Thursday 24 November 2016

DeMonetization अब 15 दिसंबर तक बदलें 500 के पुराने नोट, 1000 के नोट अब केवल बैंक खाते में ही जमा होंगे


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
मोदी सरकार ने 500 के पुराने नोट को बदलने की डेडलाइन में एक बार फिर बदलाव किया है। अब आप अपने 500 के पुराने नोटों को 15 दिसंबर तक बदल सकते हैं। हालांकि यह छूट 1000 के नोटों पर 24 नवंबर की रात्रि को समाप्त हो जाएगी।
केंद्र सरकार ने 500 के पुराने नोटों का इस्तेमाल करने की डेडलाइन 15 दिसंबर तक बढ़ा दी है। अर्थात 500 का पुराना नोट आप अब 21 दिन और चला सकेंगे। लेकिन 1000 का नोट अब केवल बैंक अकाउंट में ही जमा हो सकेगा। इसके अलावा सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। सरकार के मुताबिक, बैंकों में पुराने बड़े नोटों को बदलने का काम कल से नहीं हो सकेगा। हालांकि, 30 दिसंबर तक आप इन्हें जमा करा सकेंगे। बता दें कि पहले 24 नवंबर की आधी रात तक ही 500 और 1000 के नोटों को बदलने की डेडलाइन तय की गई थी।
-2 दिसंबर तक हाईवे टोल फ्री रहेंगे,  बता दें कि इस एलान से पहले सरकार ने देशभर के हाईवे 24 नवंबर की रात तक टोल फ्री थें।
-2 दिसंबर के बाद 15 दिसंबर तक टोल नाकों पर 500 रुपए का पुराना नोट चलाया जा सकेगा।
विदेशी पर्यटकों को राहत-
फॉरेन टूरिस्ट्स को ये फैसिलिटी दी गई है कि एक हफ्ते में 5 हजार तक की करंसी एक्सचेंज करा सकेंगे। इसका डिटेल उनके पासपोर्ट पर भी होगा।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर की रात्रि को 500 और 1000 के पुराने नोटों के चलन पर रोक Demonetization लगा दी, जिसके बाद पूरे देश में बैंकों और एटीएम के बाहर लाेगों की लंबी कतार लगी हुई है।


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Tuesday 22 November 2016

#Ayodhya अयोध्या में सरयू नदी के घाटों के नवीनीकरण के लिए तीन करोड़ रुपये की मंजूरी


लखनऊ, 22 नवंबर
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरयू नदी के घाटों के पुनरुद्धार के लिए तीन करोड़ 72 लाख 83 हजार रुपये की मंजूरी दी है। फैजाबाद में अयोध्या स्थित सरयू नदी पर निर्मित घाटों के पुनरुद्धार के लिए तीन करोड़ 72 लाख 83 हजार रुपए की मंजूरी देते हुए चालू वर्ष में प्रथम किश्त के तौर पर 50 फीसदी धनराशि (एक करोड़ 86 लाख 41 हजार 500 रुपए) खर्च करने की मंजूरी दे दी है।
यूपी सरकार के अधिकारी के मुताबिक इस परियोजना के सभी कार्य अगले आठ महीने के अंदर पूरे कर लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सरयू नहर खण्ड के अधिशासी अभियंता (एक्जीक्यूटिव इंजीनियर) इस परियोजना को निर्माण एजेंसी बनाया गया है और लखनऊ विकास प्राधिकरण को परियोजना का नोडल एजेंसी बनाया गया है।

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DeMonetization बैंक में 8 नवंबर से पहले जमा राशि ही शादी के लिए निकालने की छूट

बलिराम सिंह, नई दिल्ली
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शादी के लिए बैंक से ढाई लाख रुपए निकालने के लिए नियमों में बदलाव किया है। अब 8 नवंबर से पहले खाते में जमा राशि में से ही आप बिटिया की शादी के लिए पैसे निकाल सकते हैं। 8 नवंबर की आधी रात से नोटबंदी के बाद जमा धनराशि में से आप पैसे नहीं निकाल सकते हैं।
इन नियमों का करना होगा पालन-
-8 नवंबर से पहले खाते में जमा रकम में से ही पैसे निकाल पाएंगे, नोटबंदी के बाद जमा पैसे में से नहीं
-आवेदन के साथ एडवांस के पेमेंट जैसे हॉल बुकिंग, कैटरर, आदि की रसीद देनी होगी। जो पेमेंट लेगा उसे सत्यापित करना होगा कि उसके पास बैंक खाता नहीं है
-वर-वधू दोनों पक्ष ढाई-ढाई लाख रुपए निकाल सकते हैं। लड़का-लड़की और उनके माता-पिता में से कोई भी सिर्फ अपने खाते से ही पैसे निकाल पाएगा
-व्यवस्था अभी 30 दिसंबर तक है। यानी जिनके यहां 30 दिसंबर से पहले शादी है, वही इसका इस्तेमाल कर सकेंगे।

