Tuesday 1 November 2016

Yamuna कृष्ण को मानते हैं तो उनकी पत्नी यमुना का भी आदर कीजिए, पावन नदी को प्रदूषण से मुक्ति दिलाइए





बलिराम सिंह, नई दिल्ली
यदि आप कृष्ण को मानते हैं तो आज यम द्वितीया के दिन भगवान कृष्ण की चौथी पत्नी यमुना का भी आदर कीजिए और प्रण कीजिए कि हम यमुना को प्रदूषित न होने दें। अपनी जरूरतों को पर्यावरण के अनुकूल बनाइए। ताकि नदी के प्रदूषण में गिरावट आए।
पौरािणक मान्यताओं के अनुसार यमुना को सूर्य और उनकी पत्नी संजना (चेतना) की बेटी और मृत्यु के देवता यम की जुड़वा बहन माना जाता है। बहुत सारे भारतीय मंदिरों में यमुना को गंगा के साथ दिखाया जाता है। मंदिरों के द्वार के एक तरफ यमुना और दूसरी तरफ गंगा होती है। गंगा चांद की तरह सफेद रंग में एक मकर पर विराजमान दिखती है, जबकि यमुना काले रंग की देवी (कालिंदी) के रूप में स्थापित की जाती हैं। और वह कश्यप (कछुआ) के ऊपर स्थित होती हैं।
कृष्ण की बाल लीलाओं में शामिल हैं यमुना-
लगभग 3800 वर्ग किमी में फैली ब्रज भूमि यमुना नदी के दोनों तरफ स्थित है, भगवान कृष्ण यमुना के किनारे मथुरा (ब्रज) में पैदा हुए और यही गोकुल में उनकी परवरिश हुई थी। गोकुल भी यमुना के किनारे ही पड़ता है। यह नदी न केवल कृष्ण की बाल लीलाओं में बहुत बड़े पैमाने पर दिखाई देती है, बल्कि इसे कृष्ण की चौथी पत्नी भी माना जाता है। 
कांपती नदी है यमुना-
मान्यता है कि जब संजना का सामना सूर्य की तेज चमक से हुआ तो वह अपनी अंाखें खुली नहीं रख पायी और कांपने लगी। यही वजह है कि यमुना को अक्सर कांपती नदी भी कहा जाता है। यमुना की यह खासियत उसके असंख्य मोड़ों और घुमाओं को देखकर समझा जा सकता है। ये घुमाव बाटेश्वर नामक स्थान पर बहुत साफ दिखाई देते हैं।
महाभारत में यमुना एक पवित्र नदी-
महाभारत (जिसे अपने प्रकार की सबसे पुरानी कृति माना जाता है) में भगवान कृष्ण एक केंद्रीय पात्र हैं। महाभारत को कृष्ण के उपदेशों यानी गीता के लिए खासतौर से जाना जाता है। कृष्ण ने ये उपदेश अपने मित्र और अनुयायी अर्जुन को कुरूक्षेत्र के युद्ध में दिए थे। यह कुरूक्षेत्र भी यमुना के बेसिन में ही पड़ता है। इन उपदेशों में यमुना और इसके किनारे पड़ने वाली जगहों का कई बार जिक्र आया है। आज भी लाखा मंडल, हथियारी, इंद्रप्रस्थ, गड़ाया, वृंदावन आदि कृष्ण, पांडवों और महाभारत के किस्से कहानियों का अभिन्न अंग है। महाभारत में यमुना एक बहुत पवित्र नदी मानी गई है।
पांडव जब तीर्थ यात्रा पर निकले थे, तो संत लोमाशा ने युधिष्ठिर से आह्वान किया था कि वह यमुना में स्नान करें, माना जाता है कि यमुना में केवल एक बार के स्नान से ही व्यक्ति काे मोक्ष मिल जाता है। (स्रोत-यमुना नामा)

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