Saturday 25 October 2014

हुनर के अभाव में बेरोजगार है युवा



रोजगार चाहिए तो विकसित कीजिए हुनर व अंग्रेजी 
 -90 फीसदी ग्रेजुएट्स को नहीं आती अंग्रेजी
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

देश में प्रतिवर्ष लाखों की तादाद में डिग्रीधारी युवक नौकरी की तलाश में महानगरों की ओर रुख करते हैं, लेकिन हुनर के अभाव में ये युवक कंपनियों के कार्यालयों के चक्कर लगाने के सिवाय कुछ नहीं कर पाते हैं। वर्ष 2013 में देश के 47 फीसदी ग्रेजुएट युवाओं के पास हुनर न होने की वजह से रोजगार नहीं मिला। विशेषज्ञ इस समस्या के लिए हुनर, अंग्रेजी और इनोवेशन को महत्वपूर्ण कारक मानते हैं। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2005 से 2010 के बीच सलाना 12 लाख लोगों को रोजगार की जरूरत थी, लेकिन इसके विपरीत महज 5 लाख रोजगार ही सलाना पैदा हो पाया, जिसकी वजह से सलाना 7 लाख बेरोजगारों की फौज तैयार होती गई और पांच सालों में इस बेरोजगारों की तादाद 35 लाख हो गई।
रोजगार में पिछडऩे के तीन बिंदु-
1- स्किल्स की कमी-

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के स्किल्स डेवेलपमेंट के वरिष्ठ सहायक निदेशक प्रवीण मानिकपुरी के मुताबिक रोजगार की कमी का बड़ा कारण स्किल (हुनर अथवा कारीगरी) की कमी है। यहां स्किल्ड वर्कफोर्स नहीं है, परिणामस्वरूप देश आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है। एंप्लायबिलिटी सॉल्यूशंस कंपनी एस्पायरिंग माइंड्स के वर्ष 2013 में किए गए सर्वे के तहत देश के 47 फीसदी ग्रेजुएट युवाओं के पास स्किल्ड न होने की वजह से रोजगार नहीं मिला। 
2- खराब अंग्रेजी-
एस्पायरिंग माइंड्स सर्वे में शामिल 60 हजार ग्रेजुएट्स में से 90 फीसदी अंग्रेजी में कम्यूनिकेट करने में सक्षम नहीं थे। हमारे यहां आज भी अंग्रेजी को हौवा समझा जाता है। बता दें कि 11 वीं पंचवर्षीय योजना के मुताबिक वर्ष 2025 तक दुनिया को करीब 200 करोड़ अच्छी अंग्रेजी जानने वालों की आवश्यकता होगी।
इनोवेशन का अभाव-

टाटा स्टील के तत्कालीन एमडी बी मुथुरामन ने एक बार आईआईटी कॉलेजों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यहां से निकलने वाले इंजीनियर्स में इनोवेशन नहीं होता। विदेशों की तुलना में यहां क्रिएटिविटी, इनोवेशंस और रिसर्च पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता।
कुशल कामगारों की संख्या-

साउथ कोरिया-96 फीसदी, जापान-80 फीसदी, जर्मनी-75 फीसदी, ब्रिटेन-68 फीसदी और भारत- महज 2 फीसदी
कुशल कामगार तैयार करने की चुनौती-

भारत में 15 से 25 वर्ष के मात्र 2 फीसदी युवा व्यावसायिक शिक्षा हासिल करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2022 तक हमारे पास 60 करोड़ हाथ होंगे, लेकिन बिना कुशलता के ये युवा देश के विकास में कितने कारगर साबित होंगे! कुशल कामगार बनाने के सबसे विस्तारित संस्थान आईटीआई के कोर्स में अब तक इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल नहीं है। नतीजा ऑटो स्टाइलिंग, डिजाइनिंग और पार्ट्स के लिए हमें बाहर का मुंह ताकना पड़ रहा है।
देश की बहुसंख्य आबादी का कड़वा सच-
शिक्षा शास्त्री अनिल सदगोपाल कहते हैं कि 100 में से मात्र 6 फीसदी आदिवासी, 8 फीसदी अनुसूचित जाति, 9 फीसदी अल्पसंख्यक और 10 फीसदी पिछड़ी जाति के बच्चे की 12वीं पास कर पाते हैं। 
(साभार-दैनिक भास्कर)