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Monday 21 November 2016

Demonetization 500 के पुराने नोटों से बीज खरीद सकते हैं किसान


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने किसानों को 500 रुपए के पुराने नोटों से बीज खरीदने की अनुमति दे दी है। बीज केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों, राष्ट्रीय और राज्य बीज निगमों, केंद्रीय और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों और आईसीएआर के केंद्रों से खरीदे जा सकेंगे।
रबी की फसल की बुआई के लिए केंद्र सरकार ने किसानों को यह अनुमति दी है। उन्हें 500 रुपए के पुराने नोटों से केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों, राष्ट्रीय और राज्य बीज निगमों, केंद्रीय और राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों तथा आईसीएआर के केंद्रों से पहचान पत्र प्रस्तुत करके बीज खरीदने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
किसानों को 25 हजार रुपए तक प्रति सप्ताह निकालने की छूट-
इससे पहले किसानों को नकदी उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने सामान्य ऋण सीमा शर्तों के अंतर्गत उनके केवाईसी अनुपालक बैंक खातों से 25 हजार रुपये प्रति सप्ताह निकालने की अनुमति देने का निर्णय 17 नवंबर को लिया गया था।
दिल्ली के व्यापारियों को 24 तक पुराने नोट जमा करने की छूट-
उधर, नोटबंदी पर दिल्ली सरकार ने राजधानी के व्यापारियों को भारी राहत दी है। वैट जमा करने वाले दिल्ली के व्यापारी 500-1000 के पुराने नोटों के जरिए अपना कर जमा कर सकते हैं। हालांकि दिल्ली सरकार ने यह राहत केवल 24 नवंबर तक ही दी है। दिल्ली के केवल पंजीकृत व्यापारी अपना वैट नगी में एसबीआई अथवा एचडीएफसी की किसी भी शाखा में जमा करा सकते हैं।
यूपी में जमीन रजिस्ट्री पर राहत-
उधर, यूपी सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री पर पुराने 500-1000 के नोटों को लेने का एक सप्ताह पहले ही निर्देश जारी कर दिया था। हालांकि यह आदेश भी केवल 24 नवंबर तक ही मान्य होगा।


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Wednesday 16 November 2016

Pollution वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में चीन को पीछे छोड़ा भारत



बलिराम सिंह, नई दिल्ली
देश में प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में भारत ने चीन को पछाड़ दिया है, जो कि अत्यधिक चिंतनीय है। वर्ष 2015 में वायु प्रदूषण की वजह से चीन के अपेक्षा भारत में ज्यादा लोगों की मौतें हुईं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजिज प्रोजेक्ट की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। वर्ष 2015 में भारत में 3283 लोगों की रोजाना मौत हुई, जबकि इसकी तुलना में चीन में 3233 लोगों की मौत हुई। अध्ययन से खुलासा हुआ है कि 1990 से अब तक लगातार भारत में होने वाले असामयिक मौत की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
ग्रीनपीस ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि इस साल की शुरूआत में ही संस्था ने इस तरह की जानकारी दी थी कि इस शताब्दी में पहली बार भारतीय नागरिकों को चीन के नागरिकों की तुलना में औसत रूप से अधिक कण (पार्टिक्यूलेट मैटर- सूक्ष्म कण) या वायु प्रदूषण का दंश झेलना पड़ रहा है। ग्रीनपीस के कैंपेनर सुनील दहिया का कहना है कि चीन एक उदाहरण है, जहां सरकार द्वारा मजबूत नियम लागू करके लोगों के हित में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सका है। जबकि भारत में साल दर साल लगातार वायु प्रदूषण बढ़ता ही गया है। यह इस बात को भी दर्शाता है कि हमारी हवा कितनी प्रदूषित हो गई है। सरकार को इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने ही होंगे।
2005-2011 तक चीन में बढ़ा प्रदूषण-
चीन में पेट्रो ईंधन पर अधिक निर्भरता की वजह से हवा की स्थिति बहुत खराब हो गई थी। 2005 से 2011 के बीच पीएम का स्तर 20 फीसदी तक बढ़ गया था। 2011 में चीन में सबसे ज्यादा बाहरी वायु प्रदूषण रिकाॅर्ड किया गया, लेकिन इसके बाद 2015 आते-आते चीन के वायु प्रदूषण में सुधार होता गया।
भारत में बढ़ती जा रही हैं मौतें-
 लेकिन इस दौरान भारत में वायु प्रदूषण को लेकर ठोस कदम न उठाने की वजह से पिछले कुछ सालों में लगातार प्रदूषण स्तर बढ़ा है। वर्ष 2015 का साल सबसे अधिक वायु प्रदूषित साल रिकॉर्ड किया गया। परिणामस्वरूप भारत में असामायिक मृत्यु की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।

