Sunday 8 November 2015

#BIHARELECTION नीतीश फतह-जीत के साथ ही बदल गई लोगों की सोच


-पाकिस्तान, गाय, गद्दार, दलित विरोधी दाव पेंच भी नहीं आए भाजपा के काम
नई दिल्ली, बलिराम सिंह
कहते हैं कि जब बुरे वक्त आते हैं तो अपने भी साथ छोड़ देते हैं, लेकिन धैर्यवान व्यक्ति हमेशा एक सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ता रहता है। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से लेकर कल तक (7 नवंबर 2015) NITISH KUMAR को चौतरफा हमला झेलना पड़ रहा था। विपक्षी दलों से लेकर नीतीश जी के साथी भी उनकी आलोचना करने लगे थे। इसके अलावा खुद उनके स्वजातीय बंधुओं ने भी निंदा करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। BIHAR के साथ-साथ UP के उनके स्वजातीय बंधु भी अच्छे दिनों की आस में नीतीश कुमार पर खूब हमला किए।
भाजपा से नाता तोड़ने के बाद यदि देश में किसी नेता पर सर्वाधिक व्यक्तिगत हमला किया गया तो वह हैं नीतीश कुमार। भाजपा ने हमले में कोई कसर नहीं छोड़ा। इस हमले में उनके साथ राम विलास पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और नए-नए सहयोगी बने जीतन राम मांझी ने भी खूब कटाक्ष किया। याद रहे मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए जीतन राम मांझी के बयान से भाजपा भी खूब तिलमिलाती थी, लेकिन कुर्सी गवांते ही भाजपा ने इन्हें सामने करके दलित वोटों को भुनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। पाकिस्तान, गाय, गद्दार, जंगलराज, जाति जैसे मुद्दों के जरिए धुव्रीकरण की खूब राजनीति की गई।
मीडिया से देश नहीं चलता-
बिहार चुनाव ने साबित कर दिया कि दिल्ली में चैनलों के कार्यालय में बैठकर देश का मूड नहीं समझा जा सकता है। इसके लिए हमें जमीन पर उतरना होगा। देश की नब्ज टटोलनी होगी। इस चुनाव ने मीडिया का भी खोखलापन उजागर कर दिया है। तीन महीने के दौरान एक हिंदी अखबार ने कभी भी नीतीश कुमार की तारीफ नहीं की। रविवार को दिन में साढे़ 10 बजे तक यह अखबार भाजपा को बहुमत दिला रहा था। इसी तरह कुछ चैनल भी बीजेपी के पक्ष में खूब झंडा बुलंद किए हुए थें और मतगणना के दिन 10 बजे तक भी ढोल पीट रहे थें।
हरियाणा में बिहार से ज्यादा जातिवाद-
अमूमन राष्ट्रीय चैनलों में यूपी-बिहार को ही जातिवाद को ज्यादा हवा दी जाती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि जातिवाद का जहर इन राज्यों के बजाय हरियाणा और राजस्थान में ज्यादा है। हरियाणा में ही दलितों को गांव में घुसने नहीं दिया जाता है। लेकिन चैनलों को ये नजर नहीं आता है।

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12 Comments:

At 8 November 2015 at 08:49 , Blogger Vikram Pratap Singh said...

www.bulbula.blogspot.in/2015/11/blog-post_51.html

 
At 9 November 2015 at 00:02 , Blogger baliram singh said...

thanks

 
At 9 November 2015 at 07:34 , Blogger Prativendra Singh said...

बहुत सुंदर विश्लेषण बलीराम जी।

 
At 9 November 2015 at 07:34 , Blogger Prativendra Singh said...

बहुत सुंदर विश्लेषण बलीराम जी।

 
At 10 November 2015 at 08:42 , Blogger Ranjan Sharma said...

Decent analysis.

 
At 22 November 2015 at 05:49 , Blogger baliram singh said...

thanks

 
At 24 November 2015 at 07:06 , Blogger Unknown said...

निर्वाक विवेचना, पत्रकारिता के गिरते स्तर को आईना दिखाने स्वरुप !

 
At 25 November 2015 at 01:46 , Blogger baliram singh said...

धन्यवाद सर

 
At 3 December 2015 at 10:41 , Blogger Unknown said...

Good analysis

 
At 6 December 2015 at 01:56 , Blogger baliram singh said...

धन्यवाद सर

 
At 24 December 2015 at 01:40 , Blogger Shreeratna said...

Very nice...

 
At 24 December 2015 at 01:54 , Blogger baliram singh said...

धन्यवाद सर

 

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