Friday 3 March 2017

अनुप्रिया पटेल के लिए अग्नि परीक्षा है यूपी विधानसभा चुनाव

                 
                                   बलिराम सिंह, नई दिल्ली                                             यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के मुखिया चौधरी अजित सिंह और अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के अग्नि परीक्षा है. पश्चिमी यूपी में अजित सिंह अपना वजूद बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं तो पूर्वांचल में अनुप्रिया पटेल के लिए खुद को अपना दल का वास्तविक वारिस साबित करने की चुनौती है.                                अपना दल में विभाजन के बाद अनुप्रिया पटेल पहली बार अपने बल-बुते चुनावी मैदान में हैं. अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल फ़िलहाल केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं. भाजपा गठबंधन में 11 सीटों पर अपना दल (एस) चुनाव लड़ रही है, जबकि इस गठबंधन के खिलाफ अनुप्रिया पटेल की माँ कृष्णा पटेल वाराणसी की रोहनिया सीट से ताल ठोक रही हैं. चूँकि अपना दल के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल का वाराणसी कर्मस्थली रहा है. इसे अपना दल का गढ़ भी माना जाता है. ये चुनाव इन दोनों गुटों के लिए काफी मायने रखता है. खास बात यह है कि इसी सीट से समाजवादी पार्टी ने महेंद्र सिंह पटेल (मौजूदा विधायक, उपचुनाव में यहाँ से अपना दल हार गई थी.) को मैदान में उतारा है.           यदि चुनाव में अपना दल एस को जीत मिलती है तो अनुप्रिया पटेल का कद बढ़ेगा और केंद्र में और मजबूत हो सकती हैं. साथ ही राज्य में यदि बीजेपी गठबंधन की सरकार बनती है तो अपना दल के विधायकों को राज्य कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. लेकिन यदि अपना दल एस के उम्मीदवार हारते हैं तो अगले कुछ सालों के लिए अनुप्रिया का विजय रथ रुक जायेगा और पूर्वांचल के मात्र कुछ जिलों में सिमट कर रह जाएंगी.        इसी तरह दूसरा गुट अपना दल की अध्यक्ष कृष्णा पटेल जीतती हैं तो यह पार्टी आगे भी सर्वाइव करेगी और यदि हारती हैं तो शायद इस पार्टी का भविष्य लगभग ख़त्म हो जाये या एक बार फिर से इसके रणनीतिकारों को अपनी रणनीति बदलते हुए सुलह के लिए अनुप्रिया की ओर हाथ बढ़ाये.                                      वर्ष 2012 की स्थिति        -             वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की सातों सीटों पर भाजपा और अपना दल को मिले वोटों पर नजर डालें तो भाजपा को अपना दल से केवल 65 हजार ज्यादा वोट मिले थे। यहां पर भाजपा को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा एक सीट पर तीसरे स्थान पर, एक पर चौथे स्थान, एक पर पांचवें स्थान और एक पर छठें स्थान पर रही। पिंडरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को महज 3326 वोट मिले थे। 
भाजपा के अलावा एक सीट पर बसपा, एक पर कांग्रेस, एक पर सपा और एक पर अपना दल को जीत हासिल हुई थी।
वाराणसी में अपना दल की स्थिति-      
रोहनिया सीट से अनुप्रिया पटेल को जीत हासिल हुई। इसके अलावा सेवापुरी में दूसरे स्थान पर, पिंडरा में तीसरे स्थान पर और अजगरा सुरक्षित सीट पर चौथे स्थान पर रही।
भाजपा से ज्यादा वोट पाकर भी सपा-बसपा फीसड्डी-
खास बात यह है कि वाराणसी की सातों सीटों पर सपा और बसपा को भाजपा से लगभग 30 हजार वोट ज्यादा मिले। बावजूद इसके इन दोनों महत्वपूर्ण पार्टियों को महज एक-एक सीट से ही संतोष करना पड़ा।
जातीय आंकड़े-
शहरी क्षेत्र में ब्राह्मण, बनिया के अलावा अन्य समाज की संख्या बहुतायत है तो ग्रामीण क्षेत्र में कुर्मी जाति का बोलबाला है। इसके अलावा आरक्षित आबादी भी काफी तादाद में हैं।
भाजपा को मिले कुल वोट- 218262
अपना दल को मिले कुल वोट-153585
दोनों दलों की विधानसभा वार मिले वोटों की स्थिति-
विधानसभा           -     भाजपा               -   अपना दल
कैंट                 -  57918                   -    1800
नार्थ                -   47980                  -
दक्षिणी            -    57868                  -
अजगरा          -     22855                 -      16563
पिंडरा            -       3326                 -       40468
सेवापुरी         -        9811                -      36942
रोहनिया        -     18504                 -       57812
कुल           -   218262                   -    153585

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