Thursday, 29 September 2016

नाजुक दिल के लिए इन नौ खतरों से रहें सावधान




बलिराम सिंह, नई दिल्ली
दिल के दौरे रोके जा सकते हैं। इसके लिए आप नौ खतरों पर फोकस करें। आईएमए के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने विश्व हृदय दिवस के अवसर पर इन नौ खतरों की सूची जारी की है।
-बढ़ा हुआ एलडीएल-एचडीएल अनुपात,
- धुम्रपान,
-डायबिटीज,
- हाईपरटेंशन,
- पेट का मोटापा,
-तनाव या अवसाद,
-हर रोज फल और सब्जियां ना खाना,
-व्यायाम ना करना
-किसी भी शराब का सेवन करना। डॉ.अग्रवाल का कहना है कि आगामी एमटीएनएल परफेक्ट हैल्थ मेला में इन नौ जोखिम कारक स्क्रीनिंग पर ध्यान दिया जाएगा।
दिल के रोग को रोकने के लिए अपनाएं 80 सूत्र-
-लोअर बीपी, बुरा कॉलेस्ट्राल, आराम की स्थिति में दिल की धड़कन, खाली पेट शुगर और कमर का घेरा 80 से कम रखें
-किडनी और फेफड़ों की कार्यप्रणाली 80 फीसदी दुरूस्त रखें
-हर सप्ताह सख्त मेहनत वाली कसरत करें, जिसमें प्रतिदिन 80 मिनट की सैर और प्रति सप्ताह 80 मिनट 80 कदम प्रति मिनट की रफ्तार से सैर करें।
-हर आहार में 80 ग्राम से ज्यादा कैलोरीज ना लें। हाई फाईबर, लो सेचुरेटेड फैट, जीरो ट्रांस फैट, लो रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट्स, कम नमक, ज्यादा फल वाला आहार लें। रिफाईंड कार्बोहाईड्रेट्स में सफेद मैदा और सफेद शामिल हैं।
-रोज 80 बार प्रणायाम करें। आराम, ध्यान और दूसरों की मदद करने में हर रोज 80 मिनट बताए
-धुम्रपान ना करें या इलाज के लिए 80 हजार खर्च करने के लिए तैयार रहें
डायबिटीज रोकने के पांच मंत्र-
-संतुलित आहार लें,
- संतुलित वजन बनाए रखें,
- उचित शारीरिक गतिविधियां करें,
- शराब का सेवन सीमित मात्रा में करें
-धुम्रपान बिल्कुल ना करें।
हार्ट अटैक की करें पहचान-
सीने के बीचोंबीच दर्द, जलन, असहजता, भारीपन, यदि तीस सैकेंड से ज़्यादा रहे और किसी एक केंद्र पर ना हो।
- 40 उम्र के बाद शुरूआती ऐसिडिटी हो तो पहले दिल के दौरे की जांच करें।
-40 के बाद दमा का पहला दौरा दिल का दमा हो सकता है।
-जो लक्ष्ण अजीब हो, पहली बार हों और समझ में ना आ रहे हों डाक्टर से तुरंत संपर्क करें।
क्या करें-


-घबराएं नहीं
-सीने का दर्द शुरू होते ही 300 एमजी की एस्प्रिन चबा लें। आप की मौत नहीं होगी।
यदि किसी की मौत हो जाए तो क्या करें?
-10 मिनट के अंदर ज़ोरदार तरीके से छाती के बीचों बीच एक मिनट में 100 बार की गति से दबाएं। 80 प्रतिशत लोगों की जान बचाई जा सकती है।
नोट- स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी जानकारी आप baliram786@gmail.com पर पूछ सकते हैं।

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Tuesday, 13 September 2016

दिल्ली में महामारी का रूप ले रहा है चिकनगुनिया, लगभग हर घर में लोग हो रहे हैं बीमार

