जीएम बीजों से नष्ट हो जाएगा देशी सरसो: कपिल मिश्रा
कपिल मिश्रा, नई दिल्ली
आखिर वही होने जा रहा है जिसका
डर था, जिन खतरनाक जीएम बीजों के खिलाफ सारा भारत सड़कों पर उतर गया था, कांग्रेस सरकार
के जयराम रमेश की जन सुनवाइयों में ये स्पष्ट हो गया था कि देश के किसान, देश के उपभोक्ता,
दुनिया भर के वैज्ञानिक और खाद्य सुरक्षा तथा पर्यावरण को समझने वाले सभी लोग जीएम
बीजों को असुरक्षित मानते हैं। अस्वीकार करते हैं।
आज उन्ही खतरनाक जीएम बीजों
को मोदी सरकार सीधे हमारे खाने वाली चीजों में अनुमति देने जा रही हैं ।
बरसों तक भाजपा ने, संघ ने,
स्वदेशी जागरण मंच, बाबा रामदेव ने, श्री श्री रविशंकर ने, यहाँ तक की मध्य प्रदेश
और राजस्थान की भाजपा सरकारों ने भी आधिकारिक तौर पर खुलकर जीएम बीजों के खिलाफ इस
लड़ाई में किसानों और देश के लोगो का साथ दिया पर आज अचानक सब के सब चुप है और मोदी
सरकार वो करने जा रही है जो सबसे काले दिनों में भी कांग्रेस नहीं कर पाई।
त्ररू सरसो न केवल इस देश की
सरसों को हमेशा के लिए ख़तम कर देगा बल्कि साथ ही हमारे किसानों की उगाने की आज़ादी,
हम सबकी सुरक्षित खाने की आज़ादी भी खत्म कर देगा।
पर्यावरण को होगा नुकसान-
हमारी आयुर्वेदिक व अन्य व्यवस्थायों
जहाँ जहाँ सरसो की भूमिका है, हमारी खेती, हमारे स्वास्थ्य, हमारे पर्यावरण, हमारे
आयुर्वेद, हमारे बीज सब को हमेशा के लिए प्रदूषित व ख़तम करने की तैयारी है।
पंजाब जो कि अपनी लहलहाती सरसों
के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, उस पंजाब की पहचान पर ये सीधा हमला हैं ।
अभी भी समय है, मोदी सरकार
को समझना होगा लालच का कोई अंत नहीं, हमारे किसान, हमारे खेत, हमारा आयुर्वेद सब ख़तम
हो जायेगा तो ये चंद बीज बनाने वाली कंपनियां नहीं आयेगीं बचाने। जीएम बीजों को इस
तरह खाद्य फसलों में लाना देश के साथ, किसानों के साथ, भारत माता के साथ धोखा है।
दुःख सबसे बड़ा ये कि बरसों
तक इन किसानों के दुश्मनों से जनता के साथ मिलकर लड़ने वाले सब आज न जाने किस डर से
चुप्पी लगाकर बैठ गए है।
संघ, बीजेपी, रामदेव, श्री श्री रविशंकर पर निशाना-
संघ चुप है, स्वदेशी वाले चुप
है, रामदेव जी चुप है, श्री श्री चुप है, भाजपा के वो सभी नेता व कार्यकर्ता जो सड़को
पर इन बीजों व कंपनियों के खिलाफ लड़ रहे थे सब चुप है।
पर याद रखना, ये देश नहीं चुप
बैठेगा। न चुप बैठेगा न माफ़ करेगा।
(लेखक दिल्ली सरकार में जल एवं पर्यटन मंत्री हैं।)
जीएम का तात्पर्य-
अंग्रेजी में इसे जेनेटिकली
मोडिफाईड कहते हैं। इसका अर्थ है-एक जीव या अन्य फसल का वंशाणु (जीन) दूसरे जैव-पौधे
में रोपित किए जाते हैं, जिससे उसकी बीमारियों को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। उदाहरण
के लिए टमाटर को पाले से या अधिक ठंड से बचाने के लिए बर्फीले क्षेत्र में पाए जाने
वाली मछली के वंशाणु (जीन) को टमाटर के बीज में प्रत्यारोपित किया जाता हैं या मिलाया
जाता हैं। बी.टी. कपास में डोडा कीट को मारने में सक्षम विषाणु वैक्टीरिया-बेसिलस थोरेजिंसस
के वंशाणु (जीन) को मिलाया जाता है।
Labels: baba ramdev, BJP, Environment, farmer, GM seeds, health, Kapil Mishra, Mustard, Sri Sri Ravi Shankar, Water and Tourist Minister
2 Comments:
सर्वथा गलत है मिलावट होने से उत्पादन बढ़ा सकते है पर घट जायेगी ऐसे ही रोज नई नई बीमारिया पैदा हो रही है GM करने से नई मुश्किले पैदा होंगी जो की गलत है। सरकारे अपनी अपनी राजनितिक रोटी पकाती रही है ।
प्रतिवेंद्र जी, जीएम फसलों पर मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन पर्यावरणवीद इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं, भारतीय परिवेश में जीएम फसलें कितना सही हैं, इस पर प्रकाश डालिए
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home