Tuesday 23 December 2014

झारखंड -क्या माफिया-कॉरपोरेट से बाहर निकल पाएगी भाजपा

-झारखंड में सत्ता के नजदीक पहुंची भाजपा
-पिछले 14 सालों में 9 साल शासन में रही भाजपा
बलिराम सिंह

झारखंड में भाजपा सत्ता पर सवार तो होने जा रही है, लेकिन देश का खजाना माने जाने वाले इस राज्य की समस्या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अपनी आंख-कान खुले रखने होंगे, अन्यथा झारखंड की दुर्दशा बरकरार रहेगी।
वर्ष 2000 में 15 नवंबर को झारखंड का गठन हुआ और पिछले 14 सालों के दौरान इस प्रदेश में आठ बार मुख्यमंत्री बदले गए। मजे की बात यह है कि इस दौरान सर्वाधिक 9 सालों तक भाजपा के ही नेता मुख्यमंत्री रहें, बावजूद इसके झारखंड का विकास नहीं हुआ। चूंकि केन्द्र में कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार और नरेन्द्र मोदी के आभा-मंडल और मीडिया की चकाचौंध पर सवार होकर भाजपा एक बार फिर झारखंड में जीत का झंडा बुलंद तो कर दिया है, लेकिन अब देखना यह है कि क्या भाजपा यहां की राजनीति में घुसपैठ कर गई माफिया और कॉरपोरेट को दूर कर पाती है अथवा एक बार फिर कठपुतली मुख्यमंत्री के सहारे कॉरपारेट अपना उल्लू सीधा करेगा और यहां की जनता गरीबी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहेगी। बिहार-झारखंड पर अपनी बारीकी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और राज्यसभा सांसद हरिवंश ने आज एक चैनल पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा है कि झारखंड में भाजपा के टिकट पर जीतने वाले कई विधायकों की छवि अपराधिक पृष्ठभूमि की है। वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी एक चैनल पर कहा है कि प्रत्येक जगह पर नरेन्द्र मोदी तो आएंगे, नहीं ऐसे में झारखंड की सरकार चलाना एक चुनौतीभरा होगा।
माफियाओं- कॉरपोरेट को लुभाते रहे हैं कमजोर मुख्यमंत्री-
झारखंड की राजनीति में ईमानदार और निर्भिक मुख्यमंत्री खुद यहां के नेताओं, माफियाओं और कॉरपोरेट लॉबी को रास नहीं आते हैं। इसी वजह से झारखंड गठन के महज ढाई साल बाद भाजपा के ईमानदार नेता बाबू लाल मरांडी (15 नवंबर 2000 से 17 मार्च 2003 तक ) को हटा करके अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाया गया। तत्पश्चात अर्जुन मुंडा झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री (लगभग 6 साल) बनने का मौका मिला। परिणामस्वयप बाबू लाल मरांडी भाजपा छोड़ नई पार्टी का गठन किया।
जेएमएम भी कर चुका है तीन बार नेतृत्व-
झारखंड मुक्ति मोर्चा भी प्रदेश में तीन बार सत्ता का नेतृत्व कर चुका है। पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन दो बार मुख्यमंत्री और उनके पुत्र हेमंत सोरेन एक बार मुख्यमंत्री का कार्य भार संभाल चुके हैं। लेकिन प्रदेश में इन पिता-पुत्र ने भी विकास का कोई खाका नहीं खींचा।
निर्दलीय मुख्यमंत्री ने तोड़ा भ्रष्टाचार का रिकार्ड-

निर्दलीय मुख्यमंत्री के तौर पर मधु कोड़ा (14 सितंबर 2006 से 23 अगस्त 2008 तक) भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन मधु कोड़ा न केवल प्रदेश के बल्कि देश के भ्रष्टतम मुख्यमंत्रियों में शुमार रह चुके हैं। इन्होंने प्रदेश को लूटने के अलावा अन्य कोई कार्य नहीं किया।
राष्ट्रपति शासन का भी दंश झेल चुका है प्रदेश-
गठन के 14 साल के दौरान यह प्रदेश दो बार राष्ट्रपति शासन (19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 और 18 जनवरी 2013 से 12 जुलाई 2013 तक) का भी दंश झेल चुका है, जिसकी वजह से प्रदेश का विकास नहीं हो पाया।
क्यों हुआ झारखंड का गठन-

प्रदेश के गठन के लिए स्थानीय झारखंड मुक्ति मोर्चा के अलावा राष्ट्रीय पार्टियां भी जवाबदेह हैं। इन पार्टियों ने झारखंड क्षेत्र के आदिवासी इलाकों के विकास को मुख्य मुद्दा बनाते हुए झारखंड का गठन किया गया, लेकिन अब तक यहां के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास नहीं हो पाया।
वर्ष 2000 में झारखंड राज्य के गठन के बाद पिछले 14 सालों में झारखंड में पार्टियों की सरकार-

सर्वाधिक लगभग 9 सालों तक   - भाजपा
          2 साल      - जेएमएम
          2 साल      - निर्दलीय
          डेढ़ साल    - राष्ट्रपति शासन
23 दिसंबर 2014 को आए चुनाव के रूझान-

भाजपा गठबंधन - 42
कांग्रेस गठबंधन -   6
जेएमएम    -19
जेवीएम गठबंधन-8
अन्य      - 6

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