Saturday 3 September 2016

#Dengue डेंगू पर नियंत्रण के लिए बनें जागरूक, 20 हजार प्लेटलेट्स होना चिंताजनक


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
एडीज मच्छर से फैलने वाली बीमारी डेंगू अब राजधानी दिल्ली के अलावा उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भी पांव पसारने लगे हैं। बीमारी के बढ़ते मामलों से आम जनता में भय व्याप्त है। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है और सदैव अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। इसके लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ.केके अग्रवाल कहते हैं कि लोगों को इस बात की भ्रांति है कि मच्छरों मच्छरों से होने वाली इस बीमारी ने भारत को दुनिया की डेंगू की राजधानी बना दिया है। आज कल इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है और रोकथाम भी संभव है। उचित प्राथमिक उपचार, दवाओं और बचाव से ही इसे अच्छी तरह से रोका जा सकता है।
इन बातों का रखें ख्याल-
पहली बार डेंगू ठीक होने के बाद हमारे अंदर दूसरी किस्म के डेंगू के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा नहीं होती, इसलिए ठीक होने के बाद दोबारा बीमार होने से बचने के लिए बचाव करना चाहिए। इस वक्त रोकथाम, इलाज के विकल्पों और बीमारी से जुड़े मिथकों के बारे में लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है। खुद घबराने और दूसरों में बेचैनी फैलाने की बजाए हम सभी को मिल कर इस समस्या को हल करने और इसे रोकने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
10 हजार से नीचे जाने पर होती है प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत-
डॉ.अग्रवाल कहते हैं कि जब प्लेटलेट्स की संख्या 10000 से कम होती है और शरीर के किसी अंग से ब्लीडिंग होने लगती है तो ऐसी स्थिति में मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। अधिकांश मामलों में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती है और कई बार इसे चढ़ाने पर लाभ के बजाय नुक्सान होने की संभावना ज्यादा होती है।
डेंगू मरीज को दें तरल भोजन-
डेंगू के मरीजों पर नजर रखते हुए तरल आहार देते रहना इसके इलाज का सबसे बेहतर तरीका है। ज़्यादातर मामलों में मरीज़ को हस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता नहीं होती और परिवार वालों को डाॅक्टरों पर मरीज़ को भर्ती करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए। इससे ज़्यादा बीमार मरीज़ों को अस्पताल में बेड नहीं मिल पाते हैं। इलाज कर रहे डाॅक्टर की सलाह अनुसार गंभीर मरीज़ों को ही भर्ती करना चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि डेंगू के 70 फीसदी मामलों में तरल आहार देते रहने से इसका इलाज हो सकता है। मरीज़ को साफ सुथरा 100 से 150 एमएल पानी हर घंटे देते रहना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मरीज़ हर 4 से 6 घंटे में पेशाब करता रहे।
गंभीर डेंगू के लक्षण-
-पेट में दर्द और टेंडरनेस्स
-लगातार उल्टी
-क्लिनिकल फल्युड एक्युमलेषन
-एक्टिव म्युकोसल ब्लीडिंग
-गंभीर बेचैनी और सुस्ती
-टैंढर एनलार्जड लीवर
डेंगू बुखार जांचने का मंत्र 20-
-अगर नब्ज़ 20 से ज़्यादा हो
-उच्चतम रक्तचाप 20 से ज़्यादा हो
-उच्चतम और निम्नत्तम रक्तचाप में अंतर 20
-अगर हीमाटोक्रेटिक में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो
-अगर प्लेटलेट्स की संख्या 20000 से कम हो
-टोरनीक्वट टैस्ट के बाद अगर बाजू के एक इंच के घेरे में अगर पेटेचियल की संख्या 20 से ज़्यादा हो।
डेंगू का प्राथमिक उपचार-
-अगर रक्तचाप सामान्य है तो 10 एमएल तरल प्रतिकिलोग्राम वजन के हिसाब से हर 20 मिनट बाद देते रहें। अगले एक घंटे बाद डोज़ आधी कर दें। अगर रक्तचाप कम है तो दवा 20 एमएल प्रति किलोग्राम वज़न के हिसाब से दें।
-मरीज़ को ज़्यादा से ज़्यादा तरल आहार लेते रहना चाहिए।
-सबसे अच्छा तरल एक लीटर पानी में 6 चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक डाल कर बना घोल है। इसे लेते रहना चाहिए
-मरीज़ को अपना प्रतिदिन का आहार कम नहीं  करना चाहिए। संतुलित आहार उचित मात्रा में लेते रहना बेहद महत्वपूर्ण है।
-अगर सामान्य रक्तचाप हो तो डेंगू का बेहतरीन इलाज है हर एक घंटे में 100 एमएल तरल 48 घंटों तक लेते रहें, अगर रक्तचाप कम हो तो 150 एमएल प्रति घंटा लें।
कब होती है फिक्र की बात?-
-प्राथमिक उपचार से हालत बिगड़ने से बच सकती है लेकिन डाॅक्टर की सलाह तुरंत लेनी चाहिए।
-जब हीमेटोक्रिट की बेसलाइन ना हो। अगर इसका स्तर बालिग महिला में 40 फीसदी  से और बालिग पुरुष में 46 फीसदी से कम हो तो डाॅक्टर को तुंरत दिखाएं, क्योंकि यह प्लाज़मा लीकेज का मामला हो सकता है।
-जब प्लेट्लेट्स की संख्या तेज़ी से कम हो रही हो।
-जब उच्चतम रक्तचाप और न्यूनत्म रक्तचाप का अंतर तेज़ी से घट रहा हो।
-जब लीवर एंज़ायम एसजीओटी का स्तर एसजीपीटी के स्तर से ज़्यादा हो इसका स्तर 1000 से ज़्यादा होने पर गंभीर प्लाज़मा लीकेज हो सकता है और 400 से कम होने पर मध्यम स्तर का प्लाज़्मा लीकेज हो सकता है।
-जब हीमेटोक्रिट में तेज़ी से बढ़ोतरी हो और प्लेट्लेट्स की संख्या में तेज़ी से गिरावट होती जाए।
इन दवाइयों से करें परहेज-
पैरासिटामॉल, क्रोसिन को छोड़कर पेन किलर की सभी दवाइयों से परहेज करना चाहिए, जैसे ब्रुफेन, डिस्प्रीन जैसी दर्द निवारक दवाइयों से करें परहेज
हैल्पलाइन नंबर-
यहां पर फोन करके आप सलाह ले सकते हैं-
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया- 9958771177
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन- 011-23370009 , 9717776514

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2 Comments:

At 5 September 2016 at 09:08 , Blogger Prativendra Singh said...

Very useful information.
Thanks a lot

 
At 5 September 2016 at 09:08 , Blogger Prativendra Singh said...

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