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Tuesday 15 November 2016

#ExchangeCurrency 38 सालों में बदल गया भारत, 1978 के नोटबंदी से मत कीजिए तुलना



वर्ष 1978 और 2016 के फैसलों के अंतर को आप मात्र इस एक छोटे उदाहरण से समझ सकते हैं। वर्ष 1978 में एक मजदूर की महीने भर की तनख्वाह 500 रुपए से भी कम थी, जबकि आज एक मजदूर का न्यूनतम वेतन औसतन 8000 रुपए है। अत: वर्ष 1978 में 1000 रुपए, 5000 रुपए और 10 हजार रुपए के नोट्स पर लगाए गए पाबंदी का सामान्य जनता पर खास असर नहीं पड़ा। मुख्यत: इसका असर तत्कालीन समय के संपन्न तबके पर देखा गया और इन नोटों को बदलने के लिए लाइन में खड़े लोग भी उच्च वर्ग के थें।
हालांकि उस दौर में भी लोग परेशान थे और लोगों में हड़कंप मच गया था। वर्ष 1978 में 1000 रूपए और 5 हजार रूपए के ही साथ 10 हजार रूपए के नोट्स प्रतिबंधित करने से लोग प्रभावित हुए थे। हालात ये रही थी कि जिनके पास नोट अधिक थे, वे खुद को आर्थिक तौर पर लगभग बर्बाद मान रहे थे। मगर फिर व्यवस्था में धीरे-धीरे नए नोट चलन में आने लगे। गौरतलब है कि उस दौर में मुंबई जैसे शहर में एक हजार रूपए में 5 वर्ग फीट की जमीन भी खरीदी जा सकती थी। 



38 सालों में बदल गया भारत-
1978 के भारत से आज का भारत पूरी तरह से बदल गया है। आज देश कई  मायने में बदल गया है, जिसे हमें निम्न बिंदुओं से समझ सकते हैं-
-आज देश में एक मजबूत मध्य वर्ग उभरा है। भारत की पूरी आर्थिक नीति मध्य वर्ग के मद्देनजर तैयार की जा रही है। मध्य वर्ग के मद्देनजर ही बाजार टिका है।
-आज इसी मध्य वर्ग के पास पैसा जमा करने अथवा निकलाने के लिए कई माध्यम है। आज मध्य वर्ग अपनी अधिकांश खरीदारी डेबिट कार्ड अथवा क्रेडिट कार्ड के जरिए करता है। यही तबका अधिकांश अपना बकाया बिल ऑनलाइन जमा कर रहा है।
एटीएम मशीनें-
जहां 1978 में आम जनता पैसा निकालने अथवा जमा करने के लिए पूरी तरह बैंकांे अथवा पोस्ट ऑफिस पर निर्भर रहती थी, वहीं आज अधिकांश मध्य वर्ग, निम्न मध्य वर्ग सहित देश की अधिकांश आबादी एटीएम के जरिए धन निकासी कर रही है।
फिर भी है समस्या-
इन सारी सुविधाओं के बावजूद आज भी देश में अनेक समस्याएं हैं। देश के नीचले तबके की मासिक आय महज 8 हजार रुपए के करीब है, बेरोजगारी भी एक विकट समस्या है। महंगाई की वजह से पिछले 38 सालों में 100 रुपए की वैल्यू काफी गिर गई है। जिसकी वजह से नीचले तबके के पास भी करेंसी के तौर पर 500 और 1000 के नोट्स ही हैं। और मोदी सरकार की नोटबंदी फैसले का इस तबके पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ा है। यह वह आबादी है जाे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए किसी डेबिट कार्ड अथवा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करती है और ना ही ऑनलाइन भुगतान करती है।
सरकारी तैयारी विफल-
विशेषज्ञों का कहना है कि एक अच्छी योजना अधूरी सरकारी तैयारी की वजह से आज फेल होने के कगार पर है। पूरे देश में पुराने नोटों को बदलने और नए नोटों को निकालने को लेकर अफरातफरी का माहौल बना हुआ है।


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