सरकारी अस्पतालों में 100 फीसदी मिलेंगी सस्ती दवाइयां !
बलिराम सिंह, नई दिल्ली
जल्द ही दिल्ली के आर्थिक तौर पर कमजोर अथवा निम्न मध्य वर्ग के मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध होगी। दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सभी अस्पतालों में सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने की तैयारी की है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस बाबत सरकार को कड़ी मेहनत और योजनाबद्ध कार्य करने पर ही गरीब मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
योजना के तहत सबसे पहले सरकारी अस्पतालों में सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है। सरकारी अस्पतालों में योजना के सफल होने के बाद इसे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में भी लागू किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में 100 फीसदी सस्ती (जेनेरीक दवाइयां) दवाइयों के उपलब्ध कराने की तैयारी हो रही है। इस बाबत सस्ती दवाइयां बनाने वाली कंपनियों से बातचीत चल रही है। साथ ही निजी अस्पतालों में भी इस योजना को लागू करने के लिए डॉक्टरों से अपील की जाएगी।
चुनौती-
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.अनिल अग्रवाल कहते हैं कि सबसे पहले सरकार को केमिस्ट उद्योग से बात करनी होगी। इसके अलावा केमिस्ट विक्रेताओं के साथ भी समन्वय बैठाना होगा। क्योंकि सस्ती दवा की बिक्री के लिए केमिस्ट के ऊपर ही बहुत कुछ निर्भर है। और यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो फिर डॉक्टर को जेनेरिक दवा के साथ-साथ कंपनी का भी उल्लेख करना होगा, तभी आम मरीज को सस्ती दवा मिल पायेगी। अन्यथा योजना केवल फाइलों तक ही सीमित हो जाएगी।
सरकारी अस्पतालों को किया जाए दुरूस्त-
आल इंडिया केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता कहते हैं कि राजस्थान की तर्ज पर सबसे पहले सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाइयों की उपलब्धता पर्याप्त करनी होगी। ऐसा करने पर कम बजट में ही सभी दवाइयां मिल जाएंगी और पब्लिक जागरूक होगी। इसके लिए पूरी प्लानिंग की जरूरत है। सरकार को जेनेरिक दवाइयों का एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) भी कम करनी होगी।
दवाइयों की कीमत-
एंटीबॉयोटिक दवा ऑगमेंटिन-सवा रुपए से 20 रुपए की गोली
कॉलेस्ट्राल कम करने की दवा ऑटोखाज-75 पैसे से 8 रुपए तक
जल्द ही दिल्ली के आर्थिक तौर पर कमजोर अथवा निम्न मध्य वर्ग के मरीजों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध होगी। दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सभी अस्पतालों में सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने की तैयारी की है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस बाबत सरकार को कड़ी मेहनत और योजनाबद्ध कार्य करने पर ही गरीब मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
योजना के तहत सबसे पहले सरकारी अस्पतालों में सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है। सरकारी अस्पतालों में योजना के सफल होने के बाद इसे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में भी लागू किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में 100 फीसदी सस्ती (जेनेरीक दवाइयां) दवाइयों के उपलब्ध कराने की तैयारी हो रही है। इस बाबत सस्ती दवाइयां बनाने वाली कंपनियों से बातचीत चल रही है। साथ ही निजी अस्पतालों में भी इस योजना को लागू करने के लिए डॉक्टरों से अपील की जाएगी।
चुनौती-
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.अनिल अग्रवाल कहते हैं कि सबसे पहले सरकार को केमिस्ट उद्योग से बात करनी होगी। इसके अलावा केमिस्ट विक्रेताओं के साथ भी समन्वय बैठाना होगा। क्योंकि सस्ती दवा की बिक्री के लिए केमिस्ट के ऊपर ही बहुत कुछ निर्भर है। और यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो फिर डॉक्टर को जेनेरिक दवा के साथ-साथ कंपनी का भी उल्लेख करना होगा, तभी आम मरीज को सस्ती दवा मिल पायेगी। अन्यथा योजना केवल फाइलों तक ही सीमित हो जाएगी।
सरकारी अस्पतालों को किया जाए दुरूस्त-
आल इंडिया केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता कहते हैं कि राजस्थान की तर्ज पर सबसे पहले सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाइयों की उपलब्धता पर्याप्त करनी होगी। ऐसा करने पर कम बजट में ही सभी दवाइयां मिल जाएंगी और पब्लिक जागरूक होगी। इसके लिए पूरी प्लानिंग की जरूरत है। सरकार को जेनेरिक दवाइयों का एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) भी कम करनी होगी।
दवाइयों की कीमत-
एंटीबॉयोटिक दवा ऑगमेंटिन-सवा रुपए से 20 रुपए की गोली
कॉलेस्ट्राल कम करने की दवा ऑटोखाज-75 पैसे से 8 रुपए तक
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