Thursday, 8 September 2016

#SeniorCitizen बुजुर्गों को किराए पर मकान देगा डीडीए




-नौ सेना के साथ मिलकर डीडीए बनाएगा द्वारका सेक्टर 16 में 1550 स्टूडियो अपार्टमेंट
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
शहरीकरण और बदलते सामाजिक परिवेश का एक और प्रतिकूल असर हमारे सामाज पर तेजी से फैलता जा रहा है। शहरों में बुजुर्ग अकेले होते जा रहे हैं और उनकी देखरेख की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। रोजगार की वजह से युवाओं का अपने शहर पलायन करना भी समस्या की एक वजह है। ऐसी समस्याओं को देखते हुए दिल्ली विकास प्रािधकरण ने बुजुर्गों के लिए एक अलग तरह की अनोखी योजना लाया है। इसके तहत डीडीए सेवानिवृत बुजुर्गों को किराए पर मकान देगा। डीडीए ने इस बाबत भारतीय नौसेना के साथ एक करार किया है। योजना के तहत द्वारका सेक्टर 16 में 1550 स्टूडियो अपार्टमेंट का निर्माण किया जाएगा।
बदलते दौर में एकल परिवार की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके साथ ही बुजुर्गों की समस्याएं भी बढ़ती जा रही है। इसी के तहत डीडीए ने नौ सेना के साथ मिलकर ओल्ड ऐज होम के निर्माण की योजना बनाई है। ये होम अगले चार सालों में बनकर तैयार हो जाएंगे। हालांकि इस संपत्ति पर आवंटी को मालिकाना हक नहीं मिलेगा, लेकिन उसे जीवन भर के लिए आवास में रहने की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। यहां पर प्रत्येक बुजुर्ग को एक सामान सामाजिक माहौल दिया जाएगा। नौ सेना के सेवानिवृत कर्मचारियों को 200 अपार्टमेंट दिए जाएंगे। इसके अलावा शेष अपार्टमेंट अन्य सरकारी विभागों के सेवानिवृत कर्मचारियों को दिया जाएगा।
12 एकड़ जमीन पर बनेगा अपार्टमेंट-
योजना के तहत द्वारका सेक्टर 16 में लगभग 12 एकड़ भूभाग पर ओल्ड ऐज होम का निर्माण किया जाएगा। यहां पर 462 करोड़ रुपए की लागत से लगभग 1550 स्टूडियो अपार्टमेंट का निर्माण किया जाएगा। प्रत्येक की एरिया लगभग 550 वर्ग फीट होगा। निर्मित क्षेत्र का 10 फीसदी हिस्सा व्यावसायिक सुविधाओं के लिए दिया जाएगा।
मैट्रो कनेक्टिविटी की सुविधा की जाएगी मुहैया-
योजना पूरा होने के बाद इसे मेट्रो की कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा और इसमें मनोरंजनात्मक और स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं सहित नर्सिंग एवं एंबुलेंस सेवाएं भी होंगी। बुजुर्गों के लिए उपलब्ध सुविधाओं के लिए विशेष तौर पर डिजायन किया जाएगा। जिसमें स्नानघर और शौचालयों में फिसलने की समस्या न हो। हैंडरेल और रैंम्पस जैसी सुविधाओं की भी व्यवस्था होगी।
आवंटी की मौत के बाद पति अथवा पत्नी को मिल सकती है सुविधा-
हालांकि ये अपार्टमेंट जीवन भर के लिए किराए पर दिए जाएंगे, लेकिन किसी आवंटी की मौत के बाद उसके पति अथवा उसकी पत्नी को भी ये आवास मिल सकते हैं। लेकिन इन आवंटियों को ये संपत्ति किसी को भी हस्तांतरित अथवा विक्रय की अनुमति का अधिकार नहीं हाेगा। आवंटी की मृत्यु के बाद डीडीए इस मकान को प्रतीक्षा सूची में अगले व्यक्ति को पुन: आवंटित कर देगी।
8.2 लाख रुपए करने होंगे जमा-
प्रत्येक आवंटी को पंजीकरण के दौरान 2.2 लाख रुपए का भुगतान करना होगा, जिसमें से 20 हजार रुपए पंजीकरण शुल्क होगा। इसके अलावा आवंटन के समय 6 लाख रुपए और जमा करना होगा।
प्रतिमाह 10 हजार रुपए जमा करने होंगे-
फ्लैट के रखरखाव के लिए प्रति महीने 10 हजार रुपए दिया जाएगा। इसमें 3 हजार रुपए रखरखाव के तौर पर आउटसोर्सिंग को दिया जाएगा और 7 हजार रुपए डीडीए को निर्माण लागत को आंशिक रूप से पूरा करने के लिए जमा किया जाएगा।

