Tuesday, 13 September 2016

दिल्ली में महामारी का रूप ले रहा है चिकनगुनिया, लगभग हर घर में लोग हो रहे हैं बीमार

बलिराम सिंह, नई दिल्ली
राजधानी में चिकनगुनिया महामारी का रूप ले लिया है। हालांकि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस सच्चाई से मुंह मोड़ रही हैं, लेकिन आंकड़ांे को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में चिकनगुनिया महामारी का रूप ले ली है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ.केके अग्रवाल की माने तो यह स्थिति महामारी से भी ज्यादा खराब है।
देश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ही अब तक चिकनगुनिया के 1300 मरीज आ चुके हैं। जबकि दिल्ली नगर निगम से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 1724 मामले आ चुके हैं, इनमें से 1057 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए चिकित्सकों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है। डॉ.केके अग्रवाल के मुताबिक लगभग हर घर में कोई न कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है।
एम्स के जनस्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर संजय राय कहते हैं कि मौजूदा समय में दिल्ली में चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि को देखते हुए साफ होता है कि यह आउटब्रेक (विस्फोटक) की स्थिति है, जिस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि चिकनगुनिया से सीधे तौर पर मरीज की मौत नहीं होती है। इस बीमारी के साथ ही मरीज किसी अन्य शारीरिक समस्या से पीड़ित हो सकता है।
बता दें कि वर्ष 2015 में राजधानी में चिकनगुनिया के मात्र 65 मामले आए थें। इससे पूर्व के वर्षों में भी चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या दो अंक तक ही सीमित रही। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अनिल बंसल कहते हैं कि पहली बार इतनी तादाद में मरीजों की संख्या बढ़ी है। अस्पताल के अलावा क्लीनिक में भी मरीजों की लंबी कतार लगी है। इस बाबत सरकार को विशेष इंतजाम करना चाहिए, ताकि लोगों में भय न फैले।
चिकनगुनिया का अर्थ-
चिकनगुनिया शब्द को अफ्रीकी भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है 'वह, जो झुका दे...' चिकनगुनिया एक वायरल बुखार है। एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर, जिसको पीले बुखार का मच्छर भी कहते हैं, के काटने से यह वायरस शरीर में घुस जाता है।
ऐसे आया चिकनगुनिया-
चिकनगुनिया बीमारी को अफ्रीकन भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब होता है, वह, जो झुका दे (हड्डी टूटने जैसा दर्द)। यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि जोड़ों में दर्द की वजह से मरीज झुककर चलने लगते हैं और पूरी तरह स्वस्थ होने में महीनों लग जाते हैं मरीज की स्थिति चिकन (मुर्गी का बच्चा) जैसी हो जाती है। अधिकतर एशिया और अफ्रीका के देशों में यह बीमारी होती रही है। सबसे पहले चिकनगुनिया की शुरुआत १९५२ में अफ्रीका के मंकोडे द्वीप में हुई जो तंज़ानिया और मोजाम्बिक के बीचोंबीच स्थित है। भारत में 10 साल पहले तक आम तौर पर यह बीमारी दक्षिण भारत विशेषकर केरल में पायी जाती थी।
चिकनगुनिया से जुड़ी खास बातें-
चिकनगुनिया एक बार हो जाने पर जीवन में दोबारा होने की संभावना लगभग न के बराबर होती है
-चिकनगुनिया बीमारी सीधे एक मनुष्य से दुसरे मनुष्य में नहीं फैलती
-एक बीमार व्यक्ति को एडीज मच्छर के काटने के बाद फिर स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलती है
-इसमें बुखार, खांसी, जुकाम, बदन में दर्द और जोड़ों में दर्द से पीड़ित हो जाता है
-आमतौर पर चिकनगुनिया बुखार जानलेवा नहीं कहा जाता
-कई मामलों में जानलेवा भी हो सकता है
-यह मच्छर दिन में काटता है, इससे बचना चाहिए
-जोड़ों में भयंकर पीड़ा होती है,
-मरीज इतना कमजोर हो जाता है कि कोई भी कार्य करने में असमर्थ पाता है
चिकनगुनिया के लक्षण
-मच्छर काटने के एक सप्ताह बाद चिकनगुनिया के लक्षण नजर आते हैं
-इसमें तेज बुखार के साथ जोड़ों, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द
-जी मचलना, भूख कम लगना और कमजोरी आना
-प्रकाश सहन न होना
-शरीर पर चकते निकलना
चिकनगुनिया का उपचार
-चिकनगुनिया के लिए डॉक्टर लाक्षणिक दवा देते हैं
-चिकनगुनिया के विषाणु नष्ट करने के लिए कोई दवा या टीका अब तक नहीं बना है
-जोड़ों व अन्य दर्द के लिए पेन कीलर दवाएं दी जाती हैं
-बुखार आने पर बुखार कम करने की दवाएं दी जाती हैं
 -रोगी को आराम करना चाहिए और पेय पदार्थ खूब लेने चाहिए
 -रोगी कोई भी दवाई डॉक्टर की सलाह से ही लें

