Saturday 4 March 2017

बीजेपी के लिए पूर्वांचल में टॉनिक का काम करेंगी ‘अपना दल एस और सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी’



बलिराम सिंह
वाराणसी सहित पूर्वांचल के अधिकांश हिस्सों में भाजपा गठबंधन के अधिकांश सीटों पर जीतने की संभावना दिख रही है। चूंकि विधानसभा चुनाव में भाजपा माइक्रो प्लानिंग के तहत अपना दल (एस) और सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। पूर्वांचल के अधिकांश जिलों में भाजपा के अलावा अपना दल और सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी की अच्छी पैठ है। इन इलाकों में यदि बसपा में मुस्लिम वोटों को साधने के लिए बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का विलय हुआ है। तो दूसरी ओर नॉन यादव मतों को साधने के लिए भाजपा ने इन क्षेत्रीय पार्टियों अपना दल एस और सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी को अपने पाले में लायी है। ये क्षेत्रीय पार्टियां विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए टॉनिक का काम करेंगी। हालांकि अपना दल में पिछले दिनों हुए बिखराव का भी असर इस बार देखने को मिलेगा। लेकिन माना जा रहा है कि अधिकांश पटेल मतदाताओं का झुकाव केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व में गठित पार्टी अपना दल (एस) की तरफ है।
पूर्वांचल के कुर्मि मतों में अपना दल एस की पैठ-
चूंकि अपना दल एस को कुर्मि जाति की पार्टी कहा जाता है, लेकिन पिछले 15 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस पार्टी को केवल वाराणसी से लेकर इलाहाबाद-सुल्तानपुर जैसे सामंतवादी क्षेत्रों में ही कुर्मि जाति के वोट मिले। हालांकि इस जाति के लोगों की आबादी बरेली से लेकर बिहार तक फैली हुई है। और मुख्यत: सभी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय पार्टियों में इस समाज के नेताओं (विनय कटियार, नीतिश कुमार, बेनी प्रसाद वर्मा, लालजी वर्मा, अनुप्रिया पटेल, ओमप्रकाश सिंह, आरपीएन सिंह इत्यादि) की भरमार है। अपना दल ने पिछले 15 सालों के दौरान कई नेताओं को नुकसान पहुंचाया है। वाराणसी और इलाहाबाद क्षेत्र में तो पार्टी को काफी तादाद में वोट भी मिले हैं। लोकसभा चुनाव 2014 में अपना दल ने दो सीटों (मिर्जापुर और प्रतापगढ़) में अपने उम्मीदवार उतारे थें और दोनों सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की सातों सीटों पर भाजपा और अपना दल को मिले वोटों पर नजर डालें तो भाजपा को अपना दल से केवल 65 हजार ज्यादा वोट मिले थे। यहां पर भाजपा को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा एक सीट पर तीसरे स्थान पर, एक पर चौथे स्थान, एक पर पांचवें स्थान और एक पर छठें स्थान पर रही। पिंडरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को महज 3326 वोट मिले थे।
भाजपा के अलावा एक सीट पर बसपा, एक पर कांग्रेस, एक पर सपा और एक पर अपना दल को जीत हासिल हुई थी। सपा से जीतने वाला प्रत्याशी सुरेन्द्र सिंह पटेल भी कुर्मि समाज से हैं और वर्तमान में लोक निर्माण राज्य मंत्री हैं। हालांकि अनुप्रिया पटेल के मिर्जापुर से सांसद बनने के बाद रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में अपना दल को हार का सामना करना पड़ा और यहां से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी महेंद्र सिंह पटेल ने जीत हासिल की।
2012 में वाराणसी में अपना दल की स्थिति-      
रोहनिया सीट से पार्टी की तत्कालीन राष्ट्रीय महामंत्री अनुप्रिया पटेल को जीत हासिल हुई। इसके अलावा सेवापुरी में दूसरे स्थान पर, पिंडरा में तीसरे स्थान पर और अजगरा सुरक्षित सीट पर चौथे स्थान पर रही। सेवापुरी से कुल प्रत्याशियों में लगभग आधे प्रत्याशी कुर्मि समाज से थे।
भाजपा से ज्यादा वोट पाकर भी सपा-बसपा फीसड्डी-
खास बात यह है कि वाराणसी की सातों सीटों पर सपा और बसपा को भाजपा से लगभग 30 हजार वोट ज्यादा मिले। बावजूद इसके इन दोनों महत्वपूर्ण पार्टियों को महज एक-एक सीट से ही संतोष करना पड़ा।
जातीय आंकड़े-
शहरी क्षेत्र में ब्राह्मण, बनिया के अलावा अन्य समाज की संख्या बहुतायत है तो ग्रामीण क्षेत्र में कुर्मी जाति का बोलबाला है। इसके अलावा आरक्षित आबादी भी काफी तादाद में हैं।
भाजपा को मिले कुल वोट- 218262
अपना दल को मिले कुल वोट-153585
सपा को मिले कुल वोट   -  256074
बसपा को मिले कुल वोट - 253076
दोनों दलों की विधानसभा वार मिले वोटों की स्थिति-
विधानसभा           -     भाजपा               -   अपना दल
कैंट                 - 57918                   -    1800
नार्थ                -  47980                  -
दक्षिणी            -   57868                  -
अजगरा          -    22855                 -      16563
पिंडरा            -     3326                 -       40468
सेवापुरी         -       9811                -       36942
रोहनिया        -     18504                 -       57812
कुल           -   218262                   -     153585
सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी-
बहुजन समाज पार्टी के पूर्व नेता ओमप्रकाश राजभर ने इस पार्टी की स्थापना की। मुख्यत: अति पिछड़ी जाति से समुदाय रखने वाले राजभर समाज के लोगों पर इस पार्टी की पकड़ है। यह समाज पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, बलिया, गाजीपुर और वाराणसी इत्यादि जिलों में काफी तादाद में है।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन-
जीत हासिल – 0 सीट
चुनाव लड़ी – 52 सीटों पर
कुल वोट मिलें- 477330
पूर्वांचल के पांच जिलों (मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया की 16 सीटों पर) में पार्टी का 2012 में प्रदर्शन-
40 हजार से ज्यादा मिले वोट- 0 सीट
30 हजार से 40 हजार के बीच मिले वोट- 2 सीट
20 हजार से 30 हजार के बीच मिले वोट- 6 सीटें
10 हजार से 20 हजार के बीच मिले वोट-1 सीटें
5 हजार से 10 हजार के बीच मिले वोट- 5 सीटें
5 हजार से कम मिले वोट-2 सीटें
कौमी एकता दल-
माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की इस पार्टी का असर पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, वाराणसी और बलिया में हैं। पिछले चुनाव में इस पार्टी से दो विधायक (मऊ से मुख्तार अंसारी और दूसरी सीट मोहम्मदाबाद ) चुने गए। इस बार मुख्तार अंसारी की पार्टी का बहुजन समाज पार्टी में विलय हो गया है।
वर्ष 2012 में पार्टी का प्रदर्शन –
जीती सीट-   2,
कुल वोट मिले- 417552
मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया की 17 सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन –
40000 से ज्यादा वोट मिलें- 4 सीटों पर
30 हजार से 40 हजार के बीच वोट मिले- 2 सीटों पर
20 हजार से 30 हजार के बीच मिले वोट- 2 सीटों पर
5 हजार से 10 हजार के बीच वोट मिले- 2 सीटों पर
5 हजार से कम वोट मिले- 7 सीटों पर

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1 Comments:

At 4 March 2017 at 10:38 , Blogger Vikram Pratap Singh said...

Nice article

 

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