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Tuesday, 6 September 2016

जीएम बीजों से नष्ट हो जाएगा देशी सरसो: कपिल मिश्रा


कपिल मिश्रा, नई दिल्ली           
आखिर वही होने जा रहा है जिसका डर था, जिन खतरनाक जीएम बीजों के खिलाफ सारा भारत सड़कों पर उतर गया था, कांग्रेस सरकार के जयराम रमेश की जन सुनवाइयों में ये स्पष्ट हो गया था कि देश के किसान, देश के उपभोक्ता, दुनिया भर के वैज्ञानिक और खाद्य सुरक्षा तथा पर्यावरण को समझने वाले सभी लोग जीएम बीजों को असुरक्षित मानते हैं। अस्वीकार करते हैं।
आज उन्ही खतरनाक जीएम बीजों को मोदी सरकार सीधे हमारे खाने वाली चीजों में अनुमति देने जा रही हैं ।
बरसों तक भाजपा ने, संघ ने, स्वदेशी जागरण मंच, बाबा रामदेव ने, श्री श्री रविशंकर ने, यहाँ तक की मध्य प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारों ने भी आधिकारिक तौर पर खुलकर जीएम बीजों के खिलाफ इस लड़ाई में किसानों और देश के लोगो का साथ दिया पर आज अचानक सब के सब चुप है और मोदी सरकार वो करने जा रही है जो सबसे काले दिनों में भी कांग्रेस नहीं कर पाई।
त्ररू सरसो न केवल इस देश की सरसों को हमेशा के लिए ख़तम कर देगा बल्कि साथ ही हमारे किसानों की उगाने की आज़ादी, हम सबकी सुरक्षित खाने की आज़ादी भी खत्म कर देगा।
पर्यावरण को होगा नुकसान-
हमारी आयुर्वेदिक व अन्य व्यवस्थायों जहाँ जहाँ सरसो की भूमिका है, हमारी खेती, हमारे स्वास्थ्य, हमारे पर्यावरण, हमारे आयुर्वेद, हमारे बीज सब को हमेशा के लिए प्रदूषित व ख़तम करने की तैयारी है।
पंजाब जो कि अपनी लहलहाती सरसों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, उस पंजाब की पहचान पर ये सीधा हमला हैं ।
अभी भी समय है, मोदी सरकार को समझना होगा लालच का कोई अंत नहीं, हमारे किसान, हमारे खेत, हमारा आयुर्वेद सब ख़तम हो जायेगा तो ये चंद बीज बनाने वाली कंपनियां नहीं आयेगीं बचाने। जीएम बीजों को इस तरह खाद्य फसलों में लाना देश के साथ, किसानों के साथ, भारत माता के साथ धोखा है।
दुःख सबसे बड़ा ये कि बरसों तक इन किसानों के दुश्मनों से जनता के साथ मिलकर लड़ने वाले सब आज न जाने किस डर से चुप्पी लगाकर बैठ गए है।
संघ, बीजेपी, रामदेव, श्री श्री रविशंकर पर निशाना-
संघ चुप है, स्वदेशी वाले चुप है, रामदेव जी चुप है, श्री श्री चुप है, भाजपा के वो सभी नेता व कार्यकर्ता जो सड़को पर इन बीजों व कंपनियों के खिलाफ लड़ रहे थे सब चुप है।
पर याद रखना, ये देश नहीं चुप बैठेगा। न चुप बैठेगा न माफ़ करेगा।
(लेखक दिल्ली सरकार में जल एवं पर्यटन मंत्री हैं।)
जीएम का तात्पर्य-
अंग्रेजी में इसे जेनेटिकली मोडिफाईड कहते हैं। इसका अर्थ है-एक जीव या अन्य फसल का वंशाणु (जीन) दूसरे जैव-पौधे में रोपित किए जाते हैं, जिससे उसकी बीमारियों को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए टमाटर को पाले से या अधिक ठंड से बचाने के लिए बर्फीले क्षेत्र में पाए जाने वाली मछली के वंशाणु (जीन) को टमाटर के बीज में प्रत्यारोपित किया जाता हैं या मिलाया जाता हैं। बी.टी. कपास में डोडा कीट को मारने में सक्षम विषाणु वैक्टीरिया-बेसिलस थोरेजिंसस के वंशाणु (जीन) को मिलाया जाता है।

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