Wednesday, 17 August 2016

काॅमन सर्विस सेंटर के जरिए दूर कीजिए बेरोजगारी

बलिराम सिंह, नई दिल्ली
यदि आप बेरोजगार हैं और अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो आप मात्र 2 से ढाई लाख रुपए की लागत से अपना कारोबार शुरू कर सकते हैं और प्रति महीने 15 से 20 हजार रुपए की कमाई कर सकते हैं। केंद्र सरकार पूरे देशभर में 1.6 लाख कॉमन सर्विस सेंटर (csc) खोलने जा रही है।
ये है कॉमन सर्विस सेंटर-
नेशनल ई-गवर्नेंस प्‍लान के तहत सरकार सभी सरकारी सर्विस सस्‍ती दर पर लोगों के दरवाजे तक पहुंचाना चाहती है। इसी उद्देश्य को हासिल करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन एंड टैक्‍नोलॉजी ने कॉमन सर्विस सेंटर खोले जाने हैं। एक सीएससी में सरकारी, प्राइवेट और सोशल सेक्टर जैसे टेलीकॉम, एग्रीकल्चर, हेल्थ, एजुकेशन, एफएमसीजी प्रोडक्ट, बैंकिंग और फाइनेंसियल सर्विस, सभी तरह के प्रमाणपत्र, आवेदन पत्र और यूटिलिटी पेमेंट की जा सकती है। आने वाले दिनों में एक सीएससी में 300 से अधिक सेवाएं प्राप्त होंगी।
सेंटर खोलने के लिए आवश्यक जरूरतें-
यदि आप सीएससी खोलना चाहते हैं तो आपके पास कम से 100 से 150 वर्ग फुट का जगह होना चाहिए। इसके अलावा कम से एक कंप्‍यूटर (ups के साथ), एक प्रिंटर, डिजिटल / वेब कैमरा, जनसेट या इनवर्टर या सोलर पैनल, ऑपरेटिंग सिस्‍टम और एप्‍लीकेशन सॉफ्टवेयर, ब्रांडबैंड कनेक्‍शन होना चाहिए। ऐसे में आपको 2 से ढाई लाख रुपए का इंवेस्‍टमेंट करना होगा।
सीएससी के लिए आधार नंबर जरूरी-
सीएससी बनने के लिए आपके पास आधार नंबर होना जरूरी है। जिसके जरिए आप https://csc.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। उसके आधार पर आपको ओटीपी नंबर मिलेगा। जिसके जरिए आप सीएससी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यदि आप ऑफलाइन आवेदन करना चाहते हैं कि तो ग्राम पंचायत या नगर पंचायत स्तर पर एक कमेटी का गठन किया जा रहा है। आपको इस कमेटी के पास आवेदन करना होगा, जो आपके प्रपोजल की स्‍टडी करने के बाद आपको सीएससी का लाइसेंस मिल जाएगा।
सीएससी पर ये मिलेंगी सेवाएं-
सीएससी में pan card, आधार कार्ड, इलेक्शन कार्ड जैसे मतदाता सूची में नाम जुड़वाना, पहचान पत्र, पासपोर्ट बना सकते हैं। इसके अलावा आप मोबाइल रिचार्ज, मोबाइल बिल पैमेंट, डीटीएच रिचार्ज, इंसटेंट मनी ट्रांसफर, डाटा कार्ड रिचार्ज, सीएससी बाजार, एलआईसी प्रीमियम, रेड बस, एसबीआई लाइफ, बिल क्‍लाउड जैसी प्राइवेट सर्विस भी आप प्रोवाइड करा सकते हैं। सीएससी में बैंकिंग, इंश्‍योरेंस और पेंशन सर्विस भी दी जा सकती है। सीएससी में प्रोढ़ शिक्षा कार्यक्रम, डिजिटल लिटरेसी प्रोग्राम, वोकेशनल व स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी जा सकती है। किसानों को मौसम की जानकारी व मिट्टी की जांच जैसी सर्विस भी सीएससी के माध्‍यम से दी जाएगी। इतना ही नहीं, टेलीमेडिसन सर्विस भी लोगों को प्रोवाइड कराई जा सकती है।

