‘नमामि गंगे’ की सफलता के लिए गंगोत्री से गंगासागर तक पदयात्रा करना चाहती हैं उमा भारती
बलिराम सिंह, नई
दिल्ली
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने गंगा किनारे
के लोकसभा सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे नमामि गंगे कार्यक्रम की सफलता के लिए अपना
सक्रिय योगदान और सहयोग दें। नई दिल्ली में मंगलवार रात को इन सांसदों के साथ अपने
निवास पर आयोजित एक बैठक में उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम में गंगा के सभी
पहलुओं का ध्यान रखा गया है। इसके तहत प्रदूषण निवारण, गंगा की अविरलता, जैव विविधता
और उसके आसपास की वनस्पतियों का संरक्षण शामिल हैं। सुश्री भारती ने कहा कि विश्व बैंक
ने भी हमारी इस योजना की यह कह कर प्रशंसा की है कि दुनिया में पहली बार किसी भी नदी
के संरक्षण की योजना इतनी समग्रता के साथ तैयार की गई है।
गंगोत्री से गंगासागर
तक पदयात्रा करने की इच्छा-
सुश्री भारती ने कहा कि यदि मुझे प्रधानमंत्री जी से अनुमति मिल गई तो
मेरी गंगोत्री से गंगासागर तक पदयात्रा करने की इच्छा है ताकि मैं स्वयं प्रत्येक स्थान
पर कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा कर सकूं, लोगों से हाथ जोड़कर विनती कर सकूं कि वे
इस कार्यक्रम को सफल करने में अपना सहयोग दें। मंत्री महोदया ने कहा कि इस कार्यक्रम
में जनता, सरकार और समाज की बराबर की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि सरकार नदी के किनारे
एसटीपी लगा देगी, घाट बना देगी, जीव-जंतुओं के एक बार संरक्षण की व्यवस्था कर देगी।
सरकार का प्रयास तो एक बार होता है लेकिन उस प्रयास की निरंतरता को बनाए रखना जनता
और समाज की जिम्मेदारी है।
नमामि गंगे कार्यक्रम
के जरिए प्रायश्चित-
सुश्री भारती ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम आजादी के बाद देशवासियों
द्वारा गंगा में फैलाए गए प्रदूषण का प्रायश्चित है। उन्होंने कहा, मैं हमेशा बोलती
हूं कि नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा पर एहसान नहीं है, बल्कि आजादी के बाद गंगा नदी के
साथ जो खिलवाड़ हुआ, गलत तरीके से औद्योगीकरण और शहरीकरण हुआ, जिससे कि गंगा मैली हुई,
यह उस पाप का प्रायश्चित है जो हम करेंगे और आने वाली पीढि़यों को एक निर्मल गंगा अमूल्य
धरोहर के रूप में सौंप कर जाएंगे।
गंगा किनारे प्रत्येक
गांव सींचेवाल मॉडल से होंगे विकसित-
उन्होंने कहा कि हम गंगा किनारे के प्रत्येक गांव के सींचेवाल मॉडल पर
विकास के लिए आरंभ में आठ-आठ लाख रुपये खर्च करेंगे। गंगा किनारे के लगभग 400 गांवों
ने सींचेवाल मॉडल पर अपने विकास की तैयारी शुरू कर दी है। झारखंड में तो गंगा किनारे
के सभी गांव इस प्रक्रिया में शामिल हैं। इसमें गांवों को निर्मल करने के अलावा उसका
सौंदर्यीकरण भी शामिल होगा। मंत्री महोदया ने बताया कि गत 7 जुलाई को नमामि गंगे की
लगभग 250 परियोजनाएं देश भर में शुरू की गईं। उन्होंने कहा कि अभी ऐसी 1000 परियोजनाएं
पाइपलाइन में हैं।
सांसदों से भी लिया
जाए मशविरा-
बैठक में कई सांसदों ने अपने–अपने क्षेत्रों
में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत विशेष परियोजनाएं शुरू करने की मांग की। कुछ सांसदों
का सुझाव था कि उनके क्षेत्रों में नमामि गंगे कार्यक्रम से संबंधित परियोजनाओं को
शुरू करने से पहले उनसे भी सलाह-मशविरा किया जाए। सुश्री भारती ने इस सुझाव का स्वागत
करते हुए मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि भविष्य में नमामि गंगे परियोजनाओं
के बारे में संबंधित लोकसभा सदस्य को पूरे विश्वास में लिया जाए। उमा भारती ने कहा,
मैं अपने सभी अधिकारियों को निर्देश देती हूं कि वे आगे से इस बात का ध्यान रखें कि
किसी भी सांसद को कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए कि उनका क्षेत्र छूट गया।
गंगा किनारे के
निवासी लोकगायकों को किया जाए एकत्र-
सांसद मनोज तिवारी ने सुझाव दिया कि गंगा के किनारे जितने भी लोकगीत गायक
और संगीतकार हैं उन सभी को एकत्र किया जाए और गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक अलग-अलग
स्थानों पर उनके कार्यक्रम कराएं जाए। मंत्री महोदया ने इस सुझाव पर अपनी सहमति जताई।
सुश्री भारती ने कहा कि वे प्रत्येक छमाही में सांसदों से नमामि गंगे कार्यक्रम पर
चर्चा करने के लिए इस तरह की बैठक बुलाएंगी। इन बैठकों में पिछले छह महीनों के दौरान
हुए कार्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी।
बैठक में केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री
डॉ. संजीव कुमार बलियान, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया
पटेल, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और केंद्रीय मानव
संसाधन राज्य मंत्री डॉ.महेन्द्र नाथ पांडे समेत कई सांसदों ने हिस्सा लिया।
Labels: Anupriya Patel, Environment, Manoj Tiwari MP, Namami Gange Program, Pollution, Sichewal Modal, Uma Bharti
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