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Tuesday, 17 February 2015

भ्रष्टाचार के जंग के लिए केजरीवाल ने केन्द्र से मांगा संजीव चतुर्वेदी - -यूपी के देवरिया निवासी हैं संजीव चतुर्वेदी

भ्रष्टाचार के जंग के लिए केजरीवाल ने केन्द्र से मांगा संजीव चतुर्वेदी
-युवा आईपीएस अधिकारियों के रोलमॉडल हैं संजीव चतुर्वेदी
-एम्स व हरियाणा में भ्रष्ट अधिकारियों के लिए सिरदर्द हो गए थें चतुर्वेदी
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
 दिल्ली में जल्द ही भ्रष्टाचारियों की शामत आने वाली है। दिल्ली में भ्रष्टाचार से जंग लडऩे के लिए युवा आईपीएस अधिकारियों के रोल मॉडल और एम्स के पूर्व सीवीओ (मुख्य सतर्कता अधिकारी) संजीव चतुर्वेदी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) बनाया जाएगा।
अरविंद केजरीवाल ने इस बाबत बकायदा केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर मांग की है कि संजीव चतुर्वेदी को तत्काल दिल्ली के मुख्यमंत्री के ओएसडी के तौर पर जरूरत है। अत: केन्द्रीय मंत्री इस बाबत तत्काल आर्डर पारित करें। संजीव चतुर्वेदी फिलहाल एम्स में डिप्टी सचिव के तौर पर कार्यरत हैं।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के निवासी संजीव चतुर्वेदी वर्ष 2002 बैच के हरियाणा कैडर के आईएफएस (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) अधिकारी हैं। संजीव चतुर्वेदी भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मिशन के तौर पर लड़ाई लड़ रहे हैं। हरियाणा से लेकर एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में संजीव चतुर्वेदी ने दर्जनों भ्रष्टाचार का उजागर किया है और अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। इस दौरान संजीव चतुर्वेदी को नेता-भ्रष्ठ नौकरशाह और वन माफियाओं व ड्ग्स माफियाओं का कोप भाजन भी होना पड़ा।
बता दें कि संजीव चतुर्वेदी को एम्स के सीवीओ पद से हटाने के लिए मात्र 24 घंटे में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आला अधिकारियों ने संजीव चतुर्वेदी को सीवीओ पद से हटा दिया था। मंत्रालय के इस फैसले की चौतरफा निंदा की गई थी। दैनिक भास्कर अखबार ने इस खबर को प्रमुखता से छापा था। आम आदमी पार्टी ने इस मामले में संजीव चतुर्वेदी की फोटो अपनी वेबसाइट पर लगाकर न्याय की मांग की थी तो जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने प्रधानमंत्री को इस बाबत पत्र लिखकर उनकी बहाली की गुजारिश की थी। इस मामले पर खुद भाजपा सांसद उदित राज ने इस फैसले की निंदा की थी।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान-
हरियाणा में वरिष्ठ पद पर रहते हुए संजीव चतुर्वेदी ने वन विभाग से संबंधित भ्रष्टाचार के अनेकों मामले उजागर किए थे और कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इस मामले को लेकर संजीव चतुर्वेदी और हरियाणा की तत्कालीन भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार के बीच ठन गई थी और तत्कालीन राष्ट्रपति के हस्तक्षेप से संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली बुलाया गया और एम्स का सीवीओ नियुक्त किया गया।
एम्स में सीवीओ रहते संजीव चतुर्वेदी ने दर्जनों भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। उन्होंने एक आईएस अधिकारी, एक आईपीएस अधिकारी सहित भ्रष्टाचार में लिप्त कई वरिष्ठ डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की।

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