Tuesday 26 July 2016

#Ayodhya बाबर के सेनापति ने नहीं ढहाया था राममंदिर

-अयोध्या रिविजिटेड नामक नई पुस्तक में किया गया दावा
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर को बाबर के सेनापति मीर बाकी ने नहीं ढहाया था, बल्कि इसे मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में ढहाया गया था। भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी (आईपीएस) किशोर कुणाल ने अपनी किताब 'अयोध्या रिविजिटेड' में इसका खुलासा किया है। कुणाल का कहना है कि बाबर की भूमिका के बारे में यह धारणा फ्रांसिस बुकानन की वजह से बनी है, जिन्होंने 1813-14 के दौरान अयोध्या का सर्वेक्षण किया था। वह मस्जिद के एक शिलालेख से भ्रमित हो गए थे, जिसमें बाकी का जिक्र था।
बता दें कि कुणाल 1990 के दशक में केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत विशेष ड्यटी पर तैनात थे।
कुणाल के मुताबिक अयोध्या में किसी भी मंदिर को ढहाने और वहां किसी भी मस्जिद के निर्माण में बाबर की कोई भूमिका नहीं थी। बाबर को पिछले 200 वर्षो से उस कार्य के लिए बदनाम किया जा रहा है, जिससे उसका कोई ताल्लुक नहीं था। बाबर एक उदार मुगल शासक था।  
पुस्तक के मुताबिक, इस मंदिर को औरंगजेब के शासनकाल में अवध के गवर्नर फेदाई खान ने 1660 में ढहाया था। मंदिर को 1528 में नहीं ढहाया गया जैसा कि दावा किया जाता रहा है। तथाकथित बाबरी मस्जिद में तीन गुंबद थे जो औरंगजेब के शासनकाल के दौरान निर्मित अन्य मस्जिदों से मिलते-जुलते हैं।
फ्रांसिस बुकानन ने 1813-14 में अयोध्या का सर्वेक्षण किया था। वह मस्जिद के शिलालेख से भ्रमित हो गए, जिसकी सही तरीके से जांच भी नहीं की गई थी। लोगों को पता था कि औरंगजेब ने राम मंदिर को ढहाया, लेकिन बुकानन ने इस मिथ्या शिलालेख से भ्रमित होकर बाबर को बदनाम किया।
पुस्तक के मुताबिक माना जाता है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528  में हुआ और इसके भीतर इस शिलालेख को सदियों बाद स्थापित किया गया। इस शिलालेख में जिस मीर बाकी का उल्लेख है, वह 'बाबरनामा' में जिस बाकी का जिक्र है, उससे अलग है। बाबर तो कभी अयोध्या आया ही नहीं। मुगल शासनकाल के दौरान अयोध्या के मंदिर कभी प्रभावित नहीं हुए, जब तक कि औरंगजेब गद्दी पर न बैठा। औरंगजेब के शासनकाल में ही स्थितियां बदल गईं।
साल 1838 में मार्टिन की किताब 'हिस्ट्री टोपोग्राफी एन्टीकिटिज ऑफ ईस्टर्न इंडिया' में अयोध्या की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद विद्वानों ने यह समझना शुरू कर दिया कि वहां मस्जिद का निर्माण बाबर ने किया था। पुस्तक के मुताबिक 1528 में मस्जिद के निर्माण के बाद 240 से अधिक वर्षो तक बाबरी मस्जिद के संदर्भ में कोई भी उल्लेख नहीं पाया गया। इसका उल्लेख पहली बार 1768 में जीसुइट पादरी के यात्रा वृत्तांत में किया गया था।
कुणाल के मुताबिक किताब में अयोध्या पर थॉमस हरबर्ट जैसे विदेशी यात्रियों और 1631 में जोन्स डि लिएट के वृत्तांतों को पेश किया गया है। दोनों ने वहां राम मंदिर होने का उल्लेख किया है।
कुणाल के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) राम जन्मभूमि के बारे में 'अयोध्या महात्म्य' और 'स्कंद पुराण' के अलावा कोई और दस्तावेज पेश करने में असफल रही है, लेकिन मैंने चार लेखों का उल्लेख किया, जिससे सिद्ध होता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली है। विहिप एक काल्पनिक किताब 'सहीफर-ए-चिहल-नासैह बहादुर शाही' को सही मानती है, जो पूरी तरह से अनुपयुक्त है।
इतिहास के उलट है दावा-
- बुक में दावा किया गया है कि बाबर कभी अयोध्या गया ही नहीं था।
- जबकि इतिहासकारों का कहना है कि बाबर ने अपने अवध के गवर्नर मीर बाकी को राममंदिर तोड़ने का आदेश दिया था।
- इतिहास में यह भी बताया गया है कि बाबरी मस्जिद को 1528 में बनाया गया था।
ब्रिटिशराज की फाइलों से किया दावा
- 'अयोध्या रीविजिटेड' बुक में ब्रिटिश एरा की पुरानी फाइलों, संस्कृत की बुक में हुए राम मंदिर के जिक्र और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विवादित स्थल पर हुई खुदाई में मिले प्रमाणों और इन्फॉर्मेशन का जिक्र किया गया है।
- इसके बेस पर यह बताया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर को गिराकर ही उस जगह मस्जिद बनाई गई थी।

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