। उन्होंने कहा कि अभी ऐसी 1000 परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं।
सांसदों से भी लिया जाए मशविरा-
बैठक‍ में कई सांसदों ने अपनेअपने क्षेत्रों में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत विशेष परियोजनाएं शुरू करने की मांग की। कुछ सांसदों का सुझाव था कि उनके क्षेत्रों में नमामि गंगे कार्यक्रम से संबंधित परियोजनाओं को शुरू करने से पहले उनसे भी सलाह-मशविरा किया जाए। सुश्री भारती ने इस सुझाव का स्वागत करते हुए मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि भविष्य में नमामि गंगे परियोजनाओं के बारे में संबंधित लोकसभा सदस्य को पूरे विश्वास में लिया जाए। उमा भारती ने कहा, मैं अपने सभी अधिकारियों को निर्देश देती हूं कि वे आगे से इस बात का ध्‍यान रखें कि किसी भी सांसद को कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए कि उनका क्षेत्र छूट गया।
गंगा किनारे के निवासी लोकगायकों को किया जाए एकत्र-
सांसद मनोज तिवारी ने सुझाव दिया कि गंगा के किनारे जितने भी लोकगीत गायक और संगीतकार हैं उन सभी को एकत्र किया जाए और गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक अलग-अलग स्थानों पर उनके कार्यक्रम कराएं जाए। मंत्री महोदया ने इस सुझाव पर अपनी सहमति जताई। सुश्री भारती ने कहा कि वे प्रत्येक छमाही में सांसदों से नमामि गंगे कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए इस तरह की बैठक बुलाएंगी। इन बैठकों में पिछले छह महीनों के दौरान हुए कार्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी।
बैठक में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री डॉ. संजीव कुमार बलियान, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और केंद्रीय मानव संसाधन राज्‍य मंत्री डॉ.महेन्‍द्र नाथ पांडे समेत कई सांसदों ने हिस्सा लिया।

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