Thursday 8 January 2015

अप्रैल से केमिस्ट की दुकानों पर भी मिल सकती हैं सस्ती ब्रांडेड दवा

-सरकार की पहल को सफल करने के लिए आईएमए भी आया साथ
-गरीब मरीजों को 70 फीसदी धनराशि की होगी बचत
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

आम जनता को महंगी दवाइयों से जल्द राहत मिल सकती है। अगले कुछ महीने में निजी केमिस्ट की दुकानों पर भी सस्ती दवाइयां बेचने की तैयारी की जा रही हैं। सस्ती दवाइयों की बिक्री से आर्थिक तौर पर कमजोर मरीजों की 70 फीसदी तक धनराशि की बचत हो सकती है।
ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयूएस ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) के अंतर्गत विभिन्न बीमारियों से संबंधित 357 सस्ती दवाइयां बेची जाएंगी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी आम मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए पिछले एक सप्ताह से लगातार बीपीपीआई के आला अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थें और इसे विस्तृत स्तर पर शुरू करने की अपील की गई। आईएमए के महासचिव डॉ.केके अग्रवाल के मुताबिक आगामी एक अप्रैल से निजी केमिस्ट की दुकानों पर सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश की जाएगी। इस बाबत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बीपीपीआई और स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा केन्द्र सरकार के आला अधिकारियों को आश्वासन दिया है कि मरीजों को सस्ती और ब्रांडेड दवाइयां लिखने के लिए अपने सभी सदस्यों (लगभग ढाई लाख डॉक्टर) को पत्र लिखेगा। इस मामले में बीपीपीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सभी जरूरतमंद मरीजों को भी सस्ती दवाइयां उपलब्ध हो सकें।
आवश्यक दवाइयां देने की तैयारी-

सस्ती और ब्रांडेड दवाइयों के अंतर्गत 357 दवाइयों की सूची तैयार की गई हैं। इनमें कैंसर, हार्ट, डायरिया, एंटीबॉयोटिक, शुगर सहित कई बीमारियों से संबंधित दवाइयां शामिल की गई हैं। इन दवाइयों की बिक्री से 70 फीसदी तक कीमत में गिरावट हो सकती है। उदाहरण के तौर पर सिप्रोफ्लोक्सिन (500 एमजी) की 125 रुपए की दवा सामान्य मरीज को लगभग 21 रुपए में मिलती है। इसी तरह गैस्ट्रिक से जुड़ी पेंटाब्रोजोल नामक दवा की कीमत मात्र 10 से 11 रुपए है, जबकि बाजार में इस दवा की कीमत 80 रुपए के करीब है।
ऐसे होगी बिक्री-
केन्द्र सरकार की अंडरटेकिंग कंपनी बीपीपीआई विभिन्न दवा कंपनियों से इन दवाइयों को खरीदेगी और दिल्ली सहित देशभर की दवा की दुकानों पर बीपीपीआई मार्का के तहत इन दवाइयों की बिक्री की जाएगी। चूंकि अब तक सस्ती दवाइयों के बारे में एक भ्रांति थी कि केमिस्ट विक्रेता ही मनमाने ढंग से महंगी दवाइयां बेचता है, लेकिन नई पहल में खुद डॉक्टर मरीज से उसकी आर्थिक स्थिति के मुताबिक इन दवाइयों को लिखेगा।
मौजूदा स्थिति-
फिलहाल पूरे देश में जनऔषधि के नाम से बीपीपीआई ने 103 सेंटर खोले हैं। इनमें से चार सेंटर दिल्ली के विभिन्न इलाकों में स्थित है। आश्चर्य की बात यह है कि देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश में मात्र एक स्टोर सुल्तानपुर में है।

2 Comments:

At 8 January 2015 at 06:00 , Blogger baliram singh said...

interesting story.....

 
At 8 January 2015 at 06:05 , Blogger taufique said...

nice

 

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home