Monday 1 December 2014

विश्व एड्स दिवस -डॉक्टर ने कहा-एक साल में मर जाओगे, मरीज ने कहा-जी कर दिखाऊंगा


जीने की ललक ने दी एचआईवी को मात
-संयमित जीवन, सही खुराक, रेगुलर दवा से लंबे समय तक जी सकते हैं एचआईवी मरीज
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

जब जीने की हो ललक, तो मौत भी हार जाती है। ऐसे एक या दो नहीं, बल्कि तीन उदाहरण हैं। जिसमें डॉक्टर ने एचआईवी रोगी से कहा कि तुम दो साल में मर जाओगे और रोगी ने पलटकर डॉक्टर से कहा कि मैं तुम्हें जी कर दिखाऊंगा। ये रोगी जीये ही नहीं बल्कि समाज के लिए एक मिसाल बनकर सामने आए हैं। जिन्होंने बीमारी की जंग से जूझते हुए ना केवल खुद को संभाला, बल्कि अपने सामाजिक दायित्व भी बखूबी निभा रहे हैं।
कस्तूरबा गांधी अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मचारी के तौर पर कार्यरत राजू नामक कर्मचारी का कहना है कि वर्ष 2003 में उन्हें बीमारी के बारे में पता चला। उसी दौरान उनकी पत्नी के भी एचआईवी पॉजिटीव की जानकारी मिली। राजू का कहना है कि वर्ष 2003 में किंग्सवे कैंप स्थित राजन बाबू टीबी अस्पताल में जांच के दौरान डॉक्टर ने कहा था कि एक-दो साल में उसकी मौत हो जाएगी। स्थिति अत्यधिक गंभीर है। लेकिन राजू ने तुरंत पलटकर डॉक्टर को जवाब दिया था कि वह जी कर दिखाएगा।
आज राजू को बीमारी के बारे में पता चले 11 साल हो गए, लेकिन राजू का स्वास्थ्य पूरी तरह से फिट है। 40 वर्षीय राजू का कहना है कि वह पूरी तरह से संयमित जीवन व्यतीत करते हैं। समय से भोजन और दवा लेते हैं और समय से आराम करते हैं। वह प्रोटीन युक्त भोजन पर जोर देते हैं। मंूग की दाल मिक्स खिचड़ी, हरी पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन, मूली और मूली की पत्ती, पहले रोजाना एक अंडा, दलिया जैसे खाद्य पदार्थ को भोजन में लेता हूं। इसके अलावा रोजाना मार्निंग वाकिंग और एक्सरसाइज भी करते हैं। राजू का कहना है कि पहले वह दोनों टाइम दवा लेते थें, लेकिन अब मात्र एक टाइम ही दवा लेते हैं।
सामाजिक दायित्व-
राजू के तीन बच्चे हैं। बड़ी बिटिया की उन्होंने शादी कर दी है। इसके अलावा अपनी पत्नी का भी ख्याल रखते हैं। राजू की पत्नी का वजन राजू के अपेक्षा 5 किलोग्राम अधिक है। राजू कहते हैं कि खुद की तरह उनकी पत्नी भी संयमित जीवन व्यतीत करती हैं।
दूसरा मामला (20 साल बाद भी फिट हैं हरि सिंह)-

एचआईवी-एड्स रोगियों की काउसलिंग करने वाले हरि सिंह को वर्ष 1994 में ही 25 वर्ष की आयु में एचआईवी पीडि़त होने की जानकारी मिली। लेकिन 20 साल बाद आज भी हरि सिंह पूरी तरह से फिट हैं। हरि सिंह न केवल खुद को फिट रखने के लिए समय से जांच और समय से दवाइयां लेते हैं, बल्कि दूसरे एचआईवी पीडि़तों की भी काउंसलिंग करते हैं। हरि सिंह के बारे में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अनिल बंसल कहते हैं कि हरि सिंह एचआईवी पीडि़तों के लिए एक नजीर हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में वह डीएमए के अध्यक्ष थे और इसी दौरान हरि सिंह से उनकी मुलाकात हुई थी। वर्ष 2003 में डॉक्टरों और हरि सिंह की अगुवाई में एचआईवी पीडि़तों के बीच क्रिकेट मैच खेला गया था, जिसमें हरि सिंह की टीम ने डॉक्टरों को हरा दिया था।
कोट्स-

सही काउसलिंग, संयमित जीवन, दवा की सही खुराक और सही जानकारी इस बीमारी से निपटने का मूल मंत्र है। एचआईवी पीडि़तों के लिए हरि सिंह एक नजीर हैं। मरीजों को हरि सिंह से सिख लेना चाहिए।-डॉ.कुलदीप कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, एम्स

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