Sunday 29 June 2014

अखिलेश राज में ओबीसी का हक मार रहे हैं यादव


बलिराम सिंह


यूपी पीएससी-2011 की 289 सीटों में से ओबीसी कोटे की 86 सीटों में से 50 पर यादवों का कब्जा, सामान्य श्रेणी में चयनित किए गए 4 ओबीसी प्रतियोगियों में भी सभी यादव ही शामिल हैं।

संविधान में आरक्षण की व्यवस्था का उद्देश्य समाज के नीचले तबके को मुख्य धारा से जोडऩा था। लेकिन पिछले कुछ दशकों से आरक्षण की स्थिति पर नजर डालें तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पिछड़े वर्ग की कुछ जातियां ही पिछड़े समाज के अन्य लोगों के हकों पर डाका डाल रही हैं। विशेष तौर पर जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार होती है तो यह समस्या कुछ ज्यादा ही विकराल रूप धारण कर लेती है। हालांकि अखिलेश यादव सरकार द्वारा ओबीसी की कुछ जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की सिफारिश एक महत्वपूर्ण फैसला है।
लेकिन अखिलेश यादव सरकार की कार्यप्रणाली पर नजर डालें तो ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश सरकार को विशेषकर एक मात्र अपने स्वजाति भाई यादवों से ही खास लगाव है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान राज्य में की गई महत्वपूर्ण भर्तियों में इसी जाति का दबदबा रहा। मजे की बात यह है कि प्रदेश के सबसे बड़ी महत्वपूर्ण एवं रसूकरदार यूपी पीएससी जैसी नौकरियों में भी पिछड़ा वर्ग के नाम पर यादवों का कब्जा हुआ है। सामान्य वर्ग में शामिल होने वाले पिछड़े वर्ग के प्रतियोगियों में भी यादवों का दबदबा है।
इंडिया टुडे ने पिछले सप्ताह इिस मामले में विस्तृत तौर पर खुलासा किया है।
यूपी पीएससी-2011 की 289 पदों का चयन-
ओबीसी कोटा - 86
ओबीसी के तहत चुने गए यादव प्रतियोगी-50
सामान्य श्रेणी में चयनित किए गए 4 ओबीसी- सभी यादव
गैर यादव ओबीसी की 230 जातियों की स्थिति- मात्र 37
कुछ अन्य भर्तियां-
पीडब्ल्यूडी की 48 पदों के लिए जेई की भर्ती-
ओबीसी कोटे में चयनित किए गए यादव-42 फीसदी
-संस्कृति निदेशालय में एक मात्र क्षेत्र सहायक पद पर भर्ती- यादव
-कामर्स प्रवक्ता के दो पदों पर भर्ती- दोनों यादव
नोट-एक पद आरक्षित और दूसरा पद अनारिक्षत था
- समाज शास्त्र के 19 प्रवक्ता पदों पर भर्ती-
सामान्य वर्ग की 9 सीटों में से 4 पर यादवों का कब्जा
इस पर भी गौर करें-
यूपी के 1560 थानों में से 800 थानों के प्रभारी यादव जाति के हैं।

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