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Saturday, 25 October 2014

हुनर के अभाव में बेरोजगार है युवा



रोजगार चाहिए तो विकसित कीजिए हुनर व अंग्रेजी 
 -90 फीसदी ग्रेजुएट्स को नहीं आती अंग्रेजी
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

देश में प्रतिवर्ष लाखों की तादाद में डिग्रीधारी युवक नौकरी की तलाश में महानगरों की ओर रुख करते हैं, लेकिन हुनर के अभाव में ये युवक कंपनियों के कार्यालयों के चक्कर लगाने के सिवाय कुछ नहीं कर पाते हैं। वर्ष 2013 में देश के 47 फीसदी ग्रेजुएट युवाओं के पास हुनर न होने की वजह से रोजगार नहीं मिला। विशेषज्ञ इस समस्या के लिए हुनर, अंग्रेजी और इनोवेशन को महत्वपूर्ण कारक मानते हैं। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2005 से 2010 के बीच सलाना 12 लाख लोगों को रोजगार की जरूरत थी, लेकिन इसके विपरीत महज 5 लाख रोजगार ही सलाना पैदा हो पाया, जिसकी वजह से सलाना 7 लाख बेरोजगारों की फौज तैयार होती गई और पांच सालों में इस बेरोजगारों की तादाद 35 लाख हो गई।
रोजगार में पिछडऩे के तीन बिंदु-
1- स्किल्स की कमी-

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के स्किल्स डेवेलपमेंट के वरिष्ठ सहायक निदेशक प्रवीण मानिकपुरी के मुताबिक रोजगार की कमी का बड़ा कारण स्किल (हुनर अथवा कारीगरी) की कमी है। यहां स्किल्ड वर्कफोर्स नहीं है, परिणामस्वरूप देश आर्थिक तौर पर पिछड़ रहा है। एंप्लायबिलिटी सॉल्यूशंस कंपनी एस्पायरिंग माइंड्स के वर्ष 2013 में किए गए सर्वे के तहत देश के 47 फीसदी ग्रेजुएट युवाओं के पास स्किल्ड न होने की वजह से रोजगार नहीं मिला। 
2- खराब अंग्रेजी-
एस्पायरिंग माइंड्स सर्वे में शामिल 60 हजार ग्रेजुएट्स में से 90 फीसदी अंग्रेजी में कम्यूनिकेट करने में सक्षम नहीं थे। हमारे यहां आज भी अंग्रेजी को हौवा समझा जाता है। बता दें कि 11 वीं पंचवर्षीय योजना के मुताबिक वर्ष 2025 तक दुनिया को करीब 200 करोड़ अच्छी अंग्रेजी जानने वालों की आवश्यकता होगी।
इनोवेशन का अभाव-

टाटा स्टील के तत्कालीन एमडी बी मुथुरामन ने एक बार आईआईटी कॉलेजों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यहां से निकलने वाले इंजीनियर्स में इनोवेशन नहीं होता। विदेशों की तुलना में यहां क्रिएटिविटी, इनोवेशंस और रिसर्च पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता।
कुशल कामगारों की संख्या-

साउथ कोरिया-96 फीसदी, जापान-80 फीसदी, जर्मनी-75 फीसदी, ब्रिटेन-68 फीसदी और भारत- महज 2 फीसदी
कुशल कामगार तैयार करने की चुनौती-

भारत में 15 से 25 वर्ष के मात्र 2 फीसदी युवा व्यावसायिक शिक्षा हासिल करते हैं। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2022 तक हमारे पास 60 करोड़ हाथ होंगे, लेकिन बिना कुशलता के ये युवा देश के विकास में कितने कारगर साबित होंगे! कुशल कामगार बनाने के सबसे विस्तारित संस्थान आईटीआई के कोर्स में अब तक इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल नहीं है। नतीजा ऑटो स्टाइलिंग, डिजाइनिंग और पार्ट्स के लिए हमें बाहर का मुंह ताकना पड़ रहा है।
देश की बहुसंख्य आबादी का कड़वा सच-
शिक्षा शास्त्री अनिल सदगोपाल कहते हैं कि 100 में से मात्र 6 फीसदी आदिवासी, 8 फीसदी अनुसूचित जाति, 9 फीसदी अल्पसंख्यक और 10 फीसदी पिछड़ी जाति के बच्चे की 12वीं पास कर पाते हैं। 
(साभार-दैनिक भास्कर)

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