Sunday 11 May 2014

मुख्तार के लिए बंजर रही है वाराणसी की जमीन


-गाजीपुर, मऊ, बलिया में कांटे की टक्कर
बलिराम सिंह
चुनाव अपने अंतिम चरण में है और महज 100 घंटे बाद चुनावी परिणाम सामने आ जाएगा। मीडिया के लिए वाराणसी टीआरपी का मुख्य स्रोत हो गया है। वाराणसी को लेकर रोजाना मीडिया नयी-नयी कहानियां गढऩे को तैयार है। भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कभी अजय राय तो कभी अरविंद केजरीवाल को अखाड़े का मुख्य प्रतिदंवदी बताया जा रहा है। लेकिन इनमें भी सर्वाधिक सुर्खियां बंटोरी बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी ने ।
लेकिन जब मुख्तार अंसारी की जमीनी हकीकत पर नजर डालें तो स्थितियां कुछ अलग बयां करती हैं। भले ही अंसारी बंधुओं को गाजीपुर और घोसी में अच्छे वोट मिले हों, लेकिन वाराणसी में मुख्तार की जमीन बंजर है। चाहे 2012 का विधानसभा चुनाव हो या
2009 का लोकसभा चुनाव। मुख्तार को वाराणसी में जीत हासिल नहीं हुई।
चूंकि लोकसभा चुनाव में मुख्तार बसपा प्रत्याशी के तौर पर वाराणसी से चुनाव लड़े थे। ऐसे में उन्हें बसपा वोटर के अलावा मुस्लिम वोट थोक के भाव मिले थे और चुनाव में मात्र 17211 वोटों से हारे थे। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल और सुहलदेव भारत समाज पार्टी के गठबंधन को वाराणसी की सात सीटों पर महज 64183 वोट मिले थे। इसके विपरीत इस गठबंधन ने मऊ, गाजीपुर और बलिया जिले में विपक्षी पार्टियों को जबरदस्त टक्कर दी और दो सीटों पर जीत भी हासिल की और 6  सीटों पर 30-30  हजार से ज्यादा वोट प्राप्त किए।

वाराणसी -
कैंट-     5366
नार्थ-     4709
साउथ- 20454
अजगरा- 5312
पिंडरा-   3321
सेवापुरी-9883
रोहनिया-16138
कुल वोट- 64183

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home