सरयू के सेवक
Sunday 31 July 2016
Saturday 30 July 2016
#OLDLADY NOW READ PRAYER भजन के लिए 98 की उम्र में शकुंतला देवी हुईं साक्षर
Labels: 98 years old lady become literate, BSES, Hariyana, Nangloi, Narnaul, Prayer, Shakuntla Devi, slum
Tuesday 26 July 2016
#Ayodhya बाबर के सेनापति ने नहीं ढहाया था राममंदिर
-अयोध्या
रिविजिटेड नामक नई पुस्तक में किया गया दावा
बलिराम
सिंह, नई दिल्ली
अयोध्या
के राम जन्मभूमि मंदिर को बाबर के सेनापति मीर बाकी ने नहीं ढहाया था, बल्कि इसे मुगल
शासक औरंगजेब के शासनकाल में ढहाया गया था। भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी (आईपीएस)
किशोर कुणाल ने अपनी किताब 'अयोध्या रिविजिटेड' में इसका खुलासा किया है। कुणाल का
कहना है कि बाबर की भूमिका के बारे में यह धारणा फ्रांसिस बुकानन की वजह से बनी है,
जिन्होंने 1813-14 के दौरान अयोध्या का सर्वेक्षण किया था। वह मस्जिद के एक शिलालेख
से भ्रमित हो गए थे, जिसमें बाकी का जिक्र था।
बता दें कि कुणाल 1990 के दशक में केंद्रीय
गृह मंत्रालय के तहत विशेष ड्यटी पर तैनात थे।
कुणाल के मुताबिक अयोध्या में किसी भी मंदिर
को ढहाने और वहां किसी भी मस्जिद के निर्माण में बाबर की कोई भूमिका नहीं थी। बाबर
को पिछले 200 वर्षो से उस कार्य के लिए बदनाम किया जा रहा है, जिससे उसका कोई ताल्लुक
नहीं था। बाबर एक उदार मुगल शासक था।
पुस्तक के मुताबिक, इस मंदिर को औरंगजेब
के शासनकाल में अवध के गवर्नर फेदाई खान ने 1660 में ढहाया था। मंदिर को 1528 में नहीं
ढहाया गया जैसा कि दावा किया जाता रहा है। तथाकथित बाबरी मस्जिद में तीन गुंबद थे जो
औरंगजेब के शासनकाल के दौरान निर्मित अन्य मस्जिदों से मिलते-जुलते हैं।
फ्रांसिस बुकानन ने 1813-14 में अयोध्या
का सर्वेक्षण किया था। वह मस्जिद के शिलालेख से भ्रमित हो गए, जिसकी सही तरीके से जांच
भी नहीं की गई थी। लोगों को पता था कि औरंगजेब ने राम मंदिर को ढहाया, लेकिन बुकानन
ने इस मिथ्या शिलालेख से भ्रमित होकर बाबर को बदनाम किया।
पुस्तक के मुताबिक माना जाता है कि बाबरी
मस्जिद का निर्माण 1528 में हुआ और इसके भीतर
इस शिलालेख को सदियों बाद स्थापित किया गया। इस शिलालेख में जिस मीर बाकी का उल्लेख
है, वह 'बाबरनामा' में जिस बाकी का जिक्र है, उससे अलग है। बाबर तो कभी अयोध्या आया
ही नहीं। मुगल शासनकाल के दौरान अयोध्या के मंदिर कभी प्रभावित नहीं हुए, जब तक कि
औरंगजेब गद्दी पर न बैठा। औरंगजेब के शासनकाल में ही स्थितियां बदल गईं।
साल 1838 में मार्टिन की किताब 'हिस्ट्री
टोपोग्राफी एन्टीकिटिज ऑफ ईस्टर्न इंडिया' में अयोध्या की रिपोर्ट प्रकाशित होने के
बाद विद्वानों ने यह समझना शुरू कर दिया कि वहां मस्जिद का निर्माण बाबर ने किया था।
पुस्तक के मुताबिक 1528 में मस्जिद के निर्माण के बाद 240 से अधिक वर्षो तक बाबरी मस्जिद
के संदर्भ में कोई भी उल्लेख नहीं पाया गया। इसका उल्लेख पहली बार 1768 में जीसुइट
पादरी के यात्रा वृत्तांत में किया गया था।
कुणाल के मुताबिक किताब में अयोध्या पर थॉमस
हरबर्ट जैसे विदेशी यात्रियों और 1631 में जोन्स डि लिएट के वृत्तांतों को पेश किया
गया है। दोनों ने वहां राम मंदिर होने का उल्लेख किया है।
कुणाल के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद (विहिप)
राम जन्मभूमि के बारे में 'अयोध्या महात्म्य' और 'स्कंद पुराण' के अलावा कोई और दस्तावेज
पेश करने में असफल रही है, लेकिन मैंने चार लेखों का उल्लेख किया, जिससे सिद्ध होता
है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली है। विहिप एक काल्पनिक किताब 'सहीफर-ए-चिहल-नासैह
बहादुर शाही' को सही मानती है, जो पूरी तरह से अनुपयुक्त है।
इतिहास
के उलट है दावा-
- बुक में दावा किया गया है कि बाबर कभी
अयोध्या गया ही नहीं था।
- जबकि इतिहासकारों का कहना है कि बाबर ने
अपने अवध के गवर्नर मीर बाकी को राममंदिर तोड़ने का आदेश दिया था।
- इतिहास में यह भी बताया गया है कि बाबरी
मस्जिद को 1528 में बनाया गया था।
