Thursday 3 July 2014

एम्स ट्रॉमा सेंटर का हाल -तीन सालों में महज दो गरीब मरीजों को मिली आर्थिक मदद


-तीन सालों में इलाज के लिए आए ढाई लाख से ज्याद मरीज
-ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए आते हैं दुर्घटनाग्रस्त मरीज
बलिराम सिंह, नई दिल्ली

वैसे तो गरीब मरीजों के इलाज के लिए एम्स को बड़े पैमाने पर ग्रांट मिलता है और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी आर्थिक सहयोग करता है, लेकिन एम्स के जयप्रकाश नारायण अपेक्स ट्रॉमा सेंटर में पिछले तीन सालों के दौरान मात्र दो मरीजों को ही आर्थिक सहयोग दिया गया।
दैनिक भास्कर संवाददाता द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत यह खुलासा हुआ है। एम्स प्रशासन से पूछे गए सवालों के जवाब एम्स ट्रॉमा सेंटर द्वारा जानकारी दी गई कि पिछले तीन सालों के दौरान मात्र दो मरीजों को आर्थिक सहयोग दिलायी गई। वर्ष 2010-11 के दौरान एक मरीज, वर्ष 2011-12 में किसी को नहीं और वर्ष 2012-13 में एक मरीज को आर्थिक सहयोग किया गया। खास बात यह है कि सेंटर में सोशल ऑफिसर के तौर पर अनेक अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं। बावजूद इसके गरीब मरीजों को पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
220000 रुपए का किया गया सहयोग-

ट्रॉमा सेंटर में इलाज के लिए विजय बिष्ट नामक मरीज को मुख्यमंत्री कार्यालय से दो लाख रुपए और ईद मोहम्मद नामक मरीज को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 20 हजार रुपए की  आर्थिक मदद की गई।
ट्रॉमा सेंटर में आने वाले मरीजों की संख्या-

अमूमन ट्रॉमा सेंटर में रोजाना 240 से 250 मरीज इलाके लिए आते हैं। ये मरीज दुर्घटनाग्रस्त अथवा गंभीर रूप से चोटिल होते हैं, जिन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होती है। वर्ष 2012-13 के दौरान ट्रॉमा सेंटर के ओपीडी में 88220 मरीज इलाज के लिए लाए गए और 5773 मरीजों की सर्जरी की गई। यदि एक साल में इतने मरीज इलाज के लिए आए तो तीन साल के दौरान ट्रॉमा सेंटर में लगभग ढाई लाख से ज्यादा मरीज इलाज के लिए लाए गए।
अस्पताल प्रशासन की दलील-
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.डीके शर्मा कहते हैं कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में ग्रांट आता है। यदि किसी मरीज को आर्थिक सहयोग की जरूरत होती है तो हम उसे मुहैया कराते हैं।
सामाजिक कार्यकत्र्ता की दलील-

सामाजिक कार्यकत्र्ता अशोक अग्रवाल इस आंकड़े को सुनकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहते हैं कि इस बारे में मरीजों को जागरूक करने की जरूरत है। आर्थिक तौर पर कमजोर मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल प्रशासन को खुद मरीज की स्थिति को देखकर सहयोग की पहल करनी चाहिए। साथ ही मरीजों को मिल रही सुविधाओं को आसान करना चाहिए, ताकि मरीजों का समय से इलाज हो सके।
गरीब मरीज के लिए जरूरी कागजात-

मरीज के पास बीपीएल राशन कार्ड हो। यदि बीपीएल कार्ड नहीं है तो संबंधित क्षेत्र के एसडीएम अथवा लोकसभा सदस्य द्वारा सिफारिश की गई हो। खास बात यह है कि यदि मरीज के पास बीपीएल कार्ड अथवा पत्र नहीं है और वह आर्थिक तौर पर काफी कमजोर है तो इलाज करने वाले संबंधित डॉक्टर मरीज के इलाज के लिए सिफारिश कर सकता है।

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