बलिराम सिंह, नई दिल्ली
राजधानी में चिकनगुनिया महामारी का रूप ले लिया है। हालांकि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस सच्चाई से मुंह मोड़ रही हैं, लेकिन आंकड़ांे को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में चिकनगुनिया महामारी का रूप ले ली है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ.केके अग्रवाल की माने तो यह स्थिति महामारी से भी ज्यादा खराब है।
देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ही अब तक चिकनगुनिया के 1300 मरीज आ चुके हैं। जबकि दिल्ली नगर निगम से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 1724 मामले आ चुके हैं, इनमें से 1057 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए चिकित्सकों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है। डॉ.केके अग्रवाल के मुताबिक लगभग हर घर में कोई न कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है।
एम्स के जनस्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर संजय राय कहते हैं कि मौजूदा समय में दिल्ली में चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि को देखते हुए साफ होता है कि यह आउटब्रेक (विस्फोटक) की स्थिति है, जिस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि चिकनगुनिया से सीधे तौर पर मरीज की मौत नहीं होती है। इस बीमारी के साथ ही मरीज किसी अन्य शारीरिक समस्या से पीड़ित हो सकता है।
बता दें कि वर्ष 2015 में राजधानी में चिकनगुनिया के मात्र 65 मामले आए थें। इससे पूर्व के वर्षों में भी चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या दो अंक तक ही सीमित रही। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अनिल बंसल कहते हैं कि पहली बार इतनी तादाद में मरीजों की संख्या बढ़ी है। अस्पताल के अलावा क्लीनिक में भी मरीजों की लंबी कतार लगी है। इस बाबत सरकार को विशेष इंतजाम करना चाहिए, ताकि लोगों में भय न फैले।
चिकनगुनिया का अर्थ-
चिकनगुनिया शब्द को अफ्रीकी भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है 'वह, जो झुका दे...' चिकनगुनिया एक वायरल बुखार है। एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर, जिसको पीले बुखार का मच्छर भी कहते हैं, के काटने से यह वायरस शरीर में घुस जाता है।
ऐसे आया चिकनगुनिया-
चिकनगुनिया बीमारी को अफ्रीकन भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है, वह, जो झुका दे (हड्डी टूटने जैसा दर्द)। यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि जोड़ों में दर्द की वजह से मरीज झुककर चलने लगते हैं और पूरी तरह स्वस्थ होने में महीनों लग जाते हैं मरीज की स्थिति चिकन (मुर्गी का बच्चा) जैसी हो जाती है। अधिकतर एशिया और अफ्रीका के देशों में यह बीमारी होती रही है। सबसे पहले चिकनगुनिया की शुरुआत १९५२ में अफ्रीका के मंकोडे द्वीप में हुई जो तंज़ानिया और मोजाम्बिक के बीचोंबीच स्थित है। भारत में 10 साल पहले तक आम तौर पर यह बीमारी दक्षिण भारत विशेषकर केरल में पायी जाती थी।
चिकनगुनिया से जुड़ी खास बातें-
चिकनगुनिया एक बार हो जाने पर जीवन में दोबारा होने की संभावना लगभग न के बराबर होती है
-चिकनगुनिया बीमारी सीधे एक मनुष्य से दुसरे मनुष्य में नहीं फैलती
-एक बीमार व्यक्ति को एडीज मच्छर के काटने के बाद फिर स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलती है
-इसमें बुखार, खांसी, जुकाम, बदन में दर्द और जोड़ों में दर्द से पीड़ित हो जाता है
-आमतौर पर चिकनगुनिया बुखार जानलेवा नहीं कहा जाता
-कई मामलों में जानलेवा भी हो सकता है
-यह मच्छर दिन में काटता है, इससे बचना चाहिए
-जोड़ों में भयंकर पीड़ा होती है,
-मरीज इतना कमजोर हो जाता है कि कोई भी कार्य करने में असमर्थ पाता है
चिकनगुनिया के लक्षण
-मच्छर काटने के एक सप्ताह बाद चिकनगुनिया के लक्षण नजर आते हैं
-इसमें तेज बुखार के साथ जोड़ों, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द
-जी मचलना, भूख कम लगना और कमजोरी आना
-प्रकाश सहन न होना
-शरीर पर चकते निकलना
चिकनगुनिया का उपचार
-चिकनगुनिया के लिए डॉक्टर लाक्षणिक दवा देते हैं
-चिकनगुनिया के विषाणु नष्ट करने के लिए कोई दवा या टीका अब तक नहीं बना है
-जोड़ों व अन्य दर्द के लिए पेन कीलर दवाएं दी जाती हैं
-बुखार आने पर बुखार कम करने की दवाएं दी जाती हैं
 -रोगी को आराम करना चाहिए और पेय पदार्थ खूब लेने चाहिए
 -रोगी कोई भी दवाई डॉक्टर की सलाह से ही लें