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Wednesday 22 October 2014

भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

तलाश भोजपुरी भाषायी अस्मिता की पुस्तक का विमोचन
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग एक बार फिर जोर पकडऩे लगी है। मंगलवार को भोजपुरी समाज दिल्ली के अध्यक्ष अजीत दुबे द्वारा लिखित पुस्तक तलाश भोजपुरी भाषायी अस्मिता की, के विमोचन अवसर कार्यक्रम में उपस्थित वरिष्ठ लोगों ने यह आवाज उठाई। पुस्तक का विमोचन पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.भीष्म नारायण सिंह की अध्यक्षता में तथा सांसद शत्रध्न सिन्हा, जगदंबिका पाल और सांसद मनोज तिवारी और वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय की उपस्थिती में किया गया।
इस कार्यक्रम में भोजपुरी की संवैधानिक मान्यता के मुद्दे पर खुलकर बातें हुईं तथा सरकार से इस मुद्दे पर जल्द से जल्द अपेक्षित कार्रवाई की जाने की मांग की गई। बता दें कि मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष अजीत दुबे की यह पुस्तक भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के अभियान के विशेष संदर्भ में ही लिखी गई है।

Monday 13 October 2014

सिरका के जरिए मात्र 2 रुपए में कराये गर्भाशय कैंसर की जांच


-गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने इजाद की तकनीक
-ग्रामीण-छोटे शहरों की महिलाओं के लिए काफी सहायक
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

ब्रेस्ट कैंसर के बाद देश में सर्वाधिक महिलाएं गर्भाशय के कैंसर से पीडि़त हो रही हैं। महंगी जांच की वजह से अधिकांश महिला मरीज समय पर टेस्ट नहीं करा पाती हैं, लेकिन अब ऐसी महिलाएं मात्र दो रुपए में ही गर्भाशय कैंसर की स्क्रीनिंग करा सकती हैं। दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों के एक अध्ययन से यह साबित हुआ है। अस्पताल का यह शोध जर्नल ऑफ करेंट मेडिसिन रिसर्च और प्रैक्टिस में प्रकाशित हुआ है। इस शोध से देश की उन महिलाओं में उम्मीद जगी है जो समय पर जांच न करा पाने की वजह से मौत का शिकार हो जाती हैं।  
ऐसे लगाया जाता है पता-
गर्भाशय द्वार पर रुई में 3.5 से 5 फीसद एसिटिक एसिड लगाया जाता है। जिससे प्रोटीन जमने के कारण सर्विक्स में सतह का रंग बदलकर सफेद हो जाता, जो कि सर्वाइकल कैंसर का संकेत है। इस जांच की रिपोर्ट महज कुछ देर में ही प्राप्त हो जाती है, जबकि पेप स्मीयर जांच रिपोर्ट आने में 24 घंटा लग जाता है। इसके अलावा वीआइए जांच का परिणाम 93.1 फीसदी और पेप स्मीयर जांच का परिणाम 86.2 फीसदी सही है। अस्पताल की गायनेकोलॉजी विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. हर्षा खुल्लर का कहना है कि वर्ष 2008 से 2010 के बीच 500 महिला मरीजों पर अध्ययन किया गया। अध्ययन में पाया गया कि वीआइए जांच से 18 फीसद व पेप स्मीयर जांच से करीब 12 फीसद मरीजों में सर्वाइकल कैंसर का पता चला।
यह सिर्फ स्क्रीनिंग जांच है

गंगाराम अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. गीता मेदिराता का कहना है कि यह केवल स्क्रीनिंग जांच है। स्क्रीनिंग जांच में रिपोर्ट पॉजेटिव आने के बाद बायोप्सी की जाती है। इसमें कोई शक नहीं कि पेप स्मीयर ज्यादा विश्वसनीय जांच है लेकिन देश में काफी तादाद में जांच के लिए वीआइए टेस्ट देश के महिलाओं के लिए एक आशा भरी उम्मीद की किरण है।
ग्रामीण-छोटे शहरों की महिलाओं को समस्या-

बता दें कि फिलहाल गर्भाशय कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए पेप स्मीयर जांच की जाती है, जिसमें लगभग 12,00 रुपये खर्च आता है। जांच महंगा होने के कारण अभी तक इस बीमारी की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्क्रीनिंग कार्यक्रम शुरू नहीं किया जा सका है। यह टेस्ट ग्रामीण क्षेत्र अथवा छोटे शहरों में उपलब्ध नहीं है, जिसकी वजह से इन क्षेत्रों में रहने वाली अधिकांश महिलाएं जांच से वंचित रह जाती हैं।
ऐसे में डॉक्टरों का दावा है कि देश में जनसंख्या अधिक होने के कारण दो रुपये की वीआइए (विजुअल इंस्पेक्शन एसिटिक एसिड-सिरकायुक्त केमिकल) जांच बीमारी की रोकथाम के लिए असरदार साबित हो सकता है। इसके लिए किसी लैब की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और सामान्य डॉक्टर भी यह टेस्ट कर सकता है। लिक्विड के उपयोग के बाद डॉक्टर मात्र देखकर बीमारी की स्थिति बता सकता है। आंकड़े-
प्रत्येक साल गर्भाशय कैंसर के मामले-1.23 लाख
बीमारी की वजह से प्रत्येक साल महिलाओं की मौत-70 हजार

प्रधानमंत्री के वाराणसी दौरे में बाधा बना हुदहुद


नई दिल्ली

बंगाल की खाड़ी में आए हुदहुद तुफान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाराणसी दौरे को रोक दिया है। प्रधानमंत्री का दौरा  रद्द होने से वाराणसी के बीएचयू स्थित ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन का मामला फिलहाल रूक गया है। बता दें कि ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन से पूर्वांचल की आबादी को खासा लाभ मिलेगा।
डवशेषज्ञों का मानना है कि अगले दो दिनों में हुदहुद नामक तुफान उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर जाएगा। ऐसे में प्रशासन ने जोखिम को देखते हुए प्रधानमंत्री के दौरे को फिलहाल रद्द करना ही बेहतर समझा।

Sunday 12 October 2014

प्रधानमंत्री वाराणसी को समर्पित करेंगे ट्रॉमा सेंटर


-पूर्वांचल के लोगों को होगा लाभ
नई दिल्ली-

 प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 14 अक्टूबर को बीएचयू के नवनिर्मित ट्रामा सेंटर को जनता को समर्पित करेंगे। प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर वाराणसी में तैयारियां जोरों पर चल रही है। ट्रामा सेंटर के विशेष कार्याधिकारी प्रो. डीके सिंह के अनुसार ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन 13 अक्टूबर को ही बनारस आ जाएंगे। बता दें कि ट्रॉमा सेंटर के उद्घाटन से पूर्वांचल की आबादी को खासा लाभ मिलेगा।

ट्रामा सेंटर एक नजर में-


-लागत - करीब 200 करोड़

-5 मंजिल अस्पताल, 7 मंजिल हॉस्टल

-पूरी तरह वातानुकूलित भवन

-334 बेड, 13 मॉड्यूलर ओटी

-50 बेड का इंसेंटिव केयर यूनिट
-43 चिकित्सका विशेषज्ञ
-475 पैरामेडिकल व नर्सिग स्टॉफ
-विभाग- प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, इमरजेंसी सर्जरी, जनरल सर्जरी, आर्थोपैडिक्स आदि प्रमुख