ब्रिटिशराज की फाइलों से किया दावा
- 'अयोध्या रीविजिटेड' बुक में ब्रिटिश एरा
की पुरानी फाइलों, संस्कृत की बुक में हुए राम मंदिर के जिक्र और आर्कियोलॉजिकल सर्वे
ऑफ इंडिया के विवादित स्थल पर हुई खुदाई में मिले प्रमाणों और इन्फॉर्मेशन का जिक्र
किया गया है।
- इसके
बेस पर यह बताया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर को गिराकर ही उस जगह मस्जिद बनाई
गई थी।
Labels: Aurangzeb, Ayodhya, Ayodhya Revisited, Babar, IPS Kunal Kishor, Mir Baki, Mughal, Ram Temple Destroyed, Saryu
Wednesday 20 July 2016
#Ayodhya: अधूरे ख्वाब के साथ अलविदा हो गए चचा हाशिम अंसारी
-अयोध्या विवाद का हल चाहते थें अंसारी
नई दिल्ली
अयोध्या, बाबरी मस्जिद’ के पैरोकार हाशिम अंसारी बुधवार सुबह साढ़े पांच बजे इस
दुनियां से रूख़स्त हो गये। वे 96 वर्ष के थे और कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। थोड़े
दिनों पूर्व उन्होने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ़ की थी। वैसे हाशिम अंसारी
बाबरी मस्जिद के पैरोकार थें, लेकिन वह अपने जीते-जी राम मंदिर और मस्जिद दोनों का
निर्माण चाहते थें।
इनके पिता का नाम करीम बख्श था। राम जन्मभूमि
का मुकदमा 1949 में इन्होंने खुद दायर किया था। इनके परिवार में एक लड़का और 1 बेटी
है। बेटा इक़बाल ऑटो चलाकर घर का खर्चा चलाता था। रामजन्मभूमि बाबरी आंदोलन में इनकी
अहम भूमिका रही है। समझौते को लेकर ये काफी अहम भूमिका निभा रहे थे। मोदीजी की भी काफी
तारीफ करते थे।
हाशिम अंसारी का अपने जीवनकाल में अयोध्या में राम मंदिर के साथ मस्जिद निर्माण
का सपना अधूरा रह गया। भले ही अयोध्या मामले का नाम आने पर उन्हें मुस्लिम पक्ष का
पैरोकार होने की वजह से एक सम्प्रदाय का प्रतिनिधि माना जाए, लेकिन हाशिम ने कभी भी
अयोध्या में राम मंदिर न बनाए जाने का समर्थन नहीं किया था, बल्कि उनकी इच्छा यही थी
कि विवादित स्थल पर सरकारी जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनाए जाएं। चचा नाम से प्रख्यात
हाशिम अपने कमजोर शरीर, बुलंद आवाज़ और ऊंचा सुनने के बावजूद अपनी राय बेबाक तरीके से
रखते थे। उन्होंने खुलकर प्रदेश और देश के लगभग सभी मुस्लिम राजनेताओं की आलोचना भी
की। उनका मानना था कि यदि दोनों पक्षों की ओर से समझदारी दिखाई जाए तो इस मुद्दे का
हल निकलना मुश्किल नहीं है।
कुछ महीनों पहले उन्होंने कहा था कि वे रामलला को आज़ाद देखना चाहते हैं और यह भी
चाहते हैं कि विवादित स्थल पर राम मंदिर बने, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मुस्लिम
हित को अनदेखा किया जाए। उन्होंने इस बात पर निराशा जताई थी कि 'लोग महल में रहें और
भगवान राम अस्थाई तम्बू के नीचे।'
मुकदमे में वादी होने के बावजूद अयोध्या शहर में सभी लोग उनकी इज्ज़त करते थे क्योंकि
उनके स्वभाव में कभी सांप्रदायिक भेदभाव नजर नहीं आता था। खास बात यह है कि कभी इस
मामले की सुनवाई के दौरान हाशिम और हिन्दू पक्ष के पैरोकार महंत राम केवल दास और महंत
राम चन्द्र परमहंस रिक्शे पर बैठ कर एक साथ कोर्ट जाते थे।
अंसारी के पुत्र इकबाल ने कहा है कि पैगम्बर जनाबे शीश की मजार के पास स्थित कब्रिस्तान
में उनको सुपुर्द-ए-खाक किया जायेगा।
1949 से लड़ रहे थें केस-
1921 में पैदा हुए
हाशिम अंसारी ने 22 दिसंबर 1949 में पहली बार इस मामले में एक मुकदमा दर्ज करवाया था,
जब विवादिद ढांचे के भीतर कथित रूप से मूर्तियां रखी गई थीं, उनका कहना था कि लोगों
के कहने के कारण ही उन्होंने ऐसा किया था।
गौरतलब है कि 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस मामले में एक केस किया तब भी हाशिम
अंसारी एक और पैरोकार बने।
इमरजेंसी में भी जेल में थे अंसारी-
1975 में
जब देश में इमरजेंसी लगाई गई थी तब भी हाशिम अंसारी को गिरफ्तार किया गया था और करीब
8 महीने वह जेल में रहे।Labels: Ayodhya, Babri Masjid Case, Hashim Ansari, Mahant Ramchandra Das, Oldest Litigant, Ram Temple, Sunni Waqf Board