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Saturday, 3 September 2016

#Dengue डेंगू पर नियंत्रण के लिए बनें जागरूक, 20 हजार प्लेटलेट्स होना चिंताजनक


बलिराम सिंह, नई दिल्ली
एडीज मच्छर से फैलने वाली बीमारी डेंगू अब राजधानी दिल्ली के अलावा उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भी पांव पसारने लगे हैं। बीमारी के बढ़ते मामलों से आम जनता में भय व्याप्त है। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है और सदैव अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। इसके लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ.केके अग्रवाल कहते हैं कि लोगों को इस बात की भ्रांति है कि मच्छरों मच्छरों से होने वाली इस बीमारी ने भारत को दुनिया की डेंगू की राजधानी बना दिया है। आज कल इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है और रोकथाम भी संभव है। उचित प्राथमिक उपचार, दवाओं और बचाव से ही इसे अच्छी तरह से रोका जा सकता है।
इन बातों का रखें ख्याल-
पहली बार डेंगू ठीक होने के बाद हमारे अंदर दूसरी किस्म के डेंगू के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा नहीं होती, इसलिए ठीक होने के बाद दोबारा बीमार होने से बचने के लिए बचाव करना चाहिए। इस वक्त रोकथाम, इलाज के विकल्पों और बीमारी से जुड़े मिथकों के बारे में लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है। खुद घबराने और दूसरों में बेचैनी फैलाने की बजाए हम सभी को मिल कर इस समस्या को हल करने और इसे रोकने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
10 हजार से नीचे जाने पर होती है प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत-
डॉ.अग्रवाल कहते हैं कि जब प्लेटलेट्स की संख्या 10000 से कम होती है और शरीर के किसी अंग से ब्लीडिंग होने लगती है तो ऐसी स्थिति में मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। अधिकांश मामलों में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती है और कई बार इसे चढ़ाने पर लाभ के बजाय नुक्सान होने की संभावना ज्यादा होती है।
डेंगू मरीज को दें तरल भोजन-
डेंगू के मरीजों पर नजर रखते हुए तरल आहार देते रहना इसके इलाज का सबसे बेहतर तरीका है। ज़्यादातर मामलों में मरीज़ को हस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता नहीं होती और परिवार वालों को डाॅक्टरों पर मरीज़ को भर्ती करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए। इससे ज़्यादा बीमार मरीज़ों को अस्पताल में बेड नहीं मिल पाते हैं। इलाज कर रहे डाॅक्टर की सलाह अनुसार गंभीर मरीज़ों को ही भर्ती करना चाहिए। यह याद रखना चाहिए कि डेंगू के 70 फीसदी मामलों में तरल आहार देते रहने से इसका इलाज हो सकता है। मरीज़ को साफ सुथरा 100 से 150 एमएल पानी हर घंटे देते रहना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मरीज़ हर 4 से 6 घंटे में पेशाब करता रहे।
गंभीर डेंगू के लक्षण-
-पेट में दर्द और टेंडरनेस्स
-लगातार उल्टी
-क्लिनिकल फल्युड एक्युमलेषन
-एक्टिव म्युकोसल ब्लीडिंग
-गंभीर बेचैनी और सुस्ती
-टैंढर एनलार्जड लीवर
डेंगू बुखार जांचने का मंत्र 20-
-अगर नब्ज़ 20 से ज़्यादा हो
-उच्चतम रक्तचाप 20 से ज़्यादा हो
-उच्चतम और निम्नत्तम रक्तचाप में अंतर 20
-अगर हीमाटोक्रेटिक में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो
-अगर प्लेटलेट्स की संख्या 20000 से कम हो
-टोरनीक्वट टैस्ट के बाद अगर बाजू के एक इंच के घेरे में अगर पेटेचियल की संख्या 20 से ज़्यादा हो।
डेंगू का प्राथमिक उपचार-
-अगर रक्तचाप सामान्य है तो 10 एमएल तरल प्रतिकिलोग्राम वजन के हिसाब से हर 20 मिनट बाद देते रहें। अगले एक घंटे बाद डोज़ आधी कर दें। अगर रक्तचाप कम है तो दवा 20 एमएल प्रति किलोग्राम वज़न के हिसाब से दें।
-मरीज़ को ज़्यादा से ज़्यादा तरल आहार लेते रहना चाहिए।
-सबसे अच्छा तरल एक लीटर पानी में 6 चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक डाल कर बना घोल है। इसे लेते रहना चाहिए
-मरीज़ को अपना प्रतिदिन का आहार कम नहीं  करना चाहिए। संतुलित आहार उचित मात्रा में लेते रहना बेहद महत्वपूर्ण है।
-अगर सामान्य रक्तचाप हो तो डेंगू का बेहतरीन इलाज है हर एक घंटे में 100 एमएल तरल 48 घंटों तक लेते रहें, अगर रक्तचाप कम हो तो 150 एमएल प्रति घंटा लें।
कब होती है फिक्र की बात?-
-प्राथमिक उपचार से हालत बिगड़ने से बच सकती है लेकिन डाॅक्टर की सलाह तुरंत लेनी चाहिए।
-जब हीमेटोक्रिट की बेसलाइन ना हो। अगर इसका स्तर बालिग महिला में 40 फीसदी  से और बालिग पुरुष में 46 फीसदी से कम हो तो डाॅक्टर को तुंरत दिखाएं, क्योंकि यह प्लाज़मा लीकेज का मामला हो सकता है।
-जब प्लेट्लेट्स की संख्या तेज़ी से कम हो रही हो।
-जब उच्चतम रक्तचाप और न्यूनत्म रक्तचाप का अंतर तेज़ी से घट रहा हो।
-जब लीवर एंज़ायम एसजीओटी का स्तर एसजीपीटी के स्तर से ज़्यादा हो इसका स्तर 1000 से ज़्यादा होने पर गंभीर प्लाज़मा लीकेज हो सकता है और 400 से कम होने पर मध्यम स्तर का प्लाज़्मा लीकेज हो सकता है।
-जब हीमेटोक्रिट में तेज़ी से बढ़ोतरी हो और प्लेट्लेट्स की संख्या में तेज़ी से गिरावट होती जाए।
इन दवाइयों से करें परहेज-
पैरासिटामॉल, क्रोसिन को छोड़कर पेन किलर की सभी दवाइयों से परहेज करना चाहिए, जैसे ब्रुफेन, डिस्प्रीन जैसी दर्द निवारक दवाइयों से करें परहेज
हैल्पलाइन नंबर-
यहां पर फोन करके आप सलाह ले सकते हैं-
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया- 9958771177
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन- 011-23370009 , 9717776514

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