मोदी की साख को बट्टा, हार गई कृष्णा पटेल
-सवर्णों ने नहीं दिया था अपना दल का साथ, पटेल मदताओं में फूट
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
वैसे तो लोकसभा चुनाव बाद अमूमन प्रत्येक राज्यों में हुए उपचुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन वाराणसी लोकसभा क्षेत्र की रोहनिया विधानसभा सीट से भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल की उम्मीदवार कृष्णा पटेल (दिवंगत नेता सोने लाल पटेल की पत्नी) का चुनाव हारना वाकई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साख से जुड़ा है। लोकसभा क्षेत्र से प्रधानमंत्री का सांसद होना और पटेल बाहुल्य इस विधानसभा सीट से कृष्णा पटेल का चुनाव हारना डाइजेस्ट से परे हैं। माना जा रहा है कि सवर्णों ने अपना दल का साथ नहीं दिया, जिसकी वजह से कृष्णा पटेल को हार का सामना करना पड़ा।
रोहनिया सीट पर पटेलों की सर्वाधिक आबादी के अलावा यादव और भूमिहारों की तादाद भी अच्छी-खासी है। इसके अलावा क्षेत्र में अनुसूचित मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं। लोकसभा चुनाव में मोदी को यहां पर फारवर्ड के अलावा बैकवर्ड का भी काफी वोट मिला था, लेकिन इसके विपरीत विधानसभा चुनाव में फारवर्ड मतदाताओं ने कृष्णा पटेल से किनारा कर लिया। अपना दल प्रत्याशी की हार की मुख्य वजह सवर्णों का साथ न देना, पटेलों मतदाताओं का बंटना, सरकारी मशीनरी का सपा प्रत्याशी के साथ होना है।
रोहनिया सीट पटेल उम्मीदवारों के लिए चुनावी अखाड़ा बन गया था, यहां पर कांग्रेस, सपा और भाजपा गठबंधन तीनों दलों ने पटेल उम्मीदवारों को टिकट दिया था। सपा सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सुरेन्द्र सिंह पटेल (गृह जनपद) अपनी साख को बचाने के लिए यहां पर एड़ी-चोटी एक कर दिए थे, इसी तरह कांग्रेस के उम्मीदवार को जीताने के लिए अजय राय जैसे बाहुबली कांग्रेसी नेता भी जोर लगा दी थी।
सभी दलों के लिए खतरा है अपना दल-
अपना दल को रोकने के लिए अमूमन सभी दलों ने एड़ी चोटी एक कर दी। पिछले दिनों पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को लेकर अपना दल की महासचिव अनुप्रिया पटेल द्वारा किए गए आंदोलन की वजह से सवर्ण वर्ग पहले से ही सतर्क था। वहीं समाजवादी पार्टी पिछड़ों में किसी अन्य दल को सेंध लगाने नहीं देना चाहती है।
प्रत्याशी - पार्टी
महेन्द्र पटेल - सपा
कृष्णा पटेल - अपना दल
डॉ.भावना सिंह पटेल - कांग्रेस
2 Comments:
Very good analysis